(विश्व की उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है. हालांकि भारत महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतरता है, लेकिन व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घरेलू मुद्दों के कारण वह कमजोर पड़ […]
Category: पर्व – त्यौहार
– -प्रियंका सौरभ भाई-बहन का रिश्ता दुनिया के सभी रिश्तों में सबसे ऊपर है। हो भी न क्यों, भाई-बहन दुनिया के सच्चे मित्र और एक-दूसरे के मार्गदर्शक होते है। जब बहन शादी करके ससुराल चली जाती है और भाई नौकरी के लिए घर छोड़कर किसी दूसरे शहर चला जाता है तब महसूस होता है कि […]
उगता भारत ब्यूरो रक्षा बंधन, ये शब्द सुनते ही भाई और बहन का वो पवित्र रिश्ता आँखों के दिखना शुरू हो जाता है जो एक धागे से बंधा होता है। इस दिन श्रावण मास की पूर्णमासी को ये धागा एक बहिन द्वारा अपने भाई की कलाई में बाँध कर भाई से अपनी रक्षा का वचन […]
श्रावणी पर्व की महत्ता
#डॉ_विवेक_आर्य सावन मास श्रावण का परिवर्तित नाम है। इस मास की वैदिक महत्ता ऋषि मुनियों के समय से प्रचलित है।विक्रमी संवत के अनुसार श्रावण पांचवा मास है। प्राचीन काल में श्रवण मास को जीवन का अभिन्न अंग समझा जाता था। कालांतर में विदेशी संस्कृति के प्रचार से जनमानस इसे भूल गया है। श्रावणी पर्व के […]
उगता भारत’ के बारह वर्ष
आपका अपना समाचार पत्र ‘उगता भारत’ अपने 12 वर्ष पूर्ण कर 13 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। 12 वर्ष का यह काल कई उतार-चढ़ावों को लेकर आया, परंतु पाठकों का सतत प्यार और आशीर्वाद हमको प्राप्त होता रहा, उसके फलस्वरूप यह समय कब गुजर गया, पता ही नहीं चला। किसी भी समाचार पत्र […]
तसलीमा नसरीन: ईद
ईद की सुबह स्नानघर में घर के सभी लोगो ने बारी-बारी से कोस्को साबुन लगाकर ठण्डे पानी से गुस्ल किया। मुझे नए कपड़े -जूते पहनाए गए, लाल रिबन से बाल से बाल संवारे गए, मेरे बदन पर इत्र लगाकर कान में इत्र का फाहा ठूंस दिया गया। घर के लड़कों ने कुर्ता-पाजामा पहनकर सिर पर […]
जब जनमासे में टिका करती थी बारात
दर्शनी प्रिय बिहार की धरती अनेक रीति रिवाजों की जननी रही है। यहां परंपराएं लोकायत रूप में पल्लवित होती गई और इतिहास उन्हें करीने से पीढ़ी दर पीढ़ी उत्कृष्ट खांचे में ढालता रहा। परंपरा के केंद्र में बसे रस्मों रिवाजों से आरूढ़ इस क्षेत्र ने रीतियों को प्रतीकात्मक रूप से अनुकरणीय बनाया है। लोक रवायतों […]
ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपनी आत्मा की उन्नति करे। आत्मा की उन्नति ज्ञान की प्राप्ति एवं तदवत् आचरण करने से होती है। शारीरिक उन्नति के पश्चात ज्ञान की प्राप्ति करना कर्तव्य है। सद्ज्ञान की प्राप्ति वेद व वैदिक शिक्षाओं को जानने वा पढ़ने से ही होती है। इसके […]
वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को अक्षय्य तृतीया कहते हैं। इसे व्रत के साथ त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है । इस दिन महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन प्रतिष्ठापित चैत्र गौरी का विसर्जन करती हैं । चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया से वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तक किसी मंगलवार अथवा शुक्रवार एवं किसी शुभ दिन […]
ओ३म् ========== वर्ण व्यवस्था के सम्बन्ध में कहा जाता है कि संसार के तीन प्रमुख शत्रु हैं। प्रथम अज्ञान व अविद्या, दूसरा अन्याय, शोषण वा अत्याचार आदि और तीसरा अभाव। अज्ञान व अविद्या दूर करना ब्राह्मण का दायित्व होता है और अन्याय व अभाव को दूर करना क्षत्रिय तथा वैश्य का कर्तव्य होता है। अज्ञान […]