🙊🙈🙉🙊🙈🙉 *कैसे गर्व करे भारत मां,* *हिंदू-हिंदुस्तानी पर?* *थूकेगा इतिहास तुम्हारी,* *चुप्पी या नादानी पर।* *कभी संत की हत्या होती,* *साधू मारे जाते हैं,* *कभी कन्हैया के तन से ही,* *शीश उतारे जाते हैं,* *घाटी में हिंदू के घर,* *चुन-चुन हत्यारे आते हैं,* *अस्सी प्रतिशत होकर भी,* *हम ही संहारे जाते हैं,* *कब जागोगे सोने […]
Category: कविता
कोसेगा इतिहास उन्हें …..
सच को सच नहीं कह पाते जमीरें बिकीं बाजारों में, कोसेगा इतिहास उन्हें नाम लिखेगा गद्दारों में। मिटा दिए सिंदूर बहुत से लाठी छीनी बापू की, बहन से भाई जुदा किए लाज लूट ली ममता की , मानवता हुई शर्मसार नहीं तनिक भी लज्जा की, पापों से धरती डोल गई कुछ कहने में भी शर्माती। […]
कामनाओं का त्याग याचक नहीं उपासक बनकर जीवन को तुम जीना सीखो। दर्शक नहीं दृष्टा बनकर – जीवन की सब सामग्री भोगो ।। कृष्ण बोले – अर्जुन ! आज तेरा परम सौभाग्य उदय हुआ। योग में तेरी रूचि हुई, ऐसा सौभाग्य- किसे है प्राप्त हुआ।। तू नहीं पथिक एक जीवन का – न जाने कितने […]
समत्व योग समाधि अवस्था है वही जब बुद्धि टिके एक देश में, सुख दु:ख का भी ना बोध हो मन शान्त रहे क्लेश में, चेतना जुड़े ब्रह्म से,रमना छोड़ देती सांसारिक द्वेष में, कर्म योगी मगन रहता सदा उस ब्रह्मानंद विशेष में।। जब मन निष्काम हो गया तो बुद्धि में आये पवित्रता, सात्विकता की वृद्धि […]
गीता मेरे गीतों में, गीत संख्या …. 12
समत्व योग समाधि अवस्था है वही जब बुद्धि टिके एक देश में, सुख दु:ख का भी ना बोध हो मन शान्त रहे क्लेश में, चेतना जुड़े ब्रह्म से,रमना छोड़ देती सांसारिक द्वेष में, कर्म योगी मगन रहता सदा उस ब्रह्मानंद विशेष में।। जब मन निष्काम हो गया तो बुद्धि में आये पवित्रता, सात्विकता की वृद्धि […]
गीता हमारे लिए एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है, जिसमें वेदों और उपनिषदों का रस या सार निकाल कर रख दिया गया है। जीवन की ज्योति बुझने ना पाए और किसी भी ‘अर्जुन’ का ‘युद्ध’ को देखकर उत्साह ठंडा न पड़ने पाए, इसके लिए ‘गीता’ युगों-युगों तक मानव जाति का मार्गदर्शन करने की क्षमता रखती है। […]
‘झरने जज्बातों के’ पुस्तक गजल और कविताओं का संग्रह है, जिसके लेखक अमन लेखरा ‘अमन’ हैं। अमन जी ने अपनी यह पुस्तक उर्दू मिश्रित हिंदी में लिखी है। हिन्दी के लिए समर्पित होकर काम करने वाले कवि और लेखकों के लिए यही आज की काव्य शैली भी बन चुकी है। इसके साथ साथ पाठक भी […]
क्षत्रिय धर्म का फल कोई दो हाथ लड्डू ले, बड़ा ही है कठिन जग में। कृष्ण जी दे रहे उपदेश – अर्जुन को यही रण में।। राष्ट्र की रक्षा होती है , वीर बलिदानी पुत्रों से । वीरांगना बहनों और प्रणवीर योद्धा क्षत्रियों से ।। देश भक्ति जहां होती , मिले आनन्द अर्पण में कृष्ण […]
क्षत्रिय – धर्म माधव बोले पार्थ सुन – क्षत्रिय धर्म आख्यान । राष्ट्रधर्म समाविष्ट है, इसके बनकर प्राण ।। क्षत्रिय धर्म सबसे बड़ा – इससे बड़ा न कोय। जो इसका पालन करे – वह ना कायर होय ।। क्षत्रिय क्षरण को रोकता – पतन से लेत उबार । दुर्बल का सहायक बने , करें दुष्ट […]
माधव समझाने लगे, अर्जुन को रण बीच। आत्मा अविनाशी अमर सीख सके तो सीख।। अविनाशी तलवार से कभी न काटा जाय । पानी से ना गल सके, आग से ना जल पाय।। अविनाशी के मारने की जो कहते बात। अज्ञानी वे हैं निरे ना समझें गहरी बात।। मर नहीं सकता आत्मा और न मारा जाय […]