ओ३म् =========== हमने कल वयोवृद्ध आर्यविद्वान पं. इन्द्रजित् देव, यमुनानगर से बातचीत की। उनसे महात्मा चैतन्य स्वामी जी के विषय में बातें हुईं। पंडित जी सन् 1965 से सन् 1969 तक चार वर्ष अपने सरकारी सेवाकाल में हिमाचल प्रदेश के मण्डी जिले के सुन्दरनगर स्थान पर रहे। इन्हीं दिनों लगभग 18 वर्ष के किशोर भगवान […]
श्रेणी: व्यक्तित्व
अजेंद्र अजय “अपने विरुद्ध आक्रोश को देखते हुए कुर्सी के मोह में अंधी हो चुकी इंदिरा गांधी ने ऐसा कदम उठाया, जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना की हो। 25-26 जून, 1975 की दरम्यानी रात को इंदिरा गांधी ने देश को आपातकाल के मुंह में धकेल दिया।” वर्ष 1975 में आज के ही दिन सत्ता […]
◆ प्राकृतिक रंगों के साथ सोने का भी किया गया प्रयोग ……………………………………………….. राकेश छोकर / नई दिल्ली ………………………………………………… कोरोनावायरस जनित वैश्विक आपदा के दौरान विश्व भर में राष्ट्र की छवि को मजबूत और अनूठी पहचान प्रदान करने वाले चर्चित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख्यातियों का सम्राट कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनकी कर्मशीलता के […]
महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने देश में वैदिक धर्म के सत्यस्वरूप को प्रस्तुत कर उसका प्रचार किया था। उनके समय में धर्म का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। न कोई धर्म को जानता था न अधर्म को। धर्म पालन से लाभ तथा अधर्म से होने वाली हानियों का भी मनुष्यों को ज्ञान नहीं था। ईश्वर का […]
फील्डमार्शल के. एम. करियप्पा भारतीय सेना को नेतृत्व प्रदान करने की बात आती है तो कोडांदेरा मदप्पा करियप्पा का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वो भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ थे। उनको ‘किपर’ के नाम से भी पुकारा जाता है। कहा जाता है कि जब वो फतेहगढ़ में तैनात थे तो एक […]
अजीत डोभाल एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है , जिसने भारत के जिस प्रधानमंत्री के साथ भी काम किया उसी का उन्होंने दिल जीत लिया । पूर्णतया देश भक्ति का प्रतीक बन चुके अजीत डोभाल बिल्कुल पीछे रहकर और बिना किसी बड़ाई की इच्छा रखे देश के लिए काम करते हैं । उनका यह गुण […]
प्रो. संजय द्विवेदी (लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में प्रोफेसर और कुलसचिव हैं) कभी भी नायक उम्मीदों का दामन नहीं छोड़ते। देश की विशाल आबादी जो अपने संकटों के कारण अब महानगरों से पलायन कर रही है। उसकी उम्मीदें टूट रही हैं और वह किसी भी हाल में अपने गांव या […]
ओ३म् =========== परमात्मा की सृष्टि में अनेक अनादि, नित्य व शाश्वत् आत्मायें जन्म लेती हैं। अधिकांश ऐसी होती हैं जो जन्म लेती हैं और मर जाती हैं। लोग उन्हें जानते तक नहीं। इनका जीवन अपने सुख व समृद्धि में ही व्यतीत होता है। इसके विपरीत कुछ आत्मायें ऐसी भी होती हैं जो मनुष्य जन्म लेकर […]
5 अप्रैल को कार्ल मार्क्स का जन्मदिन बनाया गया। अनेक कम्युनिस्ट धर्म को अफीम कह रहे थे। इस लेख से जानिए कि क्या धर्म अफीम है? नहीं। तो फिर अफीम क्या है?-डॉ विवेक आर्यकार्ल मार्क्स के वचन पढ़िए1.) Religion is the opium of the masses अर्थात रिलिजन लोगों का अफीम है !2.) The first requisite […]
क्रान्तदर्शी होना कवि का स्वाभाविक गुण है , उसकी प्रकृति है , उसे नैसर्गिक रूप से मिला हुआ एक वरदान है । कहने का अभिप्राय है कि क्रांतदर्शिता के अभाव में कोई व्यक्ति कवि नहीं हो सकता । जैसे विधाता की रचना और सृष्टा की सृष्टि का होना तभी संभव है , जब रचना और […]