ये षडय़ंत्रकारी मिथक भी अब टूटना चाहिए कि भूमि को लेकर विश्व लड़ता आया है। इसके स्थान पर भारतीय संस्कृति की यह क्षात्र-परम्परा अब पुन: प्रतिष्ठित हो कि दूसरों की भूमि को लेकर हड़पना, उन पर अपना वर्चस्व स्थापित करना दुष्टता है, जिसके विरोध में हम सदा युद्घ करते आये हैं और करते रहेंगे। संक्षेप […]
Category: भयानक राजनीतिक षडयंत्र
यह धारणा भी इण्डो अरब संस्कृति के कथित उपासकों की इस काल्पनिक संस्कृति की परिचायक है। यदि वास्तव में यह मान लिया जाए कि संसार में जितने भी युद्घ हुए हैं वे सभी अपने-अपने वर्चस्व की स्थापना के लिए हुए हैं और ऐसा तो होता ही आया है और होता भी रहेगा, तो परिणाम क्या […]
इस्लाम की व्यवस्था देखिये इस्लाम में स्पष्ट व्यवस्था है-”ऐसी औरतें जिनका खाविन्द (पति) जिंदा है, उनको लेना हराम है, मगर जो कैद होकर तुम्हारे साथ लगी हों उनके लिए तुम्हें खुदा का हुक्म है और उनके सिवाय भी अन्य दूसरी सब औरतें हलाल हैं, जिनको तुम माल अस्वाब देकर कैद से लाना चाहो, न कि […]
यह काल नि:संदेह भारत में मुस्लिम शासन में ही आया था। अन्यथा हमारी तो मान्यता थी कि- ‘यंत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’ अर्थात जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता है। हमने माता को निर्माता माना। व्यष्टि से समष्टि तक में उसकी प्रधानता को और उसकी महत्ता को स्वीकार किया। […]
जर, जोरू और जमीन
भारतीय समाज में सामान्यतया जनसाधारण को यह कहते हुए सुना जाता है कि जर, जोरू और जमीन पर तो विश्व हमेशा से लड़ता आया है। हम विचार करें कि यह कथन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के संदर्भ में कितना प्रासंगिक और सार्थक है? गहराई से पड़ताल की जाए तो ज्ञात होता है कि इस जर, जोरू […]
भारत में आज न्यायालयों में करोड़ों वाद लंबित हैं। सस्ता और सुलभ न्याय देना सरकारी नीतियों का एक अंग है। किंतु यथार्थ में न्याय इस देश में इतना महंगा और देर से मिलने वाला हो गया है कि कई बार तो न्याय प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भी वह न्याय भी अन्याय सा प्रतीत होने […]
हिन्दू इस भारतीय राष्ट्र की चेतना शक्ति का नाम है, इसकी आत्मा है। हिन्दुत्व उस प्रसुप्त शक्ति का नाम है जो इस राष्ट्र में राष्ट्रवाद की भावना को जगाकर सारे राष्ट्र को आंदोलित और चेतनामय करने की क्षमता और सामथ्र्य रखती है। भारत का यह दुर्भाग्य रहा कि इस प्रसुप्त शक्ति को सोई हुई शक्ति […]