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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

मातृभूमि को अपने खून का अर्ध्य देकर खुदीराम ने खोद दी अंग्रेजों की कब्र

अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-6 नरेन्द्र सहगल सन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के बाद देश में एक राजनीतिक लहर चली जिसमें अंग्रेजों से प्रार्थना, याचना तथा मांगने की प्रथा का माहौल बनने लगा। एक अंग्रेज ए. ओ. ह्यूम ने वास्तव में इसी उद्देश्य के लिए कांग्रेस की […]

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धारा ३७० के गुनहगार कौन..?

– प्रशांत पोळ (3 वर्ष पहले कश्मीर से धारा ३७० हटाने पर यह लेख प्रकाशित हुआ था। ) आज के इस ऐतिहासिक दिवस पर डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और अटल बिहारी बाजपेयी जी के स्वर्गस्थ आत्माओं को निश्चित रुप से शान्ति मिली होगी..! डॉ. मुखर्जी, कश्मीर में, धारा ३७० के कारण बने, दो […]

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वैदिक सभ्यता संस्कृति और भारतीय इतिहास

उगता भारत ब्यूरो वैदिक काल प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक काल खंड है। उस दौरान वेदों की रचना हुई थी। हड़प्पा संस्कृति के पतन के बाद भारत में एक नई सभ्यता का आविर्भाव हुआ।इस सभ्यता की जानकारी के स्रोत वेदों के आधार पर इसे वैदिक सभ्यता का नाम दिया गया। वैदिक काल में वेदों की […]

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वे पन्द्रह दिन….१ अगस्त, १९४७

वे पन्द्रह दिन….१ अगस्त, १९४७ प्रशांत पोळ शुक्रवार, १ अगस्त १९४७. यह दिन अचानक ही महत्त्वपूर्ण बन गया। ‘इस दिन कश्मीर के सम्बन्ध में दो प्रमुख घटनाएं घटीं, जो आगे चलकर बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्ध होने वाली थीं।’ इन दोनों घटनाओं का आपस में वैसे तो कोई सम्बन्ध नहीं था, परन्तु आगे होने वाले रामायण-महाभारत में […]

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बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है मेवाड़ राज्य का

मेवाड़ राज्य का इतिहास उगता भारत ब्यूरो मेवाड़ का गुहिल वंश –  मेवाड़ रियासत राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत है, इसे मेदपाट, प्राग्वाट, शिवि जनपद आदि उपनामों से जाना जाता है। मेवाड़ का गुहिल वंशी राजघराना एकलिंगजी (शिव) का उपासक था, इसी कारण मेवाड़ के शासक एकलिंगनाथजी को स्वयं के राजा/ईष्ट देव तथा स्वयं को एकलिंगनाथजी का […]

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गांधी जी की हत्या के पश्चात चित्तवावन ब्राह्मण हिंदुओं पर क्या बीती

भारत की विडंबना ही तो है जो हिन्दुओ की हत्याओं पर राजनेताओ को मौन धारण करवा देती है। नाथूराम गोडसे एवं गांधी जी के नाम पर आज तक धार्मिक तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है। गांधी जी की हत्या को आज तक देश रो रहा है पर उन हिन्दुओ की हत्याओं को रोने वाला […]

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अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-3 वासुदेव बलवंत फड़के ने थामी स्वतंत्रता संग्राम की मशाल

– नरेन्द्र सहगल – इतिहास साक्षी है जहाँ एक ओर हमारे देश में राष्ट्र समर्पित संत-महात्मा, वीरव्रती सेनानायक, देशभक्त सुधारवादी महापुरुष एवं कुशल राजनेता हुए हैं, वहीं दूसरी ओर देश-हित को नकारकर मात्र अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए शत्रुओं का साथ देने वाले देशद्रोहियों और गद्दारों की भी कमी नहीं रही। इन्हीं गद्दारों की […]

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बंटवारे के दर्द में भी आजादी का जश्न मना रहे थे हम

उगता भारत ब्यूरो 15 अगस्त 1947 का वो दिन जब देश एक तरफ आजादी का जश्न मना रहा था तो वहीं दूसरी तरफ दर्दनाक नजारे दिल को दहला रहे थे।अंग्रेज सत्ता ने भारत को आजादी की खुशियां भी बंटवारे की बहुत बड़ी कीमत चुकाकर सौंपी थीं। 14 अगस्त को भारत और पाकिस्तान दो हिस्सों में […]

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बयान नहीं किया जा सकता भारत विभाजन का दर्द

उगता भारत ब्यूरो भारत का विभाजन-14-15 अगस्त, 1947 को एक नहीं बल्कि दो राष्ट्र भारत और पाकिस्तान अस्तित्व में आए। भारत और पाकिस्तान का विभाजन दर्दनाक था तथा इस पर फैसला करना और अमल में लाना और भी कठिन था। विभाजन के कारण– ⦁    मुस्लिम लीग ने ‘द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त’ की बात की थी। इसी कारण […]

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“स्त्री कोई वस्तु नहीं कि उसे दांव पर लगाया जाए…”

दुर्योधन ने उस अबला स्त्री को दिखा कर अपनी जंघा ठोकी थी, तो उसकी जंघा तोड़ी गयी। दु:शासन ने छाती ठोकी तो उसकी छाती फाड़ दी गयी। महारथी कर्ण ने एक असहाय स्त्री के अपमान का समर्थन किया, तो श्रीकृष्ण ने असहाय दशा में ही उसका वध कराया। भीष्म ने यदि प्रतिज्ञा में बंध कर […]

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