ओरछा का हमारे गौरवपूर्ण हिंदू इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। यहां की कई वीरता पूर्ण रोमांचकारी घटनाएं भारतीय इतिहास की धरोहर हैं। जिनका उल्लेख हम यहां पर करेंगे। बेतवा नदी के किनारे पर बसा ओरछा कभी परिहार राजाओं की राजधानी हुआ करता था। गुर्जर प्रतिहार राजवंश को ही परिहार के नाम से जाना जाता है।ओरछा मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड सम्भाग […]
Category: इतिहास के पन्नों से
चक्रवर्ती सम्राट रघु
चक्रवर्ती सम्राट रघु महाकवि कालिदास ने न बताया होता , तो शायद ही हम रघु के बारे में विस्तार से कुछ जान पाते।यूँ भी हम इतना ही जानते हैं , कि राम रघु के कुल में हुए ,और ” रघुकुल रीत सदा चलि आई , प्राण जाइ पर बचन न जाई। ” किंतु कुछ तो […]
भाई मतिदास, भाई सतिदास तथा भाई दयाला का बलिदान. बलिदान पर्व – 9 नवंबर और 10 नवम्बर सन 1675 ई. चांदनी चौक, दिल्ली. औरंगज़ेब के शासन काल में उसकी इतनी हठधर्मिता थी, कि उसे इस्लाम के अतिरिक्त किसी दूसरे धर्म की प्रशंसा तक सहन नहीं थी. मुग़ल आक्रांता औरंगजेब ने मंदिर, गुरुद्वारों को तोड़ने और […]
ओ३म् मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव को ग्रहण करने से बनता है। विश्व में अनेक मत, सम्प्रदाय आदि हैं। इन मतों के अनुयायी ईसाई, मुसलमान, हिन्दू, आर्य, बौद्ध, जैन, सिख, यहूदी आदि अनेक नामों से जाने जाते हैं। मनुष्य जाति को अंग्रेजी में भ्नउंद कहा जाता है। यह जितने मत व सम्प्रदायों के लोग […]
वैदिक भारत आज परीकथाओं सा प्रतीत होता है। कितना विचित्र है कि हजारों साल पहले इतना विकसित और समृद्ध होते हुए भी आज देश की विश्वपटल पर पहले के समान सशक्त छवि नहीं है। कुछ मामलों में तो भारत उस समय से भी पीछे दिखाई देता है। ऐसा ही एक पहलू है – स्त्री शिक्षा। […]
गुजरात के मोरबी जिले (Morbi Bridge Collapse) में हुई भयावह घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया है। मोरबी जिले में पुल के ढहने के बाद से देश के पुराने पुलों की मजबूती पर अब सवाल खड़े हो रहे है। भविष्य में फिर से ऐसी दुर्घटनाएं न हो इसके लिए देश में मौजूद 100 साल […]
विचित्र भारतीय इतिहासकार, जो संस्कृत नहीं जानते लेकिन प्राचीन इतिहास लिख देते हैं। वैदिक भाषा नहीं जानते लेकिन आर्य आगमन पर दृढ़ हैं। पशुपति कह देंगे लेकिन उसे शिव कहते ही चिढ़ जाते हैं। अरबी, फ़ारसी और हिब्रू नहीं जानते लेकिन एक स्वर से कुरान को सही सही व्याख्या कर लेते हैं। आईने अकबरी और […]
-स्व० विश्वनाथ पाकिस्तान बनने से पहले पंजाब की दो प्रमुख आर्यसमाजें थीं जहां से पंजाब ही नहीं, किसी सीमा तक देश भर के आर्यजगत् की गतिविधियों की कल्पना की जाती थी और उन्हें साकार किया जाता था। आर्यसमाज अनारकली आर्य प्रादेशिक सभा की प्रमुख समाज थी उसके प्रेरणा स्त्रोत महात्मा हंसराज जी थे। दूसरी थी- […]
कुछ साल पहले बिहार गया. अचानक इच्छा हुई कि समय है तो क्यों ना नालन्दा विश्वविद्यालय के जले हुए अवशेषों को देखा जाए. पटना में नालन्दा का रास्ता पता किया. पता चला कि नालन्दा जाने के लिए पटना से बख्त्यारपुर की ट्रेन पकडनी पड़ेगी. आश्चर्य हुआ कि जिस बख्त्यार खिलजी ने 2000 बौद्ध भिक्षु अध्यापकों […]
उगता भारत ब्यूरो भारत की आजादी के बाद सबसे बड़ी परेशानी सरकार के सामने देश में मौजूद विभिन्न रियासतों को देश में शामिल करना था। ये काम आसान भी था और मुश्किल भी। आसान इसलिए क्योंकि कुछ रियासतें खुद से भारत में शामिल होने की इच्छुक थीं तो कुछ इसके खिलाफ थीं। आजाद भारत में […]