ज्योति मुस्कुराई है ! दिवाली फिर से रोशन है, दीवों में ज्योति मुस्कुराई है… घोर अंधेरी रात ढली, दीपोत्सव में तरुणाई है ! चलो पटाखे नहीं छोड़ेंगे, प्रदूषण से ठनी लड़ाई है… लेकिन दूसरे मजहब पर भी, कभी ऐसी पाबंदी लगाई है ? बकर- ईद पर लाखों पशुओं की, गर्दन पर छुरी चलाई है… खून […]
Category: कविता
दीप राग बज उठे
<img src=”https://www.ugtabharat.com/wp-content/uploads/2021/10/IMG-20211030-WA0015-300×198.jpg” alt=”” width=”300″ height=”198″ class=”alignright size-medium wp-image-45881″ /> * संजय पंकज एक दीप द्वार पर एक दीप देहरी! दीप दीप जल गए रौशनी हरी हरी! दूर – दूर भूमि यह दीखती कि झूमती कि केंद्र की कील पर मंद – मंद घूमती तान – तान मधुरिमा ज्योति-लय विभावरी! आंख आंख नूर से कोहिनूर बन […]
रचयिता: सहदेव समर्पित सम्पादक शांतिधर्मी मन वाणी और कर्म शुद्ध कर प्रभु गुण गाना चाहिए। अपना जीवन वेदों के अनुकूल बनाना चाहिए।। उल्लू की दो चाल छोड़ जो अंधकार को चाहवै। परधन पर सम्पत्ति पर सदा टेढ़ी नजर लखावै। नहीं ज्ञान की बातें सुनकर जीवन में अपनावै। शुभकर्मों को छोड़ सदा दुष्कर्मांें में मन लावै। […]
ताक में बैठे गिद्व
ताक में बैठे गिद्ध ताक में बैठे गिद्व ये सारे, देख अचानक झपट पड़े… लखीमपुर की लाशों पर, करने से सियासत उमड़ पड़े ! बंगाल में हुई चुनावी हिंसा, अंगार अभी तक सुलग रहे… लेकिन गिद्धों ने आंखें मूंद ली, कोई भी वहां नहीं गए! पालघर में हुई नृशंस हत्याओं, पर भी वे खामोश रहे… […]
था लाल बहादुर भारत का, भारत का ऊँचा भाल किया। ‘धरती का पुत्र’ कहाता है, जन-जन को स्वाभिमान दिया।। देश के हित जीना सीखा , देशहित मृत्यु का वरण किया। चेतना में रहा देश धड़कता, ना ध्वज देश का झुकने दिया।। अपमान सहा और कष्ट सहे, जेलें सहीं और मस्त रहे। सर्वोच्च शिखर को पाकर […]
रानी ,पदमा के जौहर की
भरत भूमि ने तुमको कल की लक्ष्मी ,पदमावत माना है उठ तुमको अपना किर्ति ध्वज पर्वत पर लहराना है उठ बेटी, बेजान पंख में पुनः जोश और प्राण भरो फिर से पावन-पुण्य धरा पर स्व चरित्र निर्माण करो सहज सरल व्यवहार कुशल हो मृदु रस रखना बातों में अपने कुल की आन-बान और शान को […]
अमृता गोस्वामी कवि दिनकर की प्रारंभिक रचनाएं उनके काव्य संग्रह ‘प्राणभंग’ और ‘विजय संदेश’ थे जो उन्होंने 1928 में लिखे थे। इसके बाद दिनकर ने कई प्रसिद्ध रचनाएं लिखीं जिनमें रेणुका, ‘परशुराम की प्रतीक्षा’, ‘हुंकार’ और ‘उर्वशी’ काफी प्रचलित रचनाएं हैं। हिंदी साहित्य में रामधारी सिंह दिनकर को उनकी राष्ट्र प्रेम और ओजस्वी कविताओं के […]
दया की भीख मैं लूंगा नहीं ….
यह हार एक विराम है। जीवन महासंग्राम है।। तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं। वरदान माँगूँगा नहीं।। स्मृति सुखद प्रहरों के लिए। अपने खंडहरों के लिए।। यह जान लो मैं विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं। वरदान माँगूँगा नहीं।। क्या हार में क्या जीत में। किंचित नहीं भयभीत मैं।। संधर्ष पथ पर जो […]
कांग्रेस के जमाने का दंगा बार-बार कर्फ्यू आए दिन हो रहा नरसंहार सेना ने शहर में मार्च किया भय, भय, सन्नाटा, अग्नि… ये सब ढूंढ रहा हूँ पर नरेंद्र मोदी ने खो दिया एक पोरबंदर माफिया सलाया की तस्करी एक भरूच दुबका हुआ है लतीफ का राज्य और रिसालदार का दरबार एक धधकता अहमदाबाद एक […]
संजय पंकज देश हमारा हमको प्यारा इस पर अर्पित जीवन सारा पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण एक लगाया हमने नारा देश हमारा, देश हमारा! अपने नारे फरियाद हुए इसके बल पर आजाद हुए कोटि-कोटि कंठों से उमड़े जन-गण-मन जिंदाबाद हुए पुरखों ने जो दिया सहारा उसके बलपर कभी न हारा देश हमारा, देश हमारा! नानक तुलसी […]