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राजनीति

मौलिक अंतर है अटल जी की भाजपा और मोदी की भाजपा में

  अजय कुमार पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल जी के 96वें जन्मदिन पर एक तरफ केन्द्र की मोदी और राज्यों की भाजपा सरकारें तमाम कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं तो दूसरी तरफ सवाल उठ रहा है कि यदि अटल जी जीवित होते तो वह आज की भाजपा में कितना प्रसांगिक होते 25 दिसंबर का दिन हिन्दुस्तान […]

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राजनीति

बंगाल के सियासी खूनी खेल के लिए जिम्मेदार कौन?

प्रणय कुमार शायद ही कोई ऐसा भारतीय होगा जो बंगाल की प्रतिभा एवं बौद्धिकता को देखकर अचंभित न रह जाता हो! पर कैसी विचित्र विडंबना है कि जो बंगाल कला, सिनेमा, संगीत, साहित्य, संस्कृति की समृद्ध विरासत और बौद्धिक श्रेष्ठता के लिए देश ही नहीं पूरी दुनिया में विख्यात रहा है, वह आज हिंसा, रक्तपात, […]

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राजनीति

कांग्रेस और पाकिस्तान के संघ विरोध में समानता क्यों ?

मनोज ज्वाला भाजपा के हाथों भारत की केन्द्रीय सत्ता से बेदखल हो चुकी कांग्रेस अपनी इस बदहाली के लिए भाजपा के बढते जनाधार से नहीं, बल्कि उसके मातृ-संगठन अर्थात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति बढती जनस्वीकार्यता से ज्यादा चिन्तित है । लोकसभा के दो-दो चुनावों में लगातार हुई हार से सहमी कांग्रेस के शीर्ष-नेतृत्व का […]

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राजनीति

किसानों को निरंतर भ्रमित कर रहा है देश का विपक्ष

  प्रमोद भार्गव तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर यह जता दिया है कि ये दल किसानों को बरगलाने का काम कर रहे हैं। जो राहुल गांधी इन कानूनों को किसान विरोधी बता रहे हैं, वही इन कृषि सुधारों को 2012 […]

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राजनीति संपादकीय

राजभर को डूब मरना चाहिए चुल्लू भर पानी में

  यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के जिन महान योद्धाओं ने भारत की जिस गौरवपूर्ण सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने के लिए और इसके धर्म को बचाने के लिए अपना प्राणोत्सर्ग किया, उन्हीं महापुरुषों के नाम पर राजनीति करने वाले अवसरवादी और इतिहासबोध व राष्ट्रबोध से सर्वथा शून्य राजनीतिक लोग उनके पौरुष, प्रताप, शौर्य, […]

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राजनीति

लोकतांत्रिक आचार विचार से दूर हिंसाचार में भटकती बंगाल की राजनीति

प्रमोद भार्गव पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला, राजनीतिक हिंसा की पराकाष्ठा है। हालांकि बंगाल में चुनावों के पहले ऐसी घटनाएं पहले भी देखने में आती रही हैं। लेकिन पिछले कुछ माह से ये घटनाएं निरंतर घट रही हैं। बावजूद राज्य सरकार इन घटनाओं पर नियंत्रण के कोई ठोस उपाय […]

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राजनीति

आज की असली समस्या किसान आंदोलन से अधिक काली राजनीति है

  ललित गर्ग किसानों के व्यापक हितों के लिये केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद के दोनों सदनों में इन तीन कृषि कानूनों को पारित किया, जो राष्ट्रपति की सहमति से लागू किए गए। अब विभिन्न राजनीतिक दलों की शह पर इन कानूनों के खिलाफ ये किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। […]

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राजनीति

खूनी राजनीति में लथपथ बंगाल का सच

अरविंद जयतिलक पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्य के अन्य शीर्ष नेताओं के काफिले पर पथराव और सुनियोजित हमला कुलमिलाकर राज्य में ध्वस्त हो चुकी कानून-व्यवस्था और बदतर हो चुकी सत्ता मशीनरी की दारुण स्थिति को ही रेखांकित करता है। उपर से दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ममता बनर्जी […]

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मुद्दा राजनीति संपादकीय

मुद्दों को भूल जाना हम भारतीयों का पुराना रोग है

वर्तमान केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए किसानों संबंधित कानूनों को लेकर देश के कुछ किसान आंदोलनरत हैं , उन पर आरोप है कि उनमें से अधिकांश यह नहीं जानते कि केंद्र सरकार जो कानून लाई है उसकी विषय वस्तु क्या है ? और वह किस का विरोध कर रहे हैं। वास्तव में मुद्दों के […]

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राजनीति

मुलायम का समाजवाद और चाचा भतीजे की लड़ाई

  अजय कुमार ऐसा लग रहा है कि मुलायम सिंह यादव के सक्रिय राजनीति से दूरी बना लेने के बाद समाजवादी पार्टी के बुरे दिन खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव सपा मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में लड़ी और जीती थी। घर का झगड़ा अगर घर के […]

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