Categories
कविता

मन के काले…

मन के काले से भला, तन का काला नेक। मन के काले में भरे, छल कपट अनेक॥ है छल-कपट अनेक, कभी ना धोखा खाना। इनका आदर मान, सांप को दूध पिलाना॥ चुपके-चुपके करते रहते, काम निराले। मौका पा डंस जायें, नाग ये मन के काले॥ (1) मन के काले बाहर से देते उपदेश। रग-रग में […]

Categories
कविता

अब मुझको इग्नोर करो तुम

सूखी रोटी भात लिए हम कहां साथ में खा पायेंगे, पंच सितारों वाले हो जी; अब मुझको इग्नोर करो तुम, मैं झोपड़ियों की पीड़ा हूं कृंदन हों भूखे पेटों का, मुझे कहां सम्मान मिलेगा, साथ नहीं धनपति सेठों का, स्तुतियों के छंद लिखो तुम; खुद को आत्मविभोर करो तुम, पंच सितारों वाले हो जी; अब […]

Categories
कविता

इसीलिए ऋतुराज हमेशा तुम गांवों में आते हो,*

मुझे पता है तुम्हें शहर की भागदौड़ से मेल नहीं, इसीलिए ऋतुराज हमेशा तुम गांवों में आते हो, गीत फागुनी कौन सुनाए, यहां समय की लाचारी है, नौकरियों में बंधक हैं सब, हँसना गाना तक भारी है, यहां आम की बौर कहां तुम जिन छावोँ में आते हो, इसीलिए ऋतुराज हमेशा तुम गांवों में आते […]

Categories
कविता

कितना कुछ सिमट जाता था एक “नीले से कागज में”…

खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे “कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे…!! “और बीच में लिखी होती थी “जिंदगी” नन्हें के आने की “खबर” “माँ” की तबियत का दर्द और पैसे भेजने का “अनुनय” “फसलों” के खराब होने की वजह…!! कितना […]

Categories
कविता

राम लला की जय” बोलो उदघोष हो रहा “जय श्री राम”

आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी राम पधार चुके पुर में मन, फूल खिले उर हर्षित जाना। साध सधी प्रण पूर्ण हुआ जब, मंदिर राम बना पहचाना। दीप जले हर ओर सखी जग, में बढ़ता अब भारत माना। रामलला अति सुन्दर शोभित, जन करते उनका जयगाना।। रूप अनूप सजा अनुरूप अलौकिक दिव्य न जाय बखाना। रामललासरकार […]

Categories
कविता

मौन धार चलते रहो

रिश्तों से यदि प्यार है, सीं लो अपने होंठ। कानों से बहरे बनो , झेलो भीतर चोट ।। 11।। रिश्ते रिसते घाव हैं, करो नित्य उपचार। थोड़े से प्रमाद से , उजड़ जाय संसार।। 12।। मौन धार चलते रहो , देख दिनों का फेर। पछवा चले – कचरी फले, आनन्दित करे बेल ।।13।। मत खोजो […]

Categories
कविता

करो लक्ष्य की साधना,

दोहे अपने अपने ना रहे, क्यों करता है मलाल ? तंज कसें दिल तोड़ते, हर घर का यही हाल ।।1।। तीर खाकर देखना, तू पीछे की ओर। अपने ही आते नजर , तेरे चारों ओर।। 2।। करो लक्ष्य की साधना, मत देखो संसार। जिसने साधा लक्ष्य को, हो गया भव से पार ।।3।। दिल में […]

Categories
कविता

अवध में राम जी आए

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी अवध में राम जी आए विश्व में धर्म फैलाए सनातन जितनी हुई प्रताड़ित जलवा उतना ही बिखराए।। सबर सबरी सा करती थी डगर रघुवर की तकती थी। खोजते घर उसके आए प्रेम सने जूठे बेर खाए।। गुह निषाद करता इंतजार तरह तरह व्यंजन बनवाया । सेवा में रहा वह दिन […]

Categories
आज का चिंतन कविता

बढ़ता जा जलवा यू पी में

आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी हैं राम हमारे यू पी में हैं श्याम हमारे यू पी मे दशरथ मख भूमि है यू पी में शांता सृंगीनारी यू पी में। सृंगी ऋषि आश्रम यू पी में भरत नंदी ग्राम है यू पी में। विंध्याचल देवी यू पी में पाटन देवी भी यू पी में। शिव की […]

Categories
कविता

पीपल पत्ता हिल रहा , बात कहे अनमोल।

दोहे गाड़ी में मैं चल रहा, मन में बड़ा गुमान। तन की गाड़ी कीमती, नहीं सका पहचान।। 1।। पीपल पत्ता हिल रहा , बात कहे अनमोल। क्षणभंगुर जीवन तेरा, बात हिय में तोल।। 2।। इंसाफ तराजू तोल कर, जो करता इंसाफ । असली मुंशिफ है वही रखता पाक हिसाब।। 3।। भ्रष्टाचारी जेल में, मांग रहे […]

Exit mobile version