सुरेश हिन्दुस्थानी पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की मर्यादाएं कितनी टूट रहीं हैं और कितनी संवर रही हैं, यह चिंतन का विषय हो सकता है। लेकिन जो राजनीतिक गहमागहमी का वातावरण बना है, वह निसंदेह सभी राजनीतिक दलों को आत्म मंथन करने के लिए बाध्य कर रहा है। पश्चिम बंगाल सहित देश के पांच राज्यों […]
Category: राजनीति
अजय कुमार कांग्रेस की प्रियंका वाड्रा को ही ले लीजिए वह उत्तर प्रदेश में बहुत एक्टिव रहती हैं। खासकर, किसी को कांटा भी चुभ जाए तो वह योगी सरकार पर राशन-पानी लेकर चढ़ जाती हैं, लेकिन जब उनकी ही पंजाब सरकार उत्तर प्रदेश के बाहुबली को ‘राज्य अतिथि’ बना लेती है तो वह चुप […]
योगी आदित्यनाथ उन्नति की अनंत संभावनाओं वाले भारत के सबसे बड़े राज्य की 24 करोड़ जनाकांक्षाओं को साकार करने का हमारा व्रत आज चार वर्ष पूर्ण कर रहा है। ‘लक्ष्य अंत्योदय, प्रण अंत्योदय, पथ अंत्योदय’ के संकल्प को आत्मसात करते हुए उत्तर प्रदेश की सेवा करते चार वर्ष कैसे बीते इसका क्षण भर भी भान […]
—————— ममता बनर्जी नंदीग्राम में चुनाव लड़ने को दो कारणो से मजबूर हुवी। भवानी पुर की सीट सुरक्षित नही रही। नंदिग्राम में पिछले लोकसभा चुनाव में TMC को राज्य में सबसे अधिक ६८ हज़ार वोटों की बढ़त मिली। लोकसभा चुनाव में भाजपा को १२१ बिधान सभा की सीटों पर बढ़त मिली टीएमसी को १६१ व […]
रमेश सर्राफ धमोरा 2019 के चुनाव में ममता की तृणमूल कांग्रेस को जहां 44.91 प्रतिशत वोट मिले वहीं भाजपा को 40.70 प्रतिशत मत मिले थे। 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस व वाम दलों ने अलग-अलग लड़ा था, जिसमें कांग्रेस को 5.67 प्रतिशत व वामदलों को 6.30 प्रतिशत मत मिले थे। देश के पांच राज्यों में […]
अंजन कुमार ठाकुर अभी के कालखंड में यशवंत सिन्हा के बराबरी के बौद्धिक और अनुभवी राजनेता शायद उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। परंतु जब कांग्रेस के एक युवा नेता के पीछे पूरा विपक्ष दुबका पड़ा है, उस कालखंड में शायद अनुभव और समझ की जरूरत भारतीय राजनीति को नहीं है। एक चुटकुला राजनीतिज्ञों के […]
सरोज सिंह ‘साड़ी में लड़कियाँ, साइकिल पर सवार हो कर स्कूल जा रही हैं।’ शिक्षा के माध्यम से छात्रों का सशक्तिकरण सरकार कैसे कर रही है, इसी थीम पर 26 जनवरी 2021 की परेड में पश्चिम बंगाल की झांकी बनाई गई थी। थीम का नाम दिया गया था – ‘सौबूज साथी’। बांग्ला में ‘सौबूज’ का […]
भारत में लोकतंत्र है या नहीं ?
डॉ. वेदप्रताप वैदिक अमेरिका के ‘फ्रीडम हाउस’ और स्वीडन के ‘डेमो-इंस्टीट्यूट’ की रिर्पोटों में कहा गया है कि भारत में अब लोकतंत्र बहुत घटिया हो गया है। अब वहाँ चुनावी लोकतंत्र तो बचा हुआ है लेकिन शासन लोकतांत्रिक नहीं है। जब से मोदी सरकार बनी है, लोगों के नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता में गिरावट आई […]
संदीपसिंह सिसोदिया तमिलनाडु की राजनीति इस समय एक तरह से ‘अनाथ’ हो गई है। पहले अम्मा (जयललिता) और फिर उडनपिराप्पे (करुणानिधि को लाखों डीएमके कार्यकर्ता उडनपिराप्पे याने बड़ा भाई पुकारते थे) नहीं रहे। दक्षिण भारत के बड़े राज्य की राजनीति में बने शून्य ने कई सवालों को जन्म दिया है। सबसे बड़ी बात है कि […]
-ः ललित गर्ग:- कांग्रेस की राजनीति की सोच एवं संस्कृति सिद्धान्तों, आदर्शों और निस्वार्थ को ताक पर रखकर सिर्फ सत्ता, पु़त्र-मोह, राजनीतिक स्वार्थ, परिवारवाद एवं सम्पदा के पीछे दौड़ी, इसलिये आज वह हर प्रतिस्पर्धा में पिछड़ती जा रही है। कांग्रेस आज उस मोड़ पर खड़ी है जहां एक समस्या समाप्त नहीं होती, उससे पहले अनेक […]