सियासत में रास्ते कभी खत्म नहीं होते। मुलायम सिंह के कठोर तेवर के बाद महागठबंघन में जहां सबकुछ ठहरा नजर आने लगा है तो दूसरी ओर सुलह के प्रयास भी शुरू कर दिए गए हैं। पहले मनाने-रिझाने पर माथापच्ची होगी। विकल्पों पर विचार या आरपार आखिरी रास्ता होगा। सवाल उठता है कि अगर गतिरोध नहीं […]
Category: राजनीति
बिहार की करवट बदलती राजनीति
सुरेश हिन्दुस्थानी बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए राजनीतिक करवट बदलने का जोरदार अभियान प्रारम्भ हो गया है। इसकी राजनीतिक परिणति किस रूप में सामने आएगी, अभी ऐसा दृश्य दिखाई नहीं दे रहा, लेकिन इतना जरूर है कि राजनीतिक धुरंधरों के लिए प्रतिष्ठा बन चुका यह चुनावी समर राजनीतिक भविष्य […]
मृत्युंजय दीक्षित आजकल बिहार विधानसभा चुनावों का दौर चल रहा है। बिहार के चुनावों में जातिगत मुददा हावी है इसी बीच केंद्र सरकार ने धर्म आधारित जनगणना के आंकड़ों को बेहद शांत तरीके से जारी कर दिये हैं जिसके बाद जनमानस में एक नयी बहस को भी जन्म दे दिया है। इन आंकड़ों को देखकर […]
भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा, पारदर्शिता, पुनर्वास और पुनस्र्थापना अधिनियम-2013 में संशोधन के लिए लाए गए अध्यादेश की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो गई। अध्यादेश का स्थान लेने के लिए विधेयक संसद की स्थायी समित के समक्ष लंबित है। इसमें अचरज नहीं कि देश में भूमि अधिग्रहण कानून की प्रकृति और भविष्य को लेकर […]
मोदी हैं हुशियार -एक तीर से कई शिकार
हरिहर शर्मा सरकार की नीतिगत घोषणाएं सीधे जनता के बीच करने की अनोखी पहल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। कल 11 वीं बार जनता से मन की बात करते हुए उन्होंने यह घोषणा की कि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण को अब दोबारा नहीं लाया जायेगा। स्मरणीय है कि उक्त अध्यादेश की अवधि 31 अगस्त […]
मृत्युंजय दीक्षित भारतीय राजनीति वाकई में बहुत ही कलरफुल हो गयी है। इस देश में अब ऐसा कोई भी मुददा नही बच रहा है जोकि तुष्टीकरण की राजनीति की भेंट न चढ जाये। नई दिल्ली नगर महापालिका ने औरंगजेब रोड का नाम पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न स्व. डा. ए पी जे अब्दुल कलाम क्या रख दिया […]
आंदोलन की बलि पर अनावश्यक चढ़ा कर खड़े कर दिए गए गुजरात के संदर्भ में तीन नाम प्रतीक स्वरूप प्रस्तुत हैं. एक- कभी प्रधानमंत्री की दौड़ में असमय प्रवेश करके विध्वंस मचानें वाले नितीश, दूजे- समय-समय पर परिपक्वता का परिचय देते रहे शरद यादव और तीजे- गुजरात के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी. गुजरात में […]
बिहार चुनावः अग्निपरीक्षा किसकी ?
संजय द्विवेदी बिहार का चुनाव वैसे तो एक प्रदेश का चुनाव है, किंतु इसके परिणाम पूरे देश को प्रभावित करेंगें और विपक्षी एकता के महाप्रयोग को स्थापित या विस्थापित भी कर देगें। बिहार चुनाव की तिथियां आने के पहले ही जैसे हालात बिहार में बने हैं, उससे वह चर्चा के केंद्र में आ चुका है। […]
राष्ट्रवादी राजनीति
जब 1947 में मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बन गया था तो यह कहना कि आज हिन्दुओं से ही भारत है, अनुचित नहीं होगा।भारत है तो हिन्दू है और हिन्दू है तो भारत है व तभी भारतीय जनता पार्टी है ।अतः धर्म से ऊपर उठ कर पार्टी की बात करना बेमानी है। जिस देश में जातियों […]
अपने कर्तव्य से दूर भागते राजनितिक दल
यह अब सर्वविदित हो चुका है कि संसद चर्चा के बजाय लड़ाई का मैदान बन गई है। एक ओर संसद सदस्य जनता और देश से सम्बंधित मुद्दों ,समस्याओं और मामलों पर संसद में चर्चा करने अर्थात अपने कर्तव्य से दूर भाग अपनी अकर्मण्यता सिद्ध कर रहे हैं , वहीँ दूसरी ओर वे अपने पर कोई […]