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परिवर्तन

कण-कण में है व्याप्त तू, फिर भी निर्विकार कैसे?प्रवासी तू मानव मन का, फिर भी मन में छह विकार कैसे? सत्यं शिवं सुंदरम तू, करता दुर्गुणों का बहिष्कार कैसे?ओ सृष्टि के स्रष्टा बता, हुआ तेरा आविष्कार कैसे? मानव संसार का प्राणी है, प्रभु तू भी तो संसारी है।फिर भी तू अलौकिक शक्ति है, विस्मित बुद्घि […]

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स्रष्टा मैं पूछूं तू बता?

अनंत, व्योम, आकाश गंगा, इनका है आधार क्या?अपने पथ में सब ग्रह घूमते, टकराते नही चमत्कार क्या? यदि भू से भिन्न सभ्यता है, उनका है व्यवहार क्या?सूक्ष्म में स्थूल समाया, जिज्ञासा है आकार क्या? कार्य और कारण से पहले, था ऐसा संसार क्या?मोक्ष अवस्था में था जीव, तब करता था व्यापार क्या? तू ईश एक […]

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यह सरगम किसके सांसों की?

लगता है सरिता ढूंढ़ती है, सागर भी उन्हें पुकारता है।ये समीर में सरगम सांसों की, जिन्हें क्रूर काल डकारता है। वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं, जलवाष्प से शबनम बनती है।किंतु है संदेह मुझे, प्रकृति कहीं सिर धुनती है। लूट लिया श्रंगार काल ने, जिस पर उसको रोष।मैं कहता हूं प्रकृति के आंसू, तुम कहते हो ओस। […]

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अनंत सृष्टि, भाग-दो

इनके संयोग से जन्म लिया, इनमें ही होना है विलीन। जीव, ब्रह्मा, प्रकृति, अजर है, सृष्टि की ये शक्ति तीन। है अरबों सौर परिवार यहां, उन पर भी जीवन संभव है। किंतु अपना विस्तीर्ण ब्रह्माण्ड, ये कहना अभी असंभव है। बोलो सूरज चंदा बोलो, तुम से भी बड़े सितारे हैं। सृष्टि से प्रलय, प्रलय से […]

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भारत रत्न एवं पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम जी के निधन पर

(मिसाइल मैन, भारत रत्न एवं पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम जी के निधन पर उनको अश्रुपूर्ण श्रधांजलि देती मेरी ताज़ा रचना)  राष्ट्रभक्ति की परिभाषा का वर्तमान वो नायक था, सही मायने में जन गण मन का वो ही अधिनायक था,  देकर कई सौगात देश से अनुपम नाता जोड़ गया वर्ष तिरासी में हँस्ते हँस्ते वो […]

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अनंत सृष्टि

घृणा, ईष्र्या, हिंसा, शत्रु, जिनको गले लगाता है।प्रेम, त्याग, सहचर्य, अहिंसा, मित्रों से नाक चढ़ाता है। घृणा है जननी युद्घों की, जो करती सृष्टि का अनिष्ट।जब हृदय में ये पनप उठे, तो काटती है संबंध घनिष्ठ। ये प्रेय मार्ग का गह्वर है, जिसे तू समझ रहा आनंद।घृणा पीओ, प्रेम को बांटो, कह गये ईशा और […]

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ठंडे दिल से तू सोच जरा, भाग-2

सतपुड़ा, विंध्य, पामीर देख, पड़ रही बुढ़ापे की सलवट।त्राहि-त्राहि होने लगती, जब ज्वालामुखी लेता करवट। परिवर्तन और विवर्तन का क्रम, कितना शाश्वत कितना है अटल?…..जीवन बदल रहा पल-पल, सब गतिशील नश्वर यहां पर। जाती है जहां तक भी दृष्टि,अरे मानव! तू किस भ्रम में है? चलना है निकट प्रलय वृष्टि। पैसा पद जायदाद यहां, नही […]

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ठंडे दिल से तू सोच जरा

ढूंढ़ रहे पदचिन्ह मिले नही, यत्र तत्र सर्वत्र। मजार, मूर्ति बुत के रूप में, रह गयी शेष निशानी।नारे और संदेश गूंजते, चाहे घटना युगों पुरानी। अरे हिमालय तेरी गोदी में, तपे अनेकों संत।थे घोर तपस्वी मृत्युंजय, हुआ कैसे उनका अंत? बचपन में तू भी सागर था, है आज तेरा सर्वोच्च शिखर।अरे काल थपेड़ों के आगे, […]

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काल के गाल में

बताओ भित्तिचित्रों की नक्काशी, करने वाला था कौन?कोणार्क, बृहदेश्वर, खजुराहो, प्राचीन की कथा सुनाओ। आराध्य देव की पूजा का, पुरखों का ढंग बतलाओ।तक्षशिला नालंदा के खण्डहर, कुछ तो कहो कहानी। विज्ञान कला में थे निष्णात, वे कहां गये पंडित ज्ञानी?मोहजोदड़ो हड़प्पा खोलो, हृदय के उद्गार। सूखा है स्नानकुण्ड क्यों, खाली धान्यागार?तुम्हें निरख कर समझ में […]

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जब कदम भटकने लगते हैं

लगी आंख फिर रात हुई, यह चलता क्रम दिन रात रहा।कहीं अमीरी की सज धज, कहीं निर्धनता आघात सहा। हो गये किशोर, यौवन की भोर, यह कैसी आयी मदमाती?जीवन की राह अनेकों थीं, जो प्रेय श्रेय को ले जाती। श्रेय मार्ग से भटक कदम, उठ गये प्रेय की राहों पर।रे छीन निर्दोषों की खुशियां, ये […]

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