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नमो की मेहनत ने किया नये युग का सूत्रपात

2 सीटों से शुरू हुआ भारतीय जनता पार्टी का कारवां यूं बढ़ता हुआ इतनी जल्दी 272 के जादुई आंकड़ें को छू लेगा, इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो। मात्र 3 दशक पुरानी पार्टी यदि 16वीं लोकसभा चुनाव के बाद पूर्ण बहुमत में आकर सरकार बना रही है तो इसका श्रेय नि:संदेह पार्टी के […]

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‘आप’ को खा गये उसी के ‘पाप’

भारतीय राजनीति में जितनी तेजी से ‘आप’ का उदय हुआ उतनी ही तेजी से उससे लोगों का मोह भी भंग हो गया। वास्तव में इस पार्टी के इतनी शीघ्रता से मिट जाने के लिए इसके नेतृत्व का ‘बचकानापन’ ही अधिक जिम्मेदार रहा। दिल्ली में सत्ता की बागडोर इन्होंने संभाली और अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री […]

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चुनाव परिणामो के निहित अर्थ

राकेश कुमार आर्यइतिहास मे नया अध्याय पलटना बड़ा सरल है,परंतु नया इतिहास लिखना बड़ा कठिन है। वैसे इतिहास की भी ये प्रकृति और प्रवृति है कि वह कदमताल करते काल को धक्का देकर उसकी गति बढ़ाने के लिए समकालीन समाज को प्रेरित भी करता है और आंदोलित भी ।……. और यही हुआ है भारत के […]

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पंथ निरपेक्षता को दफऩ कर दिया अब्दुल्ला परिवार ने

जम्मू कश्मीर में शेख़ अब्दुल्ला परिवार आजकल पंथ निरपेक्षता को लेकर आग उगल रहा है। महरुम शेख़ अब्दुल्ला के सुपुत्र और केन्द्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला, आगे उनके फरजन्द और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दोनों घाटी में हकलान हो रहे हैं और लोगों को बता रहे हैं कि केन्द्र में भाजपा की सरकार आ […]

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अब चली ‘नरेन्द्र मोदी लहर’ के मायने

देश में यह पहली बार नही है कि जब मोदी जैसे किसी नेता की लहर चल रही है। इससे पूर्व भी ऐसे कई मौके आए हैं जब देश में किसी नेता की लहर चली है। यह सच है कि जब-जब देश में कोई लहर चली है तो लोगों ने बढ़ चढ़कर चुनाव में भाग लिया […]

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अटल जी, मनमोहन सिंह, मोदी और इतिहास

इस समय भाजपा के 63 वर्षीय नेता नरेन्द्र मोदी का कद भाजपा से ऊपर हो गया है। उन्होंने देश के आम आदमी तक अपना संवाद स्थापित कर नई मिसाल कायम की है। सचमुच इतनी ऊंचाई तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नही है, परंतु मोदी इस सबके बावजूद अभी अटल जी से आगे […]

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भ्रष्टाचार के मजबूत स्तंभों पर टिकी भारतीय शासन व न्याय व्यवस्था

मनीराम शर्मा भारत का सरकारी तंत्र तो सदा से भी भ्रष्ट और निकम्मा रहा है इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा प्रेषण प्रक्रिया में प्रारंभ में पुलिस की सीधी सेवाएं ली जाती थी किन्तु पुलिस स्वयं पेटियों  को तोडकर धन चुरा लेती और किसी की भी जिम्मेदारी  तय नहीं हो […]

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263 अपराधी भी जीत गये तो क्या होगा

राकेश कुमार आर्यनई दिल्ली। अपनी बात दो प्रसंगों से आरंभ करते हैं। पहला प्रसंग है शहीदे आजम भगत सिंह का। भगत सिंह अभी बालक ही थे और विद्यालय में अपनी पढ़ाई कर रहे थे। एक दिन वे अपनी कक्षा में विचार मग्न मुद्रा में चुपचाप बैठे थे। तभी उनकी कक्षा का निरीक्षण करने हेतु अधिकारी […]

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मौन पी.एम. बनाम बोलने वाला पी.एम.

हम एक अद्भुत युगांतरकारी घटना के साक्षी बन रहे हैं, जब एक लादे गये प्रधानमंत्री के लिए इतिहास अपना अध्याय बंद कर रहा है, और उसी समय इतिहास नई आशाओं के साथ अपनी आंखें खोलते हुए नया सवेरा होने की अनूभूति करा रहा है। हम अवसान और उत्थान का अदभुत मिलन देख रहे हैं। हम […]

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विध्वंस का विकास हुआ तो सृजन उत्पन्न हुआ-(भाग-दो)

राम सिंह यादवगतांक से आगे…………..आज की गई भूल या अनदेखी उस वक़्त काल नजर आ रही होगी। वर्तमान की एक छोटी गलती विश्व को किस मोड़ पर खड़ा करेगी उसका अंदाज़ लगाना कठिन है जिस प्रकार सिर्फ दो लोगों की क्षुद्र सत्ता भूख ने भारत और पाकिस्तान का विभाजन कराया और आज दोनों देशों को […]

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