मनोज कुमार किसी भी किस्म के चुनाव में मुद्दों की बड़ी अहमियत होती है लेकिन मध्यप्रदेश के हालिया उप-चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की विनम्रता ने परिणाम को बदल दिया। मध्यप्रदेश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार 28 सीटों पर उप-चुनाव की नौबत आयी और यह मन बनाने की कोशिश की गई कि दल-बदलुओं को […]
Category: राजनीति
बिहार चुनाव परिणाम मेरी दृष्टि में हारे तो सिर्फ नीतीश और सोनिया हैं। लगभग सभी राजनीतिक विश्लेषकों ,पंडितों, महाघाघ पंडितों, ‘प्री पोल’ और ‘पोस्ट पोल’ के हवा-हवाई वैज्ञानिकों एवं मोदी विरोध के लिए ही जीवित रह रहे स्वनामधन्य महानुभावों के अनुमान, भविष्वाणी तथा मनगढ़ंत सारे कयासों पर अस्वीकृति का ठप्पा लगते हुए बिहार की जनता […]
राष्ट्रीयहित सर्वोपरि’ – जनता जनार्दन
डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र बिहार में सत्तासीन जेडीयू की सीटों का कम होना और आरजेडी का बढ़त लेना भी इस ओर संकेत करते हैं। कोरोना के संकटकाल में बिहार विधानसभा के पक्ष-विपक्ष की जो भूमिका बिहार की जनता ने देखी और अनुभव की उसी के अनुरूप परिणाम देकर उसने अपनी जागरूकता प्रमाणित की है। बिहार चुनाव […]
ललित गर्ग अब समय आ गया है कि सभी राजनीतिक दल लोगों की उम्मीदों के साये तले वंशवादी राजनीति की त्रासद सच्चाई पर मंथन करें। नरेन्द्र मोदी की जादुई एवं करिश्माई राजनीति की सफलता का एक बड़ा कारण वंशवादी राजनीति को नकारना है। बिहार विधानसभा के चुनाव परिणामों से एक बात स्पष्ट हो गयी है […]
ललित गर्ग शांतिपूर्ण शासन व्यवस्था एवं सुशासन के लिये जरूरी है कि आम-जनजीवन में कम-से-कम सरकारी औपचारिकताएं हों, कानून कम हो, सरकारी विभाग कम-से-कम हों। कुछ राज्य ऐसे हैं जहां 20-25 सरकारी विभाग होने चाहिए, लेकिन उनकी संख्या 50-60 से अधिक है। सत्ता एवं समाज को विनम्र करने का हथियार मुद्दे या लॉबी नहीं, पद […]
जब रुतबा ,सत्ता , शोहरत और दौलत आदमी के हाथ से खिसकती हैं और उसे यह अहसास होता है कि अब यह कभी जिंदगी में लौट कर नहीं मिलेंगी तो उसकी हालत कैसी होती है ? इस बात को समझने के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं है ,फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को […]
– योगेश कुमार गोयल राजस्थान में गुर्जर आरक्षण को लेकर आन्दोलन तेज है। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी बैंसला का कहना है कि दो वर्षों से समाज को सिर्फ आश्वासन मिल रहा है, इसलिए मजबूरी में उन्हें आन्दोलन का रास्ता अपनाना पड़ा। हालांकि एक नवम्बर से जारी इस आन्दोलन से पहले ही […]
श्याम सुंदर भाटिया  कश्मीर की फ़िज़ा बदली-बदली सी है। हवा जहरीली है। शब्द कठोर हैं। सूबे के नजरबंद नेताओं को भले ही आजाद कर दिया गया हो, लेकिन उनके मंसूबे बेहद खतरनाक हैं। इनमें महबूबा मुफ़्ती खूब आग उगल रही हैं। अनुच्छेद 370 और 35ए की विदाई के बाद सूबे में तेजी […]
इन्दिरा गांधी की कांग्रेसी सरकार ने 25 जून, 1975 को भारतीय लोकतंत्र और प्रेस की आजादी को लेकर एक काला अध्याय जोड़ा था, लेकिन 4 नवंबर, 2020 को महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना सरकार उससे भी आगे निकल गई है। इन्दिरा गाँधी ने आपातकाल में प्रेस सेंसरशिप लगा दी थी, लेकिन किसी पत्रकार को […]
संतोष पाठक भाजपा के ऑपेरशन लोटस को लगातार कामयाबी मिलती गई और नतीजा यह है कि अब राज्यसभा का गणित पूरी तरह से बदल गया है। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी नंबर के मामले में राज्यसभा में अब तक के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंच गई है। 2019 में ऐतिहासिक बहुमत के […]