नदीम राजनीति क्या इतनी बुरी चीज है? जेहन में यह सवाल इसलिए आया कि हमने जब तब अपने शीर्ष नेताओं को यह कहते हुए सुना है कि ‘इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।’ कई बार तो ऐसा लगा कि हो सकता है राजनीति गंदी ही होती हो, तभी तो हमारे नेता लोग किसी गंभीर […]
Category: राजनीति
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर धर्मनिरपेक्ष राजनीति एक बार फिर हुई नंगी गाजियाबाद ( ब्यूरो डेस्क) कांग्रेसी और सेकुलरिस्ट पार्टी देश, धर्म और संस्कृति के परिचायक शब्दों से पहले दिन से ही घृणा करती चली आई हैं। चाहे राहुल गांधी हों चाहे ममता बनर्जी हों या कोई और सेकुलरिस्ट नेता हो […]
भाजपा निरंतर अपनी बढ़त बनाए हुए हैं
अजय कुमार गाँव-गाँव में पार्टी की मजबूती के लिए भाजपा ने बनाया मेगा प्लान 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी ने हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद की ऐसी अलख जलाई की शहर से लेकर गाँव तक में मोदी-मोदी होने लगा, लेकिन इसका यह मतलब नहीं था कि बीजेपी ने गाँव-देहात में अपने संगठन को मजबूत कर […]
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा इन संस्थाओं के चुनावों में निष्पक्ष चुनावों की या यों कहें कि निष्पक्ष मतदान की बात की जाए तो उसका कोई मतलब ही नहीं है। साफ हो जाता है कि कुछ ठेकेदार बोली लगाकर सरपंच बनवा देते हैं और आम मतदाता देखता ही रह जाता है। भले ही महाराष्ट्र के […]
अवधेश कुमार बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अजेंडा हमेशा से गहन चर्चा का विषय रहा है। चूंकि केंद्र में बीजेपी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है और अनेक राज्यों में भी वह शासन में है, इसलिए यह समझना जरूरी है कि आने वाले समय में सरकारी या गैर सरकारी स्तर पर उनका अजेंडा क्या […]
योगेश कुमार गोयल वर्ष 2026 में देश में लोकसभा सीटों के परिसीमन का कार्य होना है, जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा की सीटें बढ़ जाएंगी। परिसीमन का कार्य होने के बाद लोकसभा में सांसदों की संख्या 545 से बढ़कर 700 से ज्यादा हो सकती है। इसी प्रकार राज्यसभा की सीटें भी बढ़ सकती हैं। सुप्रीम […]
संतोष पाठक इस बार छोटे भाई की भूमिका में बिहार के मुख्यमंत्री के तेवर शुरुआत से ही बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। भाषण देते हुए शांति से अपनी बात रखने वाले नीतीश कुमार की सबसे बड़ी राजनीतिक खासियत यही मानी जाती थी कि वो कम बोलते हैं, नपा-तुला बोलते हैं। बिहार में मिलकर […]
यदि भीड़ और सभा में अंतर किया जाए तो पता चलता है कि भीड़ भावना प्रधान होती है ,जबकि सभा व्यवस्था प्रधान होती है ? व्यवस्था में सब कुछ सिस्टमैटिक होता है, जबकि भीड़ में सब कुछ अव्यवस्थित होता है । यदि एक तरफ दो-चार आदमी भागना आरंभ कर दें तो सारी भीड़ बिना […]
अवसरवादी राजनीति और सत्य इतिहास
डॉ विवेक आर्य भीमा कोरेगांव की घटना को कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी लोग दलित और आदिवासियों पर हुए अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष के रूप में दर्शाने का प्रयास कर रहे है। सत्य यह है कि हमारे देश की कुछ विभाजनकारी मानसिकता को बढ़ावा देने वाली ताकतें अपना राजनीतिक भविष्य बनाने के चक्कर में देशवासियों को […]
ललित गर्ग कोरोना वैक्सीन पर चल रही स्तरहीन राजनीति भारतीय वैज्ञानिकों का अपमान है।स्वदेशी कोरोना वैक्सीन पर चल रही स्तरहीन राजनीति हमारे वैज्ञानिकों का अपमान है, उनके आत्मविश्वास को कमजोर करने का षड्यंत्र है, उजालों पर कालिख पोतने का प्रयास है। इस दुष्प्रचार को रोकने के लिए भाजपा के नेता स्वयं वैक्सीन लेकर टीकाकरण अभियान […]