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कविता पर्व – त्यौहार

वसंत हृदय में धार ले, कहती है नव भोर

मधुमय यह वसंत है शुभ हो मंगल मूल। उल्लसित हैं सब दिशा खिल रहे प्यारे फूल।। सरसों फूली खेत में, बिखर गया है रंग। प्रकृति बतला रही, जीने का नया ढंग।। सरस रस हृदय पीओ, करो सदा आनंद। ओ३म नाम सिमरा करो कट जाएंगे फंद।। घृणा की ठिठुरन गई, प्रेम है भावविभोर। वसंत हृदय में […]

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काम भयंकर विषधर है

काम भयंकर विषधर है, नहीं बचा दंश से कोई भी। काम कुचाली भूचाली के, ना बचा वेग से कोई भी।। बहुत भयंकर डकैत देह में, बैठा हुआ है छुप करके। जागृत करता पापवासना, विवेक का दीप बुझा करके।। जितने भर भी पाप जगत में, होता सबका मुखिया काम। देह जलाता – गेह जलाता, अपयश – […]

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किए का फल मिलना निश्चय

हर वृक्ष लता से पूछा मैंने, तुम किस कारण यहां खड़े ? किस कारण तुम भोग रहे हो, फल कर्मों के बहुत कड़े ? वृक्ष लता एक सुर से बोले – नियम भंग के दोषी हैं हम। कठोर मिली है कारा हमको, दूर-दूर तक छाया है तम।। पाप रहा होगा छोटा सा, फल भयंकर विषधर […]

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डटकर संघर्ष किया हमने

मिला है जीवन लड़ने को, तूफान जगत के जितने भी। ‘अर्जुन’ ! तुझको लड़ना होगा, महारथी खड़े हों कितने भी।। तूफानों से पीठ फेरना, ना रहा हमारी रीति में। डटकर संघर्ष किया हमने, यही लिखा हमारी नीति में।। जब ललकारे कोई ‘ दुर्योधन’, करे चीरहरण किसी नारी का। कभी तेज तुम्हारा झुके नहीं, करो अंत […]

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वसुधा उसका घर होता है…

यह तेरा है – यह मेरा है, ये विचार बहुत ही छोटा है। जो फंसा हुआ इस द्वंद्व-भाव में, चिंतन उसका खोटा है।। बांहों को खोल बढ़ा जो आगे, बड़ा वही होता है। व्यापक विस्तृत चिंतन उसका, प्रेरक सबका होता है।। बड़ी सोच के स्वामी का, हृदय ही मंदिर होता है। हितार्थ समस्त जगती के, […]

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ऋणी है वसुधा भारत की

आभा का रथ भारत ही, प्रकाश पुंज जगती भर का। प्रकाश किरण बिखराता है, करता दूर अंधेरा जग का।। ऋणी है वसुधा भारत की, सिरमौर समझती है अपना। इस धर्मस्थली से होता आया, साकार जगत का हर सपना।। धर्म प्रेमी और महीपति , सम्राट हुए महीपाल हुए। इस धर्म धरा भारत भू- पर, न जाने […]

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भारत ही पहला धर्मस्थल

मेरी साधना उस भारत की, जिसके पीछे संसार चला। मानवता की शिक्षा पाकर, मानव ने इतिहास रचा।। मथुरा काशी की गूंज कभी, यूरोप में गूंजा करती थी। वेद मंत्र के गीत को सुनकर, उसकी धरा धन्य होती थी।। वहां वेद का जीवन दर्शन ही, लोगों को मार्ग बताता था। उपदेशन वैदिक ऋषियों का, जीवन को […]

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आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान

खिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान। आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान॥ दर्द दुखों का अंत हो, विपदाएँ हो दूर। कोई भी न हो कहीं, रोने को मजबूर॥ छेड़ रही है प्यार की, मीठी-मीठी तान। नए साल के पँख पर, ख़ुशबू भरे उड़ान॥ बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत। क्या पता? […]

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नए साल का सूर्योदय, खुशियों के लिए उजाले हो

पल-पल खेल निराले हो, आँखों में सपने पाले हो। नए साल का सूर्योदय यह, खुशियों के लिए उजाले हो॥ मानवता का संदेश फैलाते, मस्जिद और शिवाले हो। नीर प्रेम का भरा हो सब में, ऐसे सब के प्याले हो॥ होली जैसे रंग हो बिखरे, दीपों की बारात सजी हो, अंधियारे का नाम ना हो, सबके […]

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नई भोर का स्वागतम

मिटे सभी की दूरियाँ, रहे न अब तकरार। नया साल जोड़े रहे, सभी दिलों के तार।। बाँट रहे शुभकामना, मंगल हो नववर्ष। आनंद उत्कर्ष बढ़े, हर चेहरे हो हर्ष।। माफ करो गलती सभी, रहे न मन पर धूल। महक उठे सारी दिशा, खिले प्रेम के फूल।। गर्वित होकर जिंदगी, लिखे अमर अभिलेख। सौरभ ऐसी खींचिए, […]

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