लेखक- पं० चमूपति जी, प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ, #डॉविवेकआर्य •अनजाने में मिथ्याकथन महात्मा कहते हैं ऋषि ने अनजाने में मिथ्या कथन किया है। ‘अनजाने में मिथ्या कथन’ से महात्मा का तात्पर्य क्या है? क्या ऋषि ने इन मत मतान्तरों का भाव अशुद्ध समझा? यह सम्भव है! अन्ततोगत्वा ऋषि भी मनुष्य थे। दूसरा यह कि समझा […]
श्रेणी: भयानक राजनीतिक षडयंत्र
भारतीय समाज पर मुगलों का प्रभाव भारतीय समाज पर मुगल शासनकाल का यह है गम्भीर प्रभाव है। मुगल काल में आर्य परम्परा के सर्वथा विपरीत आचरण करने वाले लम्पट शासकों को देश का पूजनीय शासक बनाने का चाहे जितना प्रयास किया गया हो, परन्तु भारतीय आर्य परम्परा की श्रेष्ठता की निकृष्टतम श्रेणी में भी […]
जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब की हिन्दू नीति अकबर के लिए कहा जाता है कि उसकी सेना में अधिकांश लोग हिन्दू हुआ करते थे । जिन पर उसका बहुत अधिक विश्वास होता था । अकबर की सेना में रहने वाले इन हिन्दुओं को अकबर की तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के साथ जोड़कर देखा जाता है। जिससे कि पाठक […]
अकबर का ‘फतहनामा’ मध्यकालीन इतिहास में जब मुगल और उनसे पहले तुर्क भारतवर्ष में अपने अत्याचारों के माध्यम से हिन्दू उत्पीड़न के कार्यों में लगे हुए थे, उस समय एक प्रकार से ये लोग दंगाइयों के रूप में ही घूम रहे थे। हिन्दू अस्मिता से खिलवाड़ करना और हिन्दू विनाश करना इनका उद्देश्य था। अकबर […]
भगवान राम से द्वेष क्यों? रामसेतु के विषय मे जब कोर्ट केस हुआ तब मनमोहन सिंह की सरकार ने श्रीराम को काल्पनिक बताया। सरकार ने कहा कि कभी कोई राम हुए ही नहीं। ममता बैनर्जी जय श्री राम के नारे से चिढ़ती है। करुणानिधि सरे आम भगवान राम को गाली देता है। मायावती और करुणानिधि […]
क्या होते हैं साम्प्रदायिक दंगे ? वास्तव में दंगे किसी सम्प्रदाय विशेष की साम्प्रदायिक सोच के विरुद्ध भड़की हुई हिंसा होती है। जिसे कोई एक वर्ग जब सहन करने से इंकार कर देता है तो क्रोध बेलगाम होकर बाहर आ जाता है ।ऐसा ही हम आज भी देखते हैं। मेरठ जैसे जिन शहरों में रह-रहकर […]
राजपूत योद्धाओं की कर दी थी हत्या अकबर की चित्तौड़ विजय के विषय में अबुल फजल ने लिखा था- ”अकबर के आदेशानुसार प्रथम 8000 राजपूत योद्धाओं को बंदी बना लिया गया, और बाद में उनका वध कर दिया गया।” ‘प्रात:काल से दोपहर तक अन्य 40000 किसानों का भी वध कर दिया गया , जिनमें 3000 […]
मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना , अध्याय – 7 ( 2) मन्दिर के लिए हिन्दुओं ने दिए हैं अप्रतिम बलिदान हिन्दुओं के प्रति बाबर भी हर मुस्लिम बादशाह की भांति कट्टर और निर्दयी था। उसने अपने पहले आक्रमण में ही बाजौर में 3000 से भी अधिक निर्दोष और निरपराध हिन्दुओं […]
सन्दर्भ-स्वामी दयानन्द कृत सत्यार्थ प्रकाश- 11 वां समुल्लास) (हमारे देश में साधुओं के नाम पर मुफ्तखोरों की फौज बढ़ती जाती है। स्वामी दयानन्द इन मुफ्तखोरों के प्रबल विरोधी थे। स्वामी जी चाहते थे की गृहस्थ आदि इन सन्यासी के वस्त्र धारण करने वाले ठगों से बचे। सत्यार्थ प्रकाश के 11 समुल्लास में इनकी ठगी की […]
बाबर व अकबर के शासन काल में हिन्दू दमन भारत के लाखों करोड़ों वर्ष के इतिहास को गहरे गड्ढे में दबाकर भारतद्वेषी इतिहासकारों ने केवल और केवल मुगल काल को प्रमुखता देते हुए उसे कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि जैसे आज का भारत मुगलों के स्वर्णिम शासन काल की ही देन है । […]