क्या वह मनुष्य था ? मनुष्य की शक्ल में खड़ा सभी मनुष्य नहीं होते मनुष्यता देवत्व का आकार सत्य, सेवा ,सद्विचार, पहचान। जिसने माता-पिता की हत्या की जिसने बच्चे ,बूढ़े ,संतों की देशभक्तों की सैनिक पुत्रों की मात्र चंद धन प्राप्त करने हेतु। देश बेचते हैं शत्रुओं के हाथ राष्ट्र को हानि पहुंचाने रचते जाल […]
Category: कविता
यह संधि पत्र लिखना होगा
फूलों की कोमल पंखुडियाँ बिखरें जिसके अभिनंदन में। मकरंद मिलाती हों अपना स्वागत के कुंकुम चंदन में। कोमल किसलय मर्मर-रव-से जिसका जयघोष सुनाते हों। जिसमें दुख-सुख मिलकर मन के उत्सव आनंद मनाते हों। उज्ज्वल वरदान चेतना का सौंदर्य जिसे सब कहते हैं। जिसमें अनंत अभिलाषा के सपने सब जगते रहते हैं। मैं उसी चपल की […]
छत पे सोए बरसों बीते
छत पे सोये बरसों बीते योगाचार्य संजीव छत पे सोये बरसों बीते* तारों से मुलाक़ात किये और चाँद से किये गुफ़्तगू सबा से कोई बात किये। न कोई सप्तऋिषी की बातें न कोई ध्रुव तारे की न ही श्रवण की काँवर और न चन्दा के उजियारे की। देखी न आकाश गंगा ही न वो चलते […]
माँ शब्द वाचिक नहीं, हृदय की सौगात
मां के चरणों में झुके जितना नर का माथ। उतना ही ऊंचा उठे ईश्वर पकड़े हाथ।। जन्नत मां की गोद में जीते जी मिल जाय। मां का नहीं मुकाबला सब बौने पड़ जाय।। मां का दिल ममता भरा वात्सल्य का कोष। कोमल है नवनीत सा स्वर्ग सी है आगोश।। मां होती है प्यार की बदली […]
सदा सुगंध बसंती भाती रहे
…. सदा सुगन्ध वसन्ती भाती रहे सत्यम शिवम सुंदरम को जो समाहित करे। वसंत होता वही जो सर्वस्व निज परहित धरे।। वसंत ऋतुराज है और जीवन का सुंदर गीत है। वसंत अमृत तुल्य है और जीवन का मेरे मीत है।। विधाता के संविधान का उत्कृष्ट जो विधान है। वसंत कहते उसे जो करे पीर का […]
वसन्त वसत है मन में मेरे….
वसन्त वसत है मन में मेरे बनके प्यारा राजा। वर्षा ऋतुओं की रानी है करती मन को ताजा।। राजा अपनी मुस्कुराहट से सबका मन हर लेता। रानी का द्रवित हृदय भी सबको वश में कर लेता।। दोनों की राह अलग सी है पर लक्ष्य नहीं है न्यारा। प्राणीमात्र के हितचिंतन में जीवन समर्पित सारा।। राजा […]
देश के जननायक नहीं धन के नायक लोग । धर्म से निरपेक्ष हैं,महामारी का रोग।।35।। देशहित नहीं बोलते,करें स्वार्थ की बात। गिद्ध देश में पल रहे, नोंच रहे दिन रात।।36।। राष्ट्रीयता की बात कर, राष्ट्रधर्म से है दूर । सबके हित कुछ ना करें ,स्वार्थ में गये डूब॥37॥ देश को आंख दिखा रहे […]
चोटी जनेऊ ना दिये, चढ़ा दिये थे शीश। जीवन अर्पण कर दिया ,पा माँ का आशीष ॥18॥ त्याग, तपस्या, साधना ,लाखों का बलिदान। हिन्दू- हिन्दी ध्यान में ,मन में हिन्दूस्थान॥19॥ पौरूष जगा मेरे देश का, भाग गये अंग्रेज । देख देश की वीरता, और देख देश का तेज ॥20॥ मुस्लिम – लीग अंग्रेज ने ,बांट […]
जीवन के संगीत में ,मिश्री सी तू घोल। मनवा सुख की खोज में ,ओ३म् – ओ३म् ही बोल॥1॥ जगत की चिन्ता छोड़ दे ,चिंतन कर सुबह शाम । भजले मनवा ईश को, पूरण करता काम ॥2॥ द्वन्द्वभाव को त्यागकर ,पकड़ डगरिया मीत। मालिक तेरा है जहाँ ,वह सुखद नगरिया मीत॥3॥ वेद की बंशी बज […]
बलिदान जिसने हैं दिए ….
जिन आर्यों के धर्म पर हम भारतीयों को नाज है , जिनकी मर्यादा विश्व में कल बेजोड़ थी और आज है । उनको विदेशी मानना इस राष्ट्र का भी अपमान है , जो लोग ऐसा कह रहे समझो वह कोढ़ में खाज हैं।।’ संस्कृति रक्षार्थ बलिदान जिसने हैं दिए , भारत भूमि के लिए प्राण […]