आजकल सोशल मीडिया और यू-ट्यूब में राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील बिन्दु पर बड़ी चर्चा चल रही है कि पाकिस्तान में अपनी भूमि बेच कर लगभग दस लाख रुपये के सहारे एक युवती अपने चार नाबालिग बच्चों के साथ दुबई से नेपाल होते हुए नेपाल-भारत सीमा को लांघ कर भारत में अवैध रूप से […]
श्रेणी: भयानक राजनीतिक षडयंत्र
ललित गर्ग राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को हिंसक प्रतिस्पर्धा में नहीं बदला जा सकता, लोकतंत्र का यह सबसे महत्वपूर्ण पाठ पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस एवं अन्य राजनीतिक दलों को याद रखने की जरूरत है। पश्चिम बंगाल में इन दिनों पंचायत चुनाव के दौरान व्यापक हिंसा देखने को मिली, इससे पूर्व वर्ष 2013 और 2018 के पंचायत […]
डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 समाज और देश को बुद्धिजीवियों पर भरोसा था। उनके नीर-क्षीर विवेक पर गर्व था। यह विश्वास था कि इनकी बुद्धि से सबका भला होगा, देश की उन्नति में योगदान दिखेगा, नवनिर्माण और विकास की धाराओं को सम्बल प्राप्त होगा और ऐसा कुछ हो सकेगा कि दुनिया में अपने मुल्क का नाम […]
26 जनवरी को एक कथित किसान नवनीत सिंह की मौत हो गयी। मीडिया ने हल्ला मचाया कि पुलिस ने गोली मार दी, लेकिन CCTV फुटेज से पता लगा कि नवनीत साहब तो स्टंट कर रहे थे, तेजी से ट्रेक्टर चला कर बैरिकेड्स पर चढ़ा दिया, जिससे ट्रेक्टर पलटा और उसकी मौत हो गई। लेकिन इस […]
लोकेन्द्र सिंह राजपूत एक अन्य तथ्य भी ध्यान रखिए कि भारत की स्वतंत्रता के संकल्प को शक्ति देने के लिए ‘राम-नाम जाप’ का आग्रह लेकर जब भाई पोद्दार मुंबई में महात्मा गांधी से मिले थे, तब गांधीजी ने ‘राम-नाम’ का प्रसार करने के लिए प्रशंसा की थी। भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी […]
जैसा कि पहले भी कई बार कहा जा चुका है कि वामपंथियों और कांग्रेसियों ने भारत के गौरवशाली हिन्दू इतिहास को शर्मनाक बताने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है… क्रूर, अत्याचारी और अनाचारी मुगल शासकों के गुणगान करने में इन लोगों को आत्मिक सुख की अनुभूति होती है। लेकिन यह मामला उससे भी बढ़कर […]
हिमाचल और कर्नाटक विधानसभा में जीत के बाद छुई मुई – सी कांग्रेस पार्टी का फिर से बोलबाला होने की बात गाजे बाजे के साथ उठाई जा रही है। यह कांग्रेस पार्टी 28 दिसंबर 1885 को ए. ओ. हयुम, मौलाना आजाद, मोहन दास गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री,मोरारजी देसाई और देवराज अर्स आदि के नेतृत्व […]
स्वदेश कुमार हिन्दुस्तान की सियासत में दलित चिंतक और संविधान निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर के कद का कोई दूसरा दलित नेता नहीं ‘पैदा’ हुआ। उनके बाद देश की सक्रिय राजनीति में जो दो बड़े दलित नेता हुए। उसमें एक थे कांग्रेस पार्टी के बाबू जगजीवन राम तो दूसरे थे कांशीराम, जिन्हें उनके चाहने वाले मान्यवर […]
क्या इस बात के प्रमाण हैं? जी हां हैं। दरअसल एक ही चीज को कई दृष्टियों से देखा जा सकता है। जो जैसी दृष्टि वाला होगा वैसी ही चीज उसे दिखायी देगा। अमिताभ बच्चन की एक फ़िल्म है जिसमें वह हाँथ में 6 लिखकर अपने बेटे से पूंछता है कि क्या लिखा है। वह कहता […]
भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है। इसके संकेत बहुत पहले मिलने लगे थे। यह एक और विभाजन की आहट है। असम में घुसपैठ के खिलाफ चले आंदोलन के कारण 1981 के बाद घुसपैठिये असम की बजाय प.बंगाल और उत्तर प्रदेश में जाकर बसने लगे। 1981 से 1991 के बीच राष्ट्रीय […]