क्या कभी यह सोचकर देखा? निकट है काल की रेखा।आओ मिलें अब उन लोगों से, जो आधुनिक उन्नत हैं। खून तलक पी जाएं बसर का, कहते हम गर्वोन्नत हैं।ईमान बेच दें टुकड़ों पर, और करते हैं हेरा फेरी। मानवता की हत्या करते, लगती नही इनको देरी।आज विश्व का देश द्रव्य को, व्यय कर रहा है […]
श्रेणी: कविता
क्या कभी यह सोचकर देखा? निकट है काल की रेखा।आओ मिलें अब उन लोगों से, जो आधुनिक उन्नत हैं। खून तलक पी जाएं बसर का, कहते हम गर्वोन्नत हैं।ईमान बेच दें टुकड़ों पर, और करते हैं हेरा फेरी। मानवता की हत्या करते, लगती नही इनको देरी।आज विश्व का देश द्रव्य को, व्यय कर रहा है […]
तेरी कोमल काया के नही, चिन्ह दृष्टि कहीं आएंगे।पंचभूतों में पंचभूत, ये सारे ही मिल जाएंगे। पृथ्वी की उर्वरा शक्ति को, तेरे अवशेष बढ़ाएंगे।हरी-हरी फिर घास जमेगी, जिसे पशु चर जाएंगे। ध्यान कर उस हश्र का, जो अंतिम पल पर होवेगा।यदि सुरभि है तेरे अंदर, तभी जहां तुझे रोवेगा। बागबां है ये जहां, और कली […]
देख दशा यह बुढिय़ा की, अब अपनी तबियत घबराती।चलने की तैयारी कर ले, कहती मौत निकट आती। राजा, ऋषि, योगी ना छोड़े, तेरी तो क्या हस्ती है।सृजन को दूं बदल विनाश में, मेरी तो ये मस्ती है। हर बसर के कर्म का, रखती हूं मैं लेखा।निकट है काल की रेखा। देखा अगणित कलियों को, जो […]
दुध मे मलाई का , जाड़े मे रिजाई का बड़ा ही महत्व हैघर मे लुगाई का , प्यार मे बेवफाई का बड़ा ही महत्व है !!घर मे मेहमान का , मंदिर मे भगवान का बड़ा ही महत्व हैअस्पताल मे डॉक्टर का , स्कूल मे मास्टर का बड़ा ही महत्व है !!चोरी मे चोर का , […]
काश्मीर की बातों पे जो मुँह को ताकने लगते हैं,भारत माँ के जयकारे पे बगल झाँकने लगते हैं,कैसे उनसे त्याग समर्पण वाली बातें कर लें हम,वन्देमातरम कहने पर जो होंठ कांपने लगते हैं, जिनको अमृत का भी ढंग से पान नहीं करना आया,जिनको अपनी मात्रभूमि का गान नहीं करना आया,उनके मुख से राष्ट्र्वंदना का कैसे […]
हमेशा दर्द ही लाते हैं अब तो द्वार के कागज,नहीं खुशियाँ दिखाते हैं हमें संचार के कागज,पढूँ हिंदी या अँग्रेजी में मैं किस्सा किसानों का,भरे हैं मौत की खबरों से सब अखबार के कागज, जो सावन की बौछारों से अपना घरबार बचाता है,जो शीतलहर की रातों में जा खेतों में सो जाता है,उसके घर के […]
सारे जहाँ के रिश्तों से भी प्यारी है बेटी,दो दो घरों की होती जिम्मेदारी है बेटी,सौभाग्य से खिलते हैं ऐसे पुष्प बाग़ में,आँगने से बगिया की फुलवारी है बेटी, वो जिन्दगी में खुशियाँ कभी पाते नहीं हैं,आरामो-चैन उनके पास आते नहीं हैं,जो बेटियों को रखते नहीं प्यार से यहाँ,भगवान भोग उनके हाँथ खाते नहीं हैं, […]
– अविनाश वाचस्पति पहल खुद पहलकारक हो तो अच्छा लगता है पर पहेली का न बने न पैदा हो पहले से पहल ही रहता है पहल का हल सदा विचारों की फसल उपजाता है शून्य से खुद को भीतर तक जलाया है झुलसाया है सच बतलाऊं भीतर तक तपाया है पहल पर्याय का हो कविता, […]
(कविता) अविनाश वाचस्पति नाउम्मीदी में खुशियों की ईद है जो कल गई है वापिस वो दीवाली है मन में मिलने की हरियाली है सबसे प्यारे हैं इंतजार के क्षण जल्दी भंग नहीं होते, भंगर नहीं होते इंतजार में होता है सुकून जब होता है सुकून तब और कुछ नहीं होता न होती है चिंता नहीं […]