अजय कुमार समझ में नहीं आता है क्यों हमारे राजनीतिक दल इस ताक में बैठे रहते हैं कि विरोधी दल के राज्य में कोई गंभीर घटना घटे तो वे वहां दौड़ लगाएं? क्या इस तरह की गिद्ध राजनीति से समाज की उस मानसिकता का निदान हो जाएगा। भगवान सब को एक समान धरती पर भेजता […]
श्रेणी: राजनीति
काफी पहले की बात है जब गुजरात में प्लेग फैल गया था। सन 1994 का साल था और अख़बारों में वहां से भाग रहे लोगों और मौतों का आंकड़ा दिखने लगा था। कहने को तो इसे कई बार गुजरात प्लेग या सूरत प्लेग कहा जाता है, लेकिन आंकड़े देखें तो नजर आता है कि गुजरात […]
धरमलाल कौशिक कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भी ‘फसल बिकने के बाद 48 घंटों में उठाव और निर्धारित समय में भुगतान’ का वादा किया था लेकिन किसान कभी नहीं भूलेंगे कि अब नयी फसल आने को है लेकिन आज तक किसानों को धान की पूरी कीमत नहीं दे पायी है प्रदेश सरकार। अर्थशास्त्र का […]
राकेश सैन यह संयोग ही है कि अपनी स्थापना के सौ सालों के बाद अकाली दल पुन: उसी मार्ग पर खड़ा दिखाई दे रहा है जब उसे राष्ट्र हितों और अलगाववाद के बीच भेद करना पड़ रहा है तो उसे भविष्य में फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे। कृषि कानून-2020 के चलते शिरोमणि अकाली दल ने […]
– अभिनव जून 2020 में मोदी सरकार ने कृषि-सम्बन्धी तीन अध्यादेश पेश किये और सितम्बर 2020 में लोकसभा और राज्यसभा में काफ़ी हो-हल्ले के बीच उन्हें पारित कर दिया गया। अचानक सभी पूँजीवादी पार्टियाँ किसानों के पक्ष में खड़ी हो गयीं। यहाँ तक कि कुछ अनपढ़ “मार्क्सवादी” भी धनी किसानों व कुलकों के आन्दोलन के […]
प्रभुनाथ शुक्ल केंद्र सरकार की तरफ़ से कृषि सुधार पर लाया गया बिल सत्ता और विपक्ष की राजनीति में ‘मंदारी और सपेरे’ का खेल बन गया है। सरकार ने बीन बजाई और उसकी झोली से एक उम्दा ‘किसानहित’ बिल निकल गया। लेकिन यह खेल दूसरे सियासी मदारियों को नहीँ पच रहा है। कृषि सुधार के […]
संजय सक्सेना डॉ. कफील की पूरी कहानी में काफी टर्निंग प्वांइट हैं। उन्हें कोई नायक तो कोई खलनायक मानता है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद हाल ही में जेल से छूटे डॉक्टर कफील खान कितना सही हैं और कितना गलत, इस बात को लेकर लोग दो खेमों में बंटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम […]
ललित गर्ग राज्यसभा में विपक्ष द्वारा कृषि विधेयकों के विरोध प्रकट करने का असंसदीय एवं आक्रामक तरीका, सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तकरार, आठ सांसदों का निलंबन और इन स्थितियों से उत्पन्न संसदीय गतिरोध लोकतंत्र की गरिमा को धुंधलाने वाले हंै। अपने विरोध को विराट बनाने के लिये सार्थक बहस की बजाय शोर-शराबा और नारेबाजी […]
अजय कुमार मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयक के विरोध के नाम पर राज्यसभा में जोरदार हंगामा देखने को मिला। ऐसा लग रहा था मानो उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के चुनाव की तैयारी राज्यसभा के भीतर की जा रही थी। राज्यसभा जिसे उच्च सदन भी कहा जाता है, समय के साथ अपनी गरिमा […]
अजय कुमार कृषि संबंधी विधेयकों के पास होने के बाद देश के अनेक हिस्सों में राजनीति का गरमाना जितना स्वाभाविक है, उतना ही चिंताजनक भी है। विरोधी दलों के नेताओं द्वारा किसानों के प्रदर्शन के सहारे मोदी सरकार की छवि को पूंजीपतियों वाली सरकार के तौर पर पेश किया जा रहा हैं। कांग्रेस फिर ‘सड़क’ […]