◆ व्यक्ति विशेष : स्व. अनवर शेख ———————————————————- २१ अक्तुबर १९९५ के दिन लाहौर (पाकिस्तान) से प्रकाशित दैनिक वर्तमानपत्र “सदाकत” की हेड-लाईन थी, “All Pakistani clergy demand extradition of the accursed renegade Anwar Shaikh from Britain to hang him publicly.” अर्थात् “पाकिस्तान के सभी मुल्ला-मौलवी ब्रिटेन से धर्मद्रोही अनवर शेख के प्रत्यार्पण की मांग करते […]
श्रेणी: व्यक्तित्व
डॉ. सी0पी0 सिंह कसाना ग्रेनो*”जननी जने तो भक्तजन या दाता या शूर” “नहीं तो जननी बांज भली काहे गवाया नूर” वाली सूक्ति को चरितार्थ करते हुए —!!!भामाशाह महा दानी, दानवीर कर्ण की उपाधि से सुशोभित ,कर्म योद्धा, शिक्षाविद ,संघर्षशील, सहनशीलता की मिसाल, उत्कृष्ट प्रतिभा के धनी—!!!! युगपुरुष ,लोहपुरुष ,गुर्जर रतन ,जैसी उपाधियां भी जिनके आगे […]
-स्मृति के झरोखे से- “स्वामी श्रद्धानन्द जी की पुत्र-वधु और पं. इन्द्र वाचस्पति जी की धर्मपत्नी माता चन्द्रावती जी” लेखिकाः दीप्ति रोहतगी, बरेली। ————– निवेदनः श्रीमती दीप्ति रोहतगी, बरेली वेदभाष्यकार प्रवर विद्वान आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार जी की दौहित्री हैं। वह बचपन में अपने नाना आचार्य जी के साथ प्रायः गुरुकुल में ही रहा करती […]
ओ३म् ============= आज चैत्र कृष्णा 14, 2076 विक्रमी को माता श्रीमती प्रकाशवती जी की 38 वी पुण्य तिथि है। उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये हम कुछ पंक्तियां लिख रहे हैं। माता जी का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है। वैदिक विद्वान डा. आचार्य रामनाथ वेदालंकार जी से आर्यसमाज की पुरानी पीढ़ी के स्वाध्यायशील लोग प्रायः […]
करांची में हुए मुस्लिम लीग के अधिवेशन में ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चौदहवें समुल्लास को इस्लाम के विरुद्ध बताते हुए जब्त करने का प्रस्ताव पास किया गया |सिंध के मंत्रिमंडल ने जब ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चौदहवें समुल्लास को हटा देने की घोषणा की , तो देश भर में ऋषि दयानंद के शिष्यों के बीच क्षोभ की […]
– कार्तिक अय्यरजो लोग बुद्ध जी के नाम पर ब्राह्मणों को कोसते हैं,वे यह भी देख लें कि बुद्ध स्वयं को ही ब्राह्मण मानते थे! इसके बाद भला वे अंबेडररवादी किस बात का विरोध करेंगे? हम भिक्षु धर्मरक्षित के सुत्तनिपात हिंदी अनुवाद का उद्धरण दे रहे हैं। पाठकगण,अवलोकन करें-१- ऋषिसत्तम ब्राह्मणवंगीश ने कहा-एस सुत्वा पसीदामि, […]
ओ३म् ============ महाभारत युद्ध से पूर्व व महाभारत तक हमारे देश में वेद के ज्ञानी ऋषियों की परम्परा रही है। ऋषि उसे कहते हैं जो वेदों का ज्ञानी, योगी तथा समाधि को प्राप्त कर ईश्वर का साक्षात्कार किया हुआ हो। वेद परमात्मा का ज्ञान है जो सभी प्रकार की अविद्या एवं अन्धविश्वासों से मुक्त है। […]
ओ३म् ========== मनुष्य की पहचान व उसका महत्व उसके ज्ञान, गुणों, आचरण एवं व्यवहार आदि से होता है। संसार में 7 अरब से अधिक लोग रहते हैं। सब एक समान नहीं है। सबकी आकृतियां व प्रकृतियां अलग हैं तथा सबके स्वभाव व ज्ञान का स्तर भी अलग है। बहुत से लोग अपने ज्ञान के अनुरूप […]
– कार्तिक अय्यर जो लोग बुद्ध जी के नाम पर ब्राह्मणों को कोसते हैं,वे यह भी देख लें कि बुद्ध स्वयं को ही ब्राह्मण मानते थे! इसके बाद भला वे अंबेडररवादी किस बात का विरोध करेंगे? हम भिक्षु धर्मरक्षित के सुत्तनिपात हिंदी अनुवाद का उद्धरण दे रहे हैं। पाठकगण,अवलोकन करें- १- ऋषिसत्तम ब्राह्मण वंगीश ने […]
जला अस्थियाँ बारी-बारी, चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की यह पंक्तियाँ समर्पित है भारतमाता के उन वीर सपूतों के लिए जिन्होंने भारतमाता की पराधीनता की बेड़ियाँ काँटने के लिए हँसते-हँसते अपने शीश कटवा दिये, जेलों की कठोर यातनाएँ […]