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नारी समाज

क्या मातृत्व स्त्री के पैरों की बेड़ी है?

लेखक – आर्य सागर फ्रांसीसी स्त्रीवादी सीमोन द बुवा ने एक बार कहा था- मातृत्व स्त्री मुक्ति की राह में बांधा है। उसी दौर में यूरोप जर्मनी में नाजी पार्टी ने एक नारा दिया- स्त्री -मुक्ति से स्त्रियों को खुद को मुक्त करना चाहिए। लोकतंत्र, नस्ल को लेकर नाजी विचारधारा अमानवीय अविकसित पुर्वाग्रह से भले […]

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महत्वपूर्ण लेख समाज

स्वच्छ भारत का महादेव मेहतर, दक्ष भारत का शिल्पी कारीगर

सृष्टि के आदिकाल से ऋषि, महर्षि, मुनि, धर्माचार्य और विश्ववारा संस्कृति के महानायकों, लोकनायकों ने स्वच्छता और दक्षता को जीवन के प्रथम सोपान में रखा है। यही कारण था कि यज्ञ वै श्रेष्ठतम् कर्म:को आराध्य मानकर प्रत्येक मनुष्य यज्ञ से ही अपना कार्य प्रारंभ करता था। ऋषि एवं ऋषिकाओं ने मान रखा था कि संस्कृत, […]

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महत्वपूर्ण लेख मुद्दा समाज

नशे के विरुद्ध व्यापक अभियान की आवश्यकता

ललित गर्ग पंजाब में आतंकवाद की ही तरह नशे एवं ड्रग्स के धंधे ने व्यापक स्तर पर अपनी पहुंच बनाई है, जिसके दुष्परिणाम पंजाब के साथ-साथ समूचे देश को भोगने को विवश होना पड़ रहा है। पंजाब नशे की अंधी गलियों में धंसता जा रहा है, सीमा पार से शुरू किए गए इस छद्म युद्ध […]

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महत्वपूर्ण लेख युवा

क्यों क्रूर बदमाशी का रूप ले रही है रैगिंग ?

प्रियंका सौरभ रैगिंग को अक्सर एक संस्कार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जो नए छात्रों को उच्च शिक्षा संस्थानों में परिसर में जीवन को समायोजित करने में सहायता करता है। हालाँकि जूनियर कैंपस के रीति-रिवाजों को सीख सकते हैं और वरिष्ठों के साथ सकारात्मक बातचीत के माध्यम से एक सहायक समुदाय बना सकते […]

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मुद्दा समाज

अचानक मौतें : उत्सवों में घुलती अनदेखी त्रासदी…

उत्सव या अनहोनी? अचानक मौतों से बढ़ती दहशत…. बृजेश सिंह तोमर (वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक चिंतक) शादी-ब्याह और उत्सव अब खुशियों के बजाय अनहोनी के साये में सिमट रहे हैं। देखते ही देखते अचानक गिरते लोग ओर मौत,ये घटनाएँ डराने लगी हैं। तनाव, अनियमित जीवनशैली, डीजे का घातक शोर और उपेक्षित स्वास्थ्य हृदय को कमजोर […]

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समाज

अत्यधिक महत्वकांक्षा से टूटती परिवार के रिश्तों की डोर

(बिखर रहे चूल्हे सभी, सिमटे आँगन रोज। नई सदी ये कर रही, जाने कैसी खोज॥) पिछले कुछ समय में पारिवारिक ढांचे में काफ़ी बदलाव हुआ है। मगर परिवारों की नींव का इस तरह से कमजोर पड़ना कई चीजों पर निर्भर हो गया है। अत्यधिक महत्त्वाकांक्षी होना ही रिश्ते टूटने की प्रमुख वज़ह है। जब परिवारों […]

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युवा समाज

जनरेशन जेड का भारत

लेखक – आर्य सागर तिलपता ग्रेटर नोएडा वर्ष 1997 से लेकर वर्ष 2016 की अवधि के बीच पैदा होने वाले बच्चों को जनरेशन जेड ( जेन जी) या नेटजेनरेशन भी कहा जाता है इस जनरेशन के और अन्य भी नाम है। 7 से 19 आयु वर्ग के बच्चे किशोर युवा इसमें आते हैं। अलग-अलग मानकों […]

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युवा

राजनीति में युवाओं की भागीदारी की आवश्यकता

डॉ सत्यवान सौरभ अगर राजनीतिक दल युवाओं को राजनीति में शामिल करने के बारे में गंभीर हैं तो उन्हें कई तरह के कदम उठाने होंगे। पहला कदम सरकार द्वारा युवा मानदंड में बदलाव करना होगा। आज 34-35 वर्ष की आयु के लोगों को भी युवा माना जाता है। इस मानदंड को कम करने की आवश्यकता […]

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महत्वपूर्ण लेख मुद्दा समाज

दहेज रोधी कानूनों पर एक समीक्षात्मक पर्यालोचन

आर्य सागर खारी आंकड़ों के अनुसार भारतवर्ष में प्रत्येक दिन 18 महिलाएं दहेज हत्या की शिकार होती है। इनमें दहेज के लिए की जाने वाली क्रुरता के मामलों को परिगणित नहीं किया गया है। इतना ही नहीं अकेले वर्ष 2020 में 13000 से अधिक मामले दहेज प्रतिषेध कानून 1961 के तहत दर्ज किए गए। यहां […]

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समाज

दहेज प्रथा व दहेज उन्मूलनरत संगठनों के सम्बन्ध में गांधी जी की विचार दृष्टि

लेखक – आर्य सागर  महात्मा गांधी जी का राजनीतिक सामाजिक आर्थिक वैचारिक दर्शन बहुत ही व्यापक स्पष्ट था । जिसमें अहिंसा,धर्म, नैतिकता, ग्राम स्वराज, स्वच्छता , स्वदेशी ग्राम उद्योग , अहिंसक समाजवाद, वेश्यावृत्ति मद्यपान नशाखोरी जैसे विषय ही शामिल नहीं थे भारत की आधी आबादी महिलाओं की समस्या स्त्री अशिक्षा ,दहेज प्रथा, बाल विवाह पर्दा […]

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