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लोकतंत्र के लिए सबसे शर्मनाक सत्र

मृत्युंजय दीक्षित संसद का वर्तमान मानसून सत्र संभवत: 68 वर्षो में सबसे शर्मनाक सत्र के रूप में याद किया जायेगा। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश के जनमानस मे आशा व उम्मीदों का एक नया दीप जला था लेकिन कांग्रेस पार्टी के केवल दो बड़े नेताओं श्रीमती सोनिया गांधी व राहुल गांधी की […]

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नाक की लड़ाई बना संसदीय हंगामा

उमेश चतुर्वेदी लोकसभा से कांग्रेस के 25 सांसदों के निलंबन के बाद कांग्रेस का आक्रामक होना स्वाभाविक ही है। लोकतांत्रिक समाज में विपक्ष अक्सर ऐसे अवसरों की ताक में रहता है, ताकि वह खुद को शहीद साबित करके जनता की नजरों में चढ़ सके। ठीक सवाल साल पहले मिली ऐतिहासिक और करारी हार से पस्त […]

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रेलवे में हादसों की रफ्तार बनाम सुरक्षा की पटरी

प्रमोद भार्गव रेलवे में सुरक्षा इंतजामों के तहत वाइफाइ व्यवस्था शुरू करने से पहले उन ग्यारह हजार चार सौ तिरसठ पार-पथों पर भूतल और उपरिगामी पुलों की जरूरत है, जो मानव रहित हैं। इनके अलावा सात हजार तीन सौ बाईस फाटक वाले पार पथ भी हैं। इन सभी पुलों पर आए दिन हादसे होते रहते […]

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पैरोडी बनता बिहार चुनाव

विडंबना है कि बिहार के चुनावों को पैरोडी में तबदील कर दिया गया है। पैरोडी के मायने हैं-किसी बात को तोड़-मरोड़ कर, नई तुकबंदी के साथ कहना। बेशक प्रधानमंत्री मोदी हों या नीतीश कुमार-लालू यादव, वे पुख्ता मुद्दों और भावी विकास के ब्लू प्रिंट पेश करने के बजाय पैरोडियां बनाने में व्यस्त हैं। प्रधानमंत्री मोदी […]

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कृपया चुनावी भाषणों को गालियों में तब्दील मत कीजिए

शैलेन्द्र चौहान एक समय था जब नेता एक-दूसरे के प्रति शालीन भाषा का इस्तेमाल करते थे। वे इसका ख्याल रखते थे कि राजनीतिक बयानबाजी व्यक्तिगत आक्षेप के स्तर पर न आने पाए। उनकी ओर से ऐसी टिप्पणियों से बचा जाता था जो राजनीतिक माहौल में कटुता और वैमनस्य पैदा कर सकती थीं। दुर्भाग्य से आज […]

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दिल्ली में सरकारों का छाया-युद्ध

विकास नारायण विज्ञापनों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही नहीं, पुलिस कमिश्नर बस्सी भी दिल्ली की जनता के प्रति सजग रहना चाहते हैं। यहां तक कि उपराज्यपाल नजीब जंग अपने कार्यकलापों में बेशक रीढ़-विहीन नजर आएं, संशय-विहीन नहीं कहे जा सकते। अन्यथा आरोप-प्रत्यारोप की वर्तमान कवायद में अबूझ क्या है? कौन नहीं जानता कि दिल्ली की […]

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बिहार में दिखे परिवर्तन के संकेत

सुरेश हिन्दुस्थानी बिहार में भाजपा के समर्थन में हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली ने यह तो प्रमाणित कर ही दिया है, कि अभी उनका जादू समाप्त नहीं हुआ है। भाजपा की इस आमसभा में उमड़ी भीड़ ने निश्चित रूप से राष्ट्रीय जनता दल और जनतादल एकीकृत के सपनों पर तुषारापात किया होगा। प्रधानमंत्री मोदी […]

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बनावटीपन से ताजिंदगी दूर रहे यादवराव देशमुख

उमेश चतुर्वेदी पांचजन्य के संपादक रहे, सहजता की अनन्य मूर्ति, खालिस सहज इन्सान और अपने चहेतों के बीच काकू के तौर पर मशहूर यादवराव देशमुख चार जून को वहां के लिए कूच कर गए, जहां से कोई लौटकर नहीं आताज्दीनदयाल शोध संस्थान के प्रमुख रहे 87 साल के यादव राव देशमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के […]

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लोकतांत्रिक भूमिका से दूर होती कांग्रेस

सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में भारत की संसद में जिस प्रकार का विरोधाभास दिखाई दे रहा है, उसमें लोकतंत्र की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं। अपने अपने पक्ष पर फेविकोल की तरह चिपकी हुई दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी टस से मस होने का नाम तक नहीं ले रहीं है। ऐसे […]

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वर्तमान परिस्थितियों में संतुलित विकास ही है समाधान

विश्वनाथ सचदेव देश की विदेशमंत्री पर एक ‘भगोड़े अपराधी’ की सहायता का आरोप लगा है; एक राज्य की मुख्यमंत्री भी आरोपों के घेरे में है; एक पश्चिमी राज्य के चार मंत्री कथित घोटालों के विवादों में घिरे हैं; एक अन्य राज्य में परीक्षाओं को लेकर चल रहे विवाद की आंच से सरकार झुलस रही है- […]

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