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कविता

वसन्त वसत है मन में मेरे….

कविता  – 32 वसन्त वसत है मन में मेरे बनके प्यारा राजा। वर्षा ऋतुओं की रानी है करती मन को ताजा।। राजा अपनी मुस्कुराहट से सबका मन हर लेता। रानी का द्रवित हृदय भी सबको वश में कर लेता।। दोनों की राह अलग सी है पर लक्ष्य नहीं है न्यारा। प्राणीमात्र के हितचिंतन में जीवन […]

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कविता

भगवान कष्ट उसके  हर लेते,

कविता  — 30 अमृत वेला में जो जन जागे, नियम से भगवान को ध्यावे, अहंकार ममकार को त्यागे, अंधेरा उसके जीवन से भागे।। भगवान अपना तेज हैं देते, ‘ब्रह्मवर्चस’ का वरदान हैं देते, भगवान कष्ट उसके  हर लेते, सारी खुशियां जीवन में भर देते।। सिद्धि के लिए जीव यहां आया, सारे योग साधन साथ में […]

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कविता

अफवाहों से जन्मी ये’

—————————- दिया आर्य असों, कपकोट उत्तराखंड सही करो फिर भी दुनिया क्यों देती है मुझको ये इल्जाम नजरिया गलत तो दुनिया का है, मैं क्यों छोड़ दूं अपना काम।। अफवाहे-ताने सुनते हुए भी, मै नहीं रुकी चलते चलते, अफवाहों से जन्मी ये आग भी, अब थक गई जलते-जलते।। बाधा डालना दुनिया का काम, मै करुंगी […]

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कविता

एक बेटी सबके आगे ….

कविता  — 27 बेटियां मरती हैं अपने देश में अपमान से। जी नहीं सकती हैं जीवन मान से सम्मान से।। जिंदगी बोझिल हुई है काटे नहीं कट पा रही। बूढ़े पिता की आंखें दुख को देख भी नहीं पा रही।। मां के दिल में दर्द गहरा,  हो गया आघात से …. जी नहीं सकती हैं […]

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कविता

क्रंदन दूर होगा एक दिन ……

कविता  –  26 क्रंदन दूर होगा एक दिन …… निशा निराशा की आये उत्साह बनाए रखना तुम।  लोग नकारा कहें भले उत्कर्ष पे नजरें रखना तुम।। भवसिंधु से तरने हेतु निज पूर्वजों से अनुभव लो।          उल्टे प्रकृति के चलो नहीं मन में ये ही नियम धरो।। कुछ भी दुष्कर है नहीं, […]

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आज का चिंतन कविता

गायत्री तेरा करे यजन

कविता —  25 हे परमेश्वर ! हे सच्चिदानंद !! अनंत स्वरूप !!! निराकार !ध्यान में आ नहीं सकता तेरा रूप।। तुम अज, निरंजन और कहे जाते निर्विकार। हे जगतपिता ! विद्वत जन कहते सर्वाधार।। सकल जगत के उत्पत्तिकर्ता ! हे अनादे ! विश्वंभर! सर्वव्यापी ! ऐसा कहकर गायत्री तेरा करे यजन।। हे करुणावरूणालय ! सर्वशक्तिमान […]

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कविता

सबसे ऊंचा भारत देश,

कविता  – 24 मेरा देश है सबसे महान इसमें तनिक भी भूल नहीं है। सूरज बिखराता प्रकाश, चंद्रमा करता हास विलास गाता गीत सकल संसार इसमें संशय शूल नहीं है ।। ….. हिमालय जिसका चौकीदार, बनकर खड़ा है पहरेदार, वंदन करता हूँ बारंबार, जग में इसका मूल्य नहीं है ….. करते ऋषि लोग उपचार, करते […]

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कविता

लाडी रानी उनमें एक है,

कविता  – 23 लाडी रानी उनमें एक है, हमारे देश भारतवर्ष में, जिनका नाम है इतिहास में, लाडी रानी उनमें एक है, वीरता में बेमिसाल थी …. संकट में मातृभूमि थी, चहुँ  ओर त्राहिमाम थी, तब देश की नायक बनी, हाथ में देश की लगाम थी … वह रानी नहीं तूफान थी, हिंद की वह […]

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कविता

धर्म पुजारी है  प्रेम का  ……

कविता – 22 धर्म पुजारी है  प्रेम का  …… मजहब कारण विनाश का बात बांध लो गांठ। धर्म प्रतीक विकास का दे मानवता का पाठ।।1।। धर्म की दृष्टि दिव्य है दिव्य धर्म का तेज। मनुष्यता बिना धर्म के हो जाती निस्तेज।।2।। मजहबी अपराध से भरा पड़ा इतिहास। दानवता बनकर किया मानवता का नाश।।3।। मजहबी चिंतन […]

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कविता

अमन को हैं बेचते …

कविता – 21 अमन को हैं बेचते … जो राज पद को प्राप्त कर प्रजा का हित चिंतन करे। योग्य राजा है वही जो परकल्याण हित जीवन धरे ।। जो राग व अनुराग से सर्वथा और पूर्णतया मुक्त हो । राजा उसी को मानिये जो  न्याय  विवेक  युक्त  हो ।। राजा वही है जो कभी […]

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