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कविता

नहीं नववर्ष ये अपना

नहीं नववर्ष ये अपना, हमारा चैत्र होता है। खिलेंगे पुष्प उपवन में वही नव वर्ष होता है।। प्रभु की सृष्टि को समझो बड़ा विज्ञान इसमें है। पढ़ा कर वेद को बंदे, छुपा यह ज्ञान जिसमें है।। कभी ऋत सत्य को समझो सनातन हर्ष होता है… खिलेंगे पुष्प उपवन में वही नव वर्ष होता है।। 1।। […]

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तुलसी है संजीवनी

तुलसी है संजीवनी, तुलसी रस की खान। तुलसी पूजन से मिटें, जीवन के व्यवधान।। विष्णु प्रिया तुलसी सदा, करती है कल्यान। तुलसी है वरदायिनी, जीवन का वरदान ।। जिस घर में तुलसी पुजे, रहे प्रभू का वास। रोग पाप सब के मिटे, तन-मन हो उल्लास।। तुलसी सालिगराम की, महिमा अजब महान। हम सब का कर्तव्य […]

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भारत अपना प्यारा हमको

जहां लेना जन्म समझते हैं, सौभाग्य देव अपने मन में। उसको हम भारत कहते हैं, नहीं और कहीं जगती भर में।। नदियों की कल कल प्यारी है, झरने भी गीत सुनाते हैं। धरती से बादल मिलने को , रिमझिम का गीत सुनाते हैं।। जहां आनंदी हमको धूप मिले, नव संदेश मिले, उपदेश मिले। जगती भर […]

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ऋषि मुनियों की भूमि भारत

ऋषि मुनियों की भूमि भारत, मानवता की रही उपासिका। वेद के गीत सुनाती हमको, प्रेम स्नेह की रही साधिका।। राष्ट्र का बोध कराती हमको, प्रेम के भाव जगाती है। अपनी संतति मान सभी को, प्रेम से गले लगाती है।। ऊंचाई हमारे भावों में भर, हृदय को पवित्र बनाती है। सत्व- भाव का सेतु बनकर, जीवन […]

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जब बारूद की खेती सस्ती हो

प्रेम सुधा रस पीता चल, भारत को भव्य बनाता चल। प्रेम की गगरी छलके ना, सोच को दिव्य बनाता चल।। गहरे – गहरे घाव बने हैं, राज भी गहरे लगते हैं। आठ दशक होने को आए, क्यों देश में पहरे लगते हैं ? शांति – शांति चिल्लाते हैं, पर बीज रक्त के बोते हैं। ऐसे […]

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आनंद बने जीवन परिभाषा

विश्व-परिवार समझ अपना, आर्यत्व हृदय में वास करे। देवत्व प्राप्ति हेतु मन में, श्रेष्ठत्व भाव सदा प्रवास करे।। दूर हटा और दूर हटा, घृणा के भाव बसे मन में। सहज प्रवाह में बहता चल, आनंद मिलेगा जीवन में।। जीवन की ज्योति जलती रहे, दूर हताशा हो मन की। श्रृंगार हृदय का करने को , उत्साह […]

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जीवन का संदेश यही है

जीवन का संदेश यही है , बात करो – तुम तारों से। ऊंचा देखो- ऊंचा सोचो, न उलझो नीच विचारों में।। लड़ो साहसी योद्धा बनकर, अंधियारी तुम रातों से। जो भूत नहीं माने बातों से, मनवा दो उसको लातों से।। यश की चादर ओढ़ बढ़ो तुम, पड़ताल व्योम की करने को। करतल-पृष्ठे पुण्य करो तुम, […]

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दिव्य भाव से करो मित्रता

जीवन में छल छद्मों से, बचता चल – तू बचता चल। मार्ग बना निष्कंटक अपना, पाप-घात से बचता चल ।। जितने भर भी दिव्य भाव हैं, चुनता चल तू – चुनता चल। जितने भर भी दुष्ट भाव हैं, मन से दूर हटाता चल।। भव्य भाव में जीना दुर्लभ , पर नहीं असंभव कुछ भी। दिव्य […]

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अंधकार नहीं रोक सका है

जीवन की हारी बाजी को, जो हार गया- सो हार गया। जिसने पलटा इस पासे को, वह पार गया – वह पार गया।। अंधकार नहीं रोक सका है, कभी सवेरे को जग में। गहन निशा भी छंट जाती है, संकल्प धार लो यदि मन में।। नियम शाश्वत चलता आया, जहां अंधेरा, होता वहीं सवेरा। जहां […]

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कहीं यौवन की धूप मचलती है….

कोई माथा पीट रहा जग में, एक धेला उसके पास नहीं। कोई कुबेर बना बैठा जग में, दुख का तनिक आभास नहीं।। कोई बनी कोठी को त्याग रहा , कोई कब्ज़ा करता कोठी पर। कोई भोजन को भी त्याग रहा, कोई लड़ता देखा रोटी पर।। कोई रक्त बहाता बंधु का, कोई निज रक्त लुटाता बंधु […]

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