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स्वार्थी राजनीति का नमूना है संसदीय गतिरोध

मृत्युंजय दीक्षित जैसी की संभावना व आशंका व्यक्त की जा रही थी कि संसद का मानसून सत्र हंगामें की भेंट चढ़ जायेगा ठीक वैसा ही हो रहा है। विदेश यात्रा से लौटकर आने के बाद कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी ने कांग्रेस की राजनीति को पटरी पर लाने के लिए मोदी सरकार पर एक के बाद […]

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याकूब मेमन की फांसी पर सियासत

विजय कुमार गुप्ता याकूब मेमन को भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी दी है और यहां तक की राष्ट्रपति द्वारा भी मेनन के याचिका को ठुकराया जा चुका था। ऐसे में अगर मेनन को फांसी की सजा होती है तो इसमें उस व्यक्ति को बोलने का कतई अधिकार नहीं जो कानून और साक्ष्य के प्रति अपरिचित […]

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अंतहीन लालच के बीच त्याग की मिसाल

विश्वनाथ सचदेव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के संपन्न लोगों से अपील की है कि वे गोबर या लकड़ी के धुएं में भोजन पकाने के लिए शापित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सब्सिडी वाली गैस का त्याग करें। ऐसी ही एक अपील कुछ प्रबुद्ध नागिरकों ने अपने सांसदों-विधायकों से की है कि वे अपनी […]

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असरदार और ताकतवर ढंग से जवाब चाहता है पाकिस्तान

शिवदेव आर्य भारत एक शान्तिप्रिय व सद्व्यवहार को बढ़ावा देने वाला देश है। जो प्रति क्षण प्रत्येक की उन्नति में स्वयं की उन्नति को स्वीकार करता है। शायद इसी कारण से भारत की ओर से पाकिस्तान के साथ दोनों देशों में शान्ति बनायें रखने के लिए वार्ता करने की कोशिश की जाती रही है। लिखित […]

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भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूबी प्राथमिक शिक्षा

वर्ष 2015-16 के नये शैक्षिक सत्र का आगाज हो गया है। प्रदेश का शिक्षा विभाग हर वर्ष लम्बे -चैड़े वायदों व नारों के साथ शैक्षणिक कार्यो का प्रारम्भ करवाता है। स्कूल जाने वाले बच्चों व नये प्रवेश लेने वाले बच्चों के लिये तमाम तरह की योजनाओं की घोषणा की जाती है व सरकार हर वर्ष […]

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विपक्ष का असंसदीय आचरण

अरविंद जयतिलक पिछले एक सप्ताह से जिस तरह विपक्ष गैर लोकतांत्रिक तरीके का प्रदर्शन कर संसद न चलने देने की जिद पर अड़ा हुआ है यह उसके असंसदीय आचरण का ही बोध कराता है। समझना कठिन है कि जब सरकार संसद में हर मसले पर चर्चा को तैयार है तो विपक्ष देशहित में संजीदगी न […]

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संसदीय अवरोधों की त्रासदी

कुलदीप नैयर लेखक संसद में इस तरह की अव्यवस्थाएं किसी भी कोण से जायज नहीं ठहराई जा सकतीं। मुझे डर लगने लगा है कि इस तरह से कहीं मानसून सत्र पूरी तरह से धुल न जाए। अगर ऐसा होता है, तो लंबे समय तक इस नुकसान की भरपाई नहीं हो पाएगी। संसद के ये अवरोध […]

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पारदर्शिता से भागते राजनीतिक दल

पीयूष द्विवेदी यूँ तो देश के सभी राजनीतिक दल पारदर्शिता की बातें करने में एक से बढक़र एक हैं, लेकिन जब उनके खुद पारदर्शी होने की बात आती है तो वे तरह-तरह के कुतर्क गढक़र इससे बचने की कवायद करने लगते हैं। गौर करें तो आज से लगभग दो वर्ष पहले केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा […]

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देश के लिए घातक है संसद में शोर शराबा

सुरेश हिन्दुस्थानी भारत की संसद में जिस प्रकार से सरकार पर हमला बोला जा रहा है, उससे देश को बहुत बड़ी क्षति हो रही है। आज देश में भले ही राजनीतिक सत्ता परिवर्तित हो चुकी है, लेकिन संसद में जिस प्रकार की राजनीति कांग्रेस के शासनकाल में शुरू हुई थी, उसी का परिपालन करते हुए […]

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बाज आएं राजनीतिक दल जातिवाद की सियासत से

जातिगत जनगणना के आंकड़ों की आड़ में हो रही राजनीति के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री ने यह स्पष्ट करके अच्छा किया कि राज्यों को ये आंकड़े पहले ही भेजे जा चुके हैं और वे जातियों-उपजातियों, गोत्रों आदि के असमंजस को दूर कर दें तो फिर तर्कसंगत वर्गीकरण का काम शुरू हो। यह काम ‘नीति आयोग की […]

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