*क्या आप जानते हैं कि विश्वप्रसिद्ध नालन्दा विश्वविद्यालय को जलाने वाले जेहादी बख्तियार खिलजी की मौत कैसे हुई थी ???* असल में ये कहानी है सन 1206 ईसवी की…! 1206 ईसवी में कामरूप में एक जोशीली आवाज गूंजती है… *”बख्तियार खिलज़ी तू ज्ञान के मंदिर नालंदा को जलाकर कामरूप (असम) की धरती पर आया है… […]
Category: इतिहास के पन्नों से
टीएसआर सुब्रमणियन (पूर्व कैबिनेट सचिव, भारत सरकार) सन 1980 में मैं तत्कालीन वाणिज्य मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल का सदस्य बनकर बगदाद गया। मौका बाथ क्रांति की 12वीं जयंती पर मनाए जाने वाले उत्सव का था। मेरे अलावा प्रतिनिधिमंडल में कांत भार्गव थे, जो कि विदेश मंत्रालय से थे। यह इराक-ईरान युद्ध […]
गौरक्षक वीर शिवाजी
#डॉ_विवेक_आर्य हिन्दू इतिहास के सबसे बड़े गौ-भक्तों के नाम के जगह लिखे जायें तो शिवाजी महाराज का नाम विशेष रूप से स्मरणीय है। गौ भक्त शिवाजी महाराज के लिए गाय सदैव पूजनीय रही थी। वह हमेशा बोलते थे कि गाय हिन्दू धर्म की शान है। जो भी इसको मात्र पशु समझ रहा है वह अज्ञानी […]
अजित वडनेरकर देश का नाम बदलने पर बहस छिड़ी है, संविधान में दर्ज ‘इंडिया दैट इज़ भारत’ को बदलकर केवल भारत करने की माँग उठ रही है. इस बारे में एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल हुई जिसपर बुधवार को अदालत ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की माँग थी कि इंडिया ग्रीक शब्द इंडिका से […]
क्या महर्षि मनु जातिवाद के पोषक थे? मनुस्मृति जो सृष्टि में नीति और धर्म (कानून) का निर्धारण करने वाला सबसे पहला ग्रंथ माना गया है उस को घोर जाति प्रथा को बढ़ावा देने वाला भी बताया जा रहा है। आज स्थिति यह है कि मनुस्मृति वैदिक संस्कृति की सबसे अधिक विवादित पुस्तक बना दी गई […]
हम अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्षय में अमृत महोत्सव मना रहे हैं। कुछ लोग इस अमृत महोत्सव को आजादी का महोत्सव कहकर बोल रहे हैं जबकि ऐसा कहना गलत हैं । जिन लोगों को हमारी संस्कृत और हिंदी भाषा का व्याकरण बोध नहीं है, उनके द्वारा इसे आजादी का महोत्सव कहा […]
कहां है दशानन रावण की लंका ?
प्रमोद भार्गव विरोधाभास और मतभिन्नता भारतीय संस्कृति के मूल में रहे हैं। यही इसकी विशेषता भी है और कमजोरी भी। विशेषता इसलिए कि इन कालखंडों के रचनाकारों ने काल और व्यक्ति की सीमा से परे बस शाश्वत अनुभवों के रूप में अभिव्यक्त किया है। इसीलिए वर्तमान विद्वान रामायण और महाभारत के घटनाक्रमों, नायको और […]
संजय सक्सेना आज 18 जुलाई है। वैसे तो यह दिन और दिनों के जैसा ही सामान्य है,लेकिन भारत के इतिहास में आज का दिन काफी महत्व रखता है,क्योंकि आज ही के दिन 18 जुलाई 1947 को अंग्रेजोें ने टू नेशन थ्योरी पर मोहर लगाई थी,जिसका उस समय के कुछ कांग्रेसियों ने विरोध […]
एनआर/एके (डीपीए) 1947 में भारत के बंटवारे का दंश सबसे ज्यादा महिलाओं ने झेला।अनुमान है कि इस दौरान 75 हजार से एक लाख महिलाओं का अपहरण हत्या और बलात्कार के लिए हुआ। जबरन शादी, गुलामी और जख्म ये सब बंटवारे में औरतों को हिस्से आया। 1947 और 1948 के बीच सरला दत्ता को एक पाकिस्तानी […]
– लेखक अशोक चौधरी मेरठ। भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान पुरुष से अधिक रहा है। राधे श्याम, सीताराम, गंगा पुत्र भिष्म,कुंती पुत्र अर्जुन,राधेय सुत कर्ण, कौशल्या नंदन राम,देवकी/यशोदा नंदन कृष्ण नाम जब लिए जाते हैं तब यह आभास अपने आप ही हो जाता है। भारत का इतिहास भी इस बात का गवाह है जब […]