किंतु नकली थी दवाई, व्यर्थ रहे प्रयास सब।विस्मय में हैं डाक्टर, रोगी ने तोड़ा सांस जब। हाय मेरा लाल कहकर, मां बिलखती जोर से।अंत:करण भी कराह उठा, उस दुखिया के शोर से। किंतु नही पसीजा हृदय, तू बहरा और अंधा है।उन्नत मानव का दम भरता, करता काला धंधा है। जीवन का तूने लक्ष्य बनाया, कार […]
Category: कविता
बनाता है योजना क्यों, आज भी विनाश की? बात करता शांति की, तैयारी है जंग की।चिंता कभी हुई नही, भूखे नंगे अंग की। गोली पर तू खर्च करता, भाई झपट रहे रोटी पर।शरमाता नही, हंसता कहता, मैं हूं उन्नत की चोटी पर। टोही उपग्रह और मिजाइल, किसके लिए लगाता है?बच नही पाएगा वो भी, जो […]
तेरे हृदय की ज्वाला, रही धधक गोली और गोलों में।अपनी मृत्यु आप बंद की, परमाणु के शोलों में। बढ़ रही बारूदी लपटें, निकट अब विनाश है।मौत का समान ये, कहता जिसे विकास है। यदि यही है विकास तो, पतन बताओ क्या होगा?यदि यही है सृजन तो, विध्वंस बताओ क्या होगा? सैनिक व्यय बढ़ रहा विश्व […]
तू मौत का ढंग तो जानता है, पर जीवन की पहचान नही।हिंसा का बन व्याघ्र गया, जो कहता अपने को मानव यदि यही है उन्नत मानव, तो कैसा होगा दानव?करता अट्टाहास जीत पर, खून बहाकर भाई का। कितनी भक्ति की भगवान की, क्या किया काम भलाई का?शांत शुद्घ अंत:करण से, क्या कभी यह सोचकर देखा?निकट […]
क्या कभी यह सोचकर देखा? निकट है काल की रेखा।आओ मिलें अब उन लोगों से, जो आधुनिक उन्नत हैं। खून तलक पी जाएं बसर का, कहते हम गर्वोन्नत हैं।ईमान बेच दें टुकड़ों पर, और करते हैं हेरा फेरी। मानवता की हत्या करते, लगती नही इनको देरी।आज विश्व का देश द्रव्य को, व्यय कर रहा है […]
क्या कभी यह सोचकर देखा? निकट है काल की रेखा।आओ मिलें अब उन लोगों से, जो आधुनिक उन्नत हैं। खून तलक पी जाएं बसर का, कहते हम गर्वोन्नत हैं।ईमान बेच दें टुकड़ों पर, और करते हैं हेरा फेरी। मानवता की हत्या करते, लगती नही इनको देरी।आज विश्व का देश द्रव्य को, व्यय कर रहा है […]
तेरी कोमल काया के नही, चिन्ह दृष्टि कहीं आएंगे।पंचभूतों में पंचभूत, ये सारे ही मिल जाएंगे। पृथ्वी की उर्वरा शक्ति को, तेरे अवशेष बढ़ाएंगे।हरी-हरी फिर घास जमेगी, जिसे पशु चर जाएंगे। ध्यान कर उस हश्र का, जो अंतिम पल पर होवेगा।यदि सुरभि है तेरे अंदर, तभी जहां तुझे रोवेगा। बागबां है ये जहां, और कली […]
देख दशा यह बुढिय़ा की, अब अपनी तबियत घबराती।चलने की तैयारी कर ले, कहती मौत निकट आती। राजा, ऋषि, योगी ना छोड़े, तेरी तो क्या हस्ती है।सृजन को दूं बदल विनाश में, मेरी तो ये मस्ती है। हर बसर के कर्म का, रखती हूं मैं लेखा।निकट है काल की रेखा। देखा अगणित कलियों को, जो […]
दुध मे मलाई का , जाड़े मे रिजाई का बड़ा ही महत्व हैघर मे लुगाई का , प्यार मे बेवफाई का बड़ा ही महत्व है !!घर मे मेहमान का , मंदिर मे भगवान का बड़ा ही महत्व हैअस्पताल मे डॉक्टर का , स्कूल मे मास्टर का बड़ा ही महत्व है !!चोरी मे चोर का , […]
काश्मीर की बातों पे जो मुँह को ताकने लगते हैं,भारत माँ के जयकारे पे बगल झाँकने लगते हैं,कैसे उनसे त्याग समर्पण वाली बातें कर लें हम,वन्देमातरम कहने पर जो होंठ कांपने लगते हैं, जिनको अमृत का भी ढंग से पान नहीं करना आया,जिनको अपनी मात्रभूमि का गान नहीं करना आया,उनके मुख से राष्ट्र्वंदना का कैसे […]