———————————————— गत सौ सालों में अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी उग्रवाद को खाद-पानी देने में सब से बड़ी भूमिका भारत के हिन्दू नेताओं की है। पहली बार, 1920-22 में तुर्की में इस्लामी खलीफा की गद्दी बहाल करने का आंदोलन महात्मा गाँधी ने चलाया, जब कि खुद तुर्की और अरब में वातावरण खलीफा के विरुद्ध था। अंततः स्वयं तुर्की […]
Category: इतिहास के पन्नों से
अंकित सिंह 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश की घोषणा हुई थी। हालांकि, उसके लिए आजादी की लड़ाई आसान नहीं थी। 9 महीने के संघर्ष के बाद 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेशी को आजादी मिली। 26 मार्च 1971 को जब बांग्लादेश की घोषणा हुई उसके बाद से पाकिस्तान का पूर्वी पाकिस्तान में ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू हुआ। […]
भारतीय शिक्षा का विकृतीकरण नेहरू की एक मुख्य देन है. आइए इसपर विचार करें… नेहरु के शिक्षा मंत्री – 11 नवम्बर 1888 को पैदा हुए मक्का में, वालिद का नाम था ” मोहम्मद खैरुद्दीन” और अम्मी मदीना (अरब) की थीं। नाना शेख मोहम्मद ज़ैर वत्री ,मदीना के बहुत बड़े विद्वान थे। मौलाना आज़ाद अफग़ान उलेमाओं […]
दसवां प्रश्न कांग्रेस के पापों की कहानी का अंत यूं तो अभी बहुत समय पश्चात होना संभावित है परंतु जब धारा 370 को हटाया गया तो इसके एक बड़े पाप का निवारण उस समय अवश्य हो गया था। अब हम संविधान की आपत्तिजनक धारा 370 और 35a को हटाने की कहानी पर विचार करते हैं। […]
——————————————— आजकल दूरदर्शन पर डिबेट हो रहे हैं। जिसमें बड़े नामी लोग भाग लेते हैं। उनमें यह ही प्रश्न उठता है कि सावरकर ने जेल से छूटने के बाद कुछ नही किया,जेल में थे तो बार बार माफ़ी माँगते थे , इस प्रकार के बे सिरपैर के आरोप कई ऐसे सिरफिरे वीर सावरकर जी पर […]
🕉️🕉️🕉️🙏✍️🙏🕉️🕉️🕉️। चलिए *हजारो साल* पुराना इतिहास पढ़ते हैं। *सम्राट शांतनु* ने विवाह किया एक *मछवारे की पुत्री सत्यवती* से।उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की *भीष्म प्रतिज्ञा* की। सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए *भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा..???* महाभारत […]
हम सभी भली प्रकार जानते हैं कि महात्मा गांधी ने सरदार भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों को फांसी से बचाने का गंभीर प्रयास नहीं किया था । इसका कारण केवल एक था कि वह और उनकी पार्टी कांग्रेस इन क्रांतिकारियों को क्रांतिकारी या स्वाधीनता संग्राम का सेनानी न मानकर आतंकवादी मानती थी अर्थात क्रांतिकारियों […]
पिछले दशक के उत्तरार्ध में भारत में “फैक्ट चेक” करने वाली संस्थाएँ आ गईं, हालाँकि विदेशों के अख़बारों में “फैक्ट चेकर” काफी पहले से अस्तित्व में थे। “लेटर्स टू जूलिएट” की नायिका सोफी पेशे से “फैक्ट चेकर” ही होती है। फिल्म के शुरूआती दृश्य में ही उसे एक प्रसिद्ध पुरानी तस्वीर के वास्तविक या नाटकीय […]
भारत का जब-जब अगस्त का महीना आता है तब तब कई खट्टी मीठी कड़वी यादें लेकर आता है। 1947 में कांग्रेस के कारण हुए देश विभाजन की याद अभी भी कितने ही लोगों के मस्तिष्क में उमड़ घुमड़ कर पैदा होने लगती है। आज भी कई चेहरे हमारे बीच में ऐसे हैं जिन्होंने विभाजन की […]
आठवां प्रश्न मूल संविधान में सेकुलर शब्द नहीं था। इंदिरा गांधी ने इस शब्द को भारत के संविधान में 1976 में संविधान के 42 वें संशोधन के अंतर्गत स्थापित किया। इस शब्द का अर्थ हिंदी में यदि पंथनिरपेक्ष रखा गया होता तो बहुत ही अच्छा होता परंतु कांग्रेसियों ने इसका अर्थ धर्मनिरपेक्ष कर दिया। जिस […]