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कविता

अच्छे दिन भी आएंगे

बाणों से कोई बींध दे, फरसा से दे काट। सबसे भयंकर होत है, दुर्वचनों का घाव।।1।। धर्म अर्थ का कीजिए , चिंतन प्रातः काल। नित्यकर्म और आचमन, संध्या करो हर हाल।।2।। भैया होता भाव का , शत्रु का हो काल। भुजा के सम होत है , रहता बनाकर ढाल।। 3।। काल बुरे को देखकर , […]

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बोलो नेहरू बोलो गांधी,* *मेरा हिन्दुस्तान कहां है?*

जिसपर था सर्वस्व लुटाया, मेरा वो अरमान कहां है? बोलो नेहरू बोलो गांधी, मेरा हिन्दुस्तान कहां है? सैंतालीस में भारत बांटा, ‘उनको’ पाकिस्तान दे दिया; “दो गालों पे थप्पड़ खा लो” मुझे फालतू ज्ञान दे दिया; मुझे बताओ यही ज्ञान तुम, ‘उनको’ भी तो दे सकते थे; नहीं बंटेगी भारत माता, ये निर्णय तुम ले […]

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शान निराली मेरे देश की कितने वीर सपूत हुए।

तर्ज -देहाती टेक: अरे शान निराली मेरे देश की कितने वीर सपूत हुए। दे देकर बलिदान चले गए, इतिहासों में अमर हुए।। अरे राणा प्रताप ,शिवा, शेखर का नाम हमें मिलता प्यारे, देश – धर्म के रहे पुजारी, किए खून के थे गारे। केसरिया की शान के कारण कितने ही दुश्मन मारे, बलिदान हो गए […]

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सज्जन की पहचान है, कड़‌‌वाहट पी जाय।

आओ, बादल से भी कुछ सीखें : – सज्जन की पहचान है, कड़‌‌वाहट पी जाय। खारा जल मीठा करे , जब अम्बुद बन जाय॥ अम्बुद – अर्थात, बादल॥2723॥ तत्त्वार्थ – भाव यह है कि समुद्र का जल खारा होता है किन्तु सूर्य की तेज रश्मियाँ जब उसे वाष्प में परणित करती हैं, तो वह ऊपर […]

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आज हर आदमी में मत मजहब का उन्माद यूँ छाने लगे

—विनय कुमार विनायक हर तरफ साजिश चल रही, हर तरफ धोखा ही धोखा धर्मनिरपेक्ष नेता व आतंकी के बीच ये कैसा समझौता कि आपस में दुर्भिसंधी करके षड्यंत्र कर रहा अनोखा देश के दुश्मन कुकर्मी कुकृत्य का छोड़ रहा नहीं मौका! छद्मनाम से षड्यंत्रकारी होटल दुकान सैलून चला रहा कहीं फल के रस में मानव […]

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माँ पिता जी की 40वीं वैवाहिक वर्षगांठ

माँ पिता जी की 40वीं वैवाहिक वर्षगांठ का समारोह था किंतु ज्येष्ठ पुत्र के मन में भयंकर ऊहापोह था कार्यक्रम के अंत में सब युगल के लिए दो शब्द बोल रहे थे अपने भावों को सीमित शब्दों में तौल रहे थे अब बड़े पुत्र की बारी थी सबको उम्मीदें, उस से बड़ी भारी थी ज्येष्ठ […]

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मृत्यु को जानो

*********** नित बढ़ रहे हैं हम मृत्यु की ओर जिसका हमें कौड़ी भर नहीं ज्ञान जीने की लालसा लिए बैठे हैं हम कितने दिन जिएंगे, नहीं अनुमान। मृत्यु को जो देखते स्वयं के पास फटकते नहीं दुष्कर्म ,उनके पास निष्कलंकित होता जीवन उनका हो जाते हैं आम जनों में,वे खास। उम्र हमारा बढ़ रहा या […]

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पिता एक बगिया, पिता है सहारा।

तुम ही मेरे मंदिर तुम ही मेरी पूजा….. पिता एक बगिया, पिता है सहारा। कुशल शिल्पकार बन हमको संवारा।।…… ज्योति अलौकिक होता पिता है, हमारे सभी दुख खोता पिता है। नभ से भी ऊंची पिता की मुरादें, जिसने भी समझा चमका सितारा……..१ श्रवण कुमार ने करी थी साधना, राम ने पूरी समझी भावना। चक्र सुदर्शन […]

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खिलजी की असंख्य सेना से गोरा घिरे हुए थे

3 टूट पड़ों मेवाड़ी शेरों बादल सिंह ललकारा हर हर महादेव का गरजा नभ भेदी जयकारा निकल डोलियों से मेवाड़ी बिजली लगी चमकने काली का खप्पर भरने तलवारें लगी खटकने राणा के पथ पर शाही सेनापति तनिक बढ़ा था पर उस पर तो गोरा हिमगिरि सा अड़ा खड़ा था कहा ज़फर से एक कदम भी […]

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गोरा बादल के अंतस में जगी जोत की रेखा….

2 गोरा बादल के अंतस में जगी जोत की रेखा मातृ भूमि चित्तौड़दुर्ग को फिर जी भरकर देखा कर अंतिम प्रणाम चढ़े घोड़ो पर सुभट अभिमानी देश भक्ति की निकल पड़े लिखने वो अमर कहानी जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी जा पंहुची डोलियाँ एक दिन […]

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