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…और हमारे नेतृत्व ने जिन्ना की रणनीति को नही समझा

प्रो. देवेन्द्र स्वरूप संविधान सभा में पंचायत पर हुई बहस को पढ़ने के बाद अनेक भ्रम दूर हो जाते हैं। उस बहस में करीब 50 सदस्यों ने भाग लिया। वे सब स्वतंत्रता संग्राम के जाने.माने नाम हैं। यह कितनी विचित्र बात है कि संविधान सभा ने जिन समितियों के माध्यम से काम किया उन समितियों […]

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मुस्लिमों का पोषण, हिन्दुओं का शोषण

आज हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ केवल मुस्लिम परस्ती व हिन्दू विरोध ही रह गया है तभी तो 2002 में गोधरा कांड की प्रतिक्रिया में हुए दंगों को लेकर आज तक रोने वाले नकली धर्मनिरपेक्षतावादी राजनेता, बुद्धिजीवी, मानवाधिकारवादी तथा मीडिया को पिछले चार-पांच दिनों से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के कवाल गांव में […]

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मनमोहन जी! ‘का वर्षा जब कृषि सुखाने’ आपका मौन तो टूटा पर बहुत देरी से…

सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्रविश्व के कुशल अर्थशास्त्रियों में शामिल हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का मौन अक्सरहां पूरे राष्ट्र को अखर जाता है। बात चाहे घोटालों, न्याय व्यवस्था,महिला सुरक्षा या भ्रष्टाचार की हो मनमोहन जी अक्सर ही बातों को ख़ामोशी से टाल जाते हैं।कुल मिला-जुलाकर यदि उनकी इस प्रवृत्ति का निष्पक्ष होकर आकलन करें तो ये […]

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देश की जनता के पैसे से ऐश करने वाले संत नही होते

रज्जाक अहमद विवादित संत आसाराम बापू के साथ एक और शर्मनाक विवाद  जुड़ गया। इस बार का मामला इतना संगीन व घिनौना है कि जिसे सुनकर हर सभ्य व्यक्ति को ऐसे लोगों से नफरत होने लगती है। लेकिन दुख की बात यह है कि अभी विवाद की जांच शुरू भी नही हुई थी कि मामले […]

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खाद्य सुरक्षा बिल की ध्यान देने योग्य कुछ खास बातें

खाद्य सुरक्षा बिल की खास बात यह है कि खाद्य सुरक्षा कानून बनने से देश की दो तिहाई आबादी को सस्ता अनाज मिलेगा। मौजूदा वक्त में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को 7 किलो गेहूं 4.15 रुपये प्रति किलो और चावल 5.65 रुपये प्रति किलो के आधार पर हर महीने मिलता है। […]

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फिर हुआ रूपये का अवमूल्यन

जगत मोहनचारों तरफ शोर मचा है रुपया गिर गया। लेकिन क्या वास्तव में रुपया गिर गया है? अगर यह रुपया गिरा है तो किसके लिये गिरा है? क्या इसके बारे में आपको पता है? यदि हाँ, तो क्या जो लोग रुपये के गिरने के कारण बने हैं, उन पर कोई कार्रवाई हुई है? यदि नहीं, […]

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देश की संप्रभुता और स्वाधीनता खतरे में

श्रीराम तिवारीजो-जो राष्ट्र अतीत में कभी किसी ‘परराष्ट्र’ के गुलाम थे और कठिन संघर्ष और बलिदानों की कीमत पर आजाद हुए वे सभी हर साल अपनी आजादी की सालगिरह पर जश्न अवश्य मनाते हैं, शहीदों की कुर्बानी को अवश्य याद करते हैं, उन्हें नमन करते हैं और संकल्प लेते हैं कि वे न केवल शहीदों […]

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भारत में भ्रष्टाचार क्या शिष्टाचार हो चुका है

डा.राज सक्सेनादेश में आए दिन सत्तारूढ़ दल के खुलने वाले आर्थिक घोटालों के प्रति सत्तारूढ़ दल का बेशर्मी से उसे नकार कर अपनी ही किसी एजेंसी को जाँच सौंप कर जाँच रिपोर्ट आने तक खुद को स्वयं ईमानदार घोषित कर दूसरों को बेईमान कह कर गरियाना अब जनता को कुछ अजीब नहीं लगता है । […]

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भावी पीएम करेंगे संसद को संबोधित

नरेन्द्र मोदी को ब्रिटेन की पार्लियामेंट को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है। साथ ही अमेरिका ने भी संकेत दिया है कि वह भारत में जिसकी भी सरकार बनेगी उसी के साथ काम करने के लिए तैयार है।दोनों संकेत स्वतंत्रता दिवस की 66वीं वर्षगांठ के अवसर पर मिले हैं, इन्हें निश्चित ही शुभसंकेत […]

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गायों का शोषण घोर पाप कर्म है

सुरेश रा. कुलकर्णीहमारे पूर्वज सृष्टि के नियमों और प्रक्रिया विधि को अच्छी तरह से जानते थे। उन्हें गाय के महत्व का भी पता था और उसे सताने, उसका उत्पीड़न करने से होने वाले परिणामों का भी ज्ञान था। इसलिए यदि इतिहास में सभी संस्कृतियों व धर्मों में गाय को पूजा जाता था। तो इसमें कोई […]

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