अकर्मण्यता को लात मारी थी वेदों में श्रद्धा कृष्ण की, यह गीता बतलाती हमें। वेदों में सामवेद ‘मैं’ हूँ – कृष्ण का कथन बतलाती हमें ।। जीवन था उनका वेदमय , सब वेद उन्हें कंठस्थ थे। वेद के उपदेश और संदेश सब कृष्ण के ह्रदयस्थ थे।। ना किया कोई आचरण , जो वेद के प्रतिकूल […]
Category: कविता
तर्ज :– कह रहा है आसमाँ ……. मैं सभी में रम रहा हूँ और सबमें मेरा वास है। नजर ना आता हर किसी को , ज्ञानी ही मेरा खास है ।। जिनके जीवन में मुझे अनुराग खुद से है दीखता। सच बताऊं तुझको अर्जुन ! उस भक्त में मेरा भाव है।। कपिल मुनि सिद्धों में […]
ब्रह्म क्या, अध्यात्म क्या ? ‘योग – माया’ से मैं ढक रहा, जान सके ना कोय। ‘अज’ – ‘अव्यय’ उस ईश को पहचान सके ना कोय।। मैं उन सब को जानता , जो होकर नहीं रहे आज। जो होंगे उन्हें जानता और जो बने हुए हैं आज।। मेरा ध्यान करते नहीं बस करते रहें उत्पात। […]
वह विभूति में प्रकट होता है अमृतमय जीवन जीने की गीता शिक्षा हमको देती। त्रिगुणातीत रहो जीवन में – अनुपम संदेश हमको देती।। पृथक स्वयं को प्रकृति से मानो , जीवन का श्रंगार करो। विशुद्ध रूप में आकर अपने,आत्मा का परिष्कार करो।। श्री राम को गीता ने माना परम प्रतापी क्षत्रिय वीर पुरुष। गीता ने […]
सब कुछ ईश्वर को सौंप दो सर्वस्व समर्पित कर दो उसको जिसने सर्वस्व दिया तुमको। सबका स्वामी वहीं एक विधाता जिसने सर्वस्व दिया तुमको।। उसे हृदय से हृदय में पाओ सहर्ष समर्पित करके सब कुछ। गोदी में उसकी बैठो जाकर छोड़ झमेला जग का सब कुछ।। भगवान के ज्ञान – ध्यान का साधन, यह मानव […]
योग धारणा योग धारणा से होती है मन की शुद्धि , चित्त विमल, योग साधना वाला मानव नहीं हो सकता कभी विकल। ऋतगामी वह हो जाता है और कंटकरहित मार्ग बने, अभय ज्योति उसको मिल जाती बुद्धि होती है निर्मल।। सबको बसेरा देने वाले परमपिता करते हैं दया, मंगल कामना पूरी करते और करते कदम […]
जब रजोगुण सतोगुण पर शासन करने लगे:-
बिखरे मोती जब रजोगुण सतोगुण पर शासन करने लगे:- रज हावी हो सत्त्व पर , धर्म शिक्षिल हो जाय। मन की शांति भंग हो, बार-बार पछताय॥1872॥ आत्मा की जो ऊर्जा, ग़र हरि से जुड़ जाय। भव -बन्धन सारे कटें, और मुक्ति मिल जाय॥1873॥ विशेष:- भगवान कृष्ण ने गीता के 12 अध्याय के दूसरे श्लोक में […]
सब काल में ईश्वर का स्मरण भगवान की भक्ति कर अर्जुन यदि जीत युद्ध में है पानी। यदि भूल गया जगदीश्वर को तो व्यर्थ जाएगी जिंदगानी।। जिसने तुझको है जन्म दिया उसको भी तूने वचन दिया। मुझे धर्म का पालन करना है जिसके लिए तूने जन्म दिया।। तू अपने वचनों को भूल रहा , है […]
अन्तकाल में ईश्वर चिंतन मन – वचन – कर्म के द्वारा जो आचरण पर ध्यान दिया करते। आत्मबोध उन्हें हो जाता है , सब उनको ही योगी कहा करते।। ‘धर्म – मेध’ समाधि के द्वारा ‘ब्रह्म – बोध’ उन्हें हो जाता है। रोग- शोक -भोग जितने जग के ,छुटकारा भी मिल जाता है।। योगज – […]
अध्यात्म ज्ञान की आवश्यकता आनंद यदि पाना है तो भगवान की भक्ति करते चलो। जो भी मिले दीन दुखी जग में सबकी पीड़ा को हरते चलो।। सम्मान मिले- अपमान मिले मत ध्यान लगाओ इसमें कभी। भगवान की देन समझ करके, संतोष मनाओ उसमें सभी ।। दो दिन का जग का मेला है, बस धर्म पुण्य […]