भारत के जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं-उनमें से उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर हम प्रकाश डाल चुके हैं। अब आते हैं उत्तराखण्ड पर। उत्तराखण्ड 9 नवंबर 2000 से पूर्व उत्तर प्रदेश का ही एक अंग रहा है। पुराणों में इसका प्राचीन नाम केदारखण्ड एवं मानस खण्ड मिलता है। केदार […]
Category: राजनीति
दिल्ली को ‘स्वर्ग’ बनाने के पश्चात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अब पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के सपने देखने लगे हैं। हम उनके इन सपनों को मुंगेरीलाल के हसीन सपने नहीं कहेंगे, क्योंकि सपने देखना हर व्यक्ति नैसर्गिक अधिकार है, और लोकतंत्र व्यक्ति के सपनों का न केवल सम्मान करता है, अपितु उन्हें साकार कराने […]
इस समय सभी प्रदेश वासियों के मन मस्तिष्क में एक ही प्रश्न कौंध रहा है कि इस बार प्रदेश के सिंहासन का स्वामी कौन बनने जा रहा है? सपा के कलह ने राजनैतिक समीकरणों को कुछ हिलाया तो है, पर इस सारे घटनाक्रम से अखिलेश यादव जिस प्रकार निपटे हैं और उन्होंने अपनी सपा को […]
इधर हम सभी नोटबंदी और उत्तर प्रदेश में सपा की नौटंकी देखने में व्यस्त रहे और उधर जम्मू कश्मीर की विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने एक बार पुन: राष्ट्रगान का अपमान कर डाला। इधर हम पांच राज्यों के चुनावों की तैयारियां कर रहे हैं और उधर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला […]
आम आदमी को लेकर हो रही राजनीति
बाल मुकुंद ओझा आम आदमी आजकल सर्वत्र चर्चा में है। राजनीतिक दलों के लिए आम आदमी शब्द की अपनी व्याख्या है। नेता लोग गाहे-बगाहे आम आदमी पर भाषण झाड़ते रहते हैं। चुनाव के दिनों में आम आदमी सबका प्रिय हो जाता है, सबको उसकी फिक्र सताने लगती है! सत्तारूढ़ दल जहां आम आदमी के विकास […]
माया की नजर, मोदी-महागठबंधन और मुसलमान पर
बसपा सुप्रीमों मायावती को पल-पल बदलती यूपी की सियासत तस्वीर ने हैरान-परेशान कर रखा है। एक पल उन्हें सत्ता बेहद करीब नजर आती है तो दूसरे ही पल उन्हें सत्ता की चाबी दूर नजर आने लगती है। वह विरोधियों के हर कदम पर नजर रखे हैं। सपा-कांगे्रस के अन्य छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर महागठबंधन […]
कालाधन वापसी का शुरू हुआ सिलसिला
प्रमोद भार्गव कम ही सही कालाधन वापसी का सिलसिला शुरू होना देश के लिए फलदायी खबर है। राजग सरकार द्वारा सख्ती बरतने और कालाधन उजागर करने की तारीख तय कर दिए जाने के कारण ऐसा संभव हुआ है। 30 सितंबर तक कालेधन के 638 कुबेरों ने 3770 करोड़ रुपए का खुलासा किया है। जिन लोगों […]
प्रवीन गुगनानी गत सप्ताह संयुक्त राष्ट्र संघ के उल्लेख वाली दो घटनाएं देश भर के ध्यान में रही. इन दोनों घटनाओं का दीर्घकालीन प्रभाव भारत में और विश्व में देखनें को मिलता रहेगा. वैसे आजम खान जिस प्रकार की राजनैतिक प्रवृत्तियों के लती और नशेड़ी रहें हैं उस अनुसार उनके लिए राष्ट्र विरोध, संविधान उल्लंघन, […]
बदलते हुए बिहार को समझना होगा – एनके सिंह
चुनाव आयोग के एक सर्वे के अनुसार बिहार के 80 प्रतिशत मतदाताओं का मानना है कि पैसे या गिफ्ट लेकर मतदान करने में कोई बुराई नहीं है। कोई 4500 से अधिक लोगों के सैंपल साइज के आधार पर किए गए इस सर्वे का निष्कर्ष राज्य के चुनाव तंत्र के लिए एक चुनौती बन गया है। […]
आभासी सांप्रदायिकता के खतरे
संजय द्विवेदी जिस तरह का माहौल अचानक बना है, वह बताता है कि भारत अचानक अल्पसंख्यकों (खासकर मुसलमान) के लिए एक खतरनाक देश बन गया है और इसके चलते उनका यहां रहना मुश्किल है। उप्र सरकार के एक मंत्री यूएनओ जाने की बात कर रहे हैं तो कई साहित्यकार अपने साहित्य अकादमी सम्मान लौटाने पर […]