तुम ही मेरे मंदिर तुम ही मेरी पूजा….. पिता एक बगिया, पिता है सहारा। कुशल शिल्पकार बन हमको संवारा।।…… ज्योति अलौकिक होता पिता है, हमारे सभी दुख खोता पिता है। नभ से भी ऊंची पिता की मुरादें, जिसने भी समझा चमका सितारा……..१ श्रवण कुमार ने करी थी साधना, राम ने पूरी समझी भावना। चक्र सुदर्शन […]
श्रेणी: कविता
3 टूट पड़ों मेवाड़ी शेरों बादल सिंह ललकारा हर हर महादेव का गरजा नभ भेदी जयकारा निकल डोलियों से मेवाड़ी बिजली लगी चमकने काली का खप्पर भरने तलवारें लगी खटकने राणा के पथ पर शाही सेनापति तनिक बढ़ा था पर उस पर तो गोरा हिमगिरि सा अड़ा खड़ा था कहा ज़फर से एक कदम भी […]
2 गोरा बादल के अंतस में जगी जोत की रेखा मातृ भूमि चित्तौड़दुर्ग को फिर जी भरकर देखा कर अंतिम प्रणाम चढ़े घोड़ो पर सुभट अभिमानी देश भक्ति की निकल पड़े लिखने वो अमर कहानी जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी जा पंहुची डोलियाँ एक दिन […]
पाकिस्तान के एक मशहूर शायर सलमान हैदर की एक कविता ‘मैं भी काफिर, तू भी काफिर’ इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। पाकिस्तान में इस कविता पर विवाद भी हो रहा है आप भी पढ़िए और सोचिए: ‘मैं भी काफिर तू भी काफिर, मैं भी काफिर, तू भी काफिर फूलों की खुशबू भी […]
चितौड़गढ़ के पहले #जौहर की वीरांगनाओं को याद करने के साथ साथ हमें #मेवाड़ के 2 कोहीनूर ( #गोरा – #बादल) को भी याद करना चाहिए। ये वही महावीर योद्धा थे, जिन्होंने दिल्ली जाकर, ख़िलजी की हलक से रावल रत्न सिंह को आजाद किया था…इन्ही दो परमवीरो के ऊपर ,उस इतिहास को दर्शाती कुछ लाइनें […]
आतंक का कोई मज़हब नहीं जो रोज़ हमें समझाते हैं हिंदू हिंसक होते है ये संसद में चिल्लाते हैं कमर में बाँधके बम फटने क्या हिंदू कोई जाता है सर तन से जुदा के नारें कोई हिंदू कहीं लगाता हैं ? हिंदू हिंसक होता तो पंडित बेघरबार नहीं होते हिंदू हिंसक होता तो अमरनाथ पे […]
L🙏 आज का वैदिक भजन 🙏 0640 ओ३म् यो भू॒तं च॒ भव्यं॑ च॒ सर्वं॒ यश्चा॑धि॒तिष्ठ॑ति। स्वर्यस्य॑ च॒ केव॑लं॒ तस्मै॑ ज्ये॒ष्ठाय॒ ब्रह्म॑णे॒ नमः॑ ॥ अथर्ववेद 10/8/1 हे नाथ !!! दयालु हो बस इतनी दया कर दो आया हूँ शरण, दिल में भक्ति के भाव भर दो तेरे रँग में रँग जाये यह चञ्चल मन मेरा रहे […]
हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रह कर, हमको भी पाला था माँ-बाप ने दुःख सह-सह कर , वक्ते-रुख्सत उन्हें इतना भी न आये कह कर, गोद में अश्क जो टपकें कभी रुख से बह कर , तिफ्ल उनको ही समझ लेना जी बहलाने को ! अपनी किस्मत में अजल ही से सितम […]
आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी गुलाब के फूल से बागान महकते है चमेली के फूल चमन में चहकते है। राष्ट्रप्रेमी जन नई इबारत लिखते है, कमल का ये फूल भारत में खिलते हैं।। कीचड़ उछालने वाले जग में लाख है मगर, कंठ तक जल में गड़ा, मुस्कुराता है कमल। आंधी तूफ़ान को ये सहते जा […]
‘ तपन ‘ सुलगती धरती यहाँ पर तप रहा आकाश है गर्म हवाओं के थपेड़े तपन बेहिसाब है आग बरसी है धरा पर प्रचंड सूर्य ताप से झुलसते सब पेड़-पौधे सूनी दिखती राह है तीक्ष्ण अनल सूर्य का या, क्रोध हो इन्सान का अति होती जब किसी की हो पीड़ादायक सर्वदा गहन उष्ण ताप से […]