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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 18 ( क ) महाराणा उदय सिंह और उनकी शौर्य गाथा

महाराणा उदय सिंह और उनकी शौर्य गाथा जुलाई 1540 ईस्वी में महाराणा उदय सिंह मेवाड़ के शासक बने। उनको इतिहास में बहुत ही उपेक्षित स्थान दिया गया है। सामान्यतया इस महाराणा के विषय में लोगों में ऐसी अवधारणा है कि वह अपने पिता महाराणा संग्राम सिंह और पुत्र महाराणा प्रताप सिंह के बीच में एक […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 17 ( ख ) पन्ना की पारिवारिक पृष्ठभूमि

पन्ना की पारिवारिक पृष्ठभूमि कहने का अभिप्राय है कि बलिदानों की पृष्ठभूमि से जुड़ी पन्ना गूजरी ने एक धाय माता के रूप में जब अपना कर्तव्य निर्वाह करना आरंभ किया और उसने देखा कि अब उसके लिए भी बलिदान के क्षण आ गए हैं तो उसने भी बलिदान करने में तनिक सी देर नहीं की। […]

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कई संप्रदाय और तीर्थ धामों में प्रस्फुटित हुआ राम सखा संप्रदाय

✍️ डॉ. राधे श्याम द्विवेदी माध्व वैष्णव( ब्रह्म) सम्प्रदाय द्वारा अनुप्राणित:- राम सखा संप्रदाय, मूलतः ‘ माध्व वैष्णव( ब्रह्म) सम्प्रदाय’ की एक शाखा है, जो एक संगठित समूह में नहीं बल्कि बिखरे स्वरूप में मिलता है। इसके अलावा रामानंद संप्रदाय से भी इसका लिंक मिलता है। संत राम सखे राम सखा संप्रदाय के संस्थापक रहे […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 17 ( क ) पन्ना धाय का बलिदान और महाराणा उदय सिंह

पन्ना धाय का बलिदान और महाराणा उदय सिंह पन्ना गूजरी भारत के अमर बलिदानियों और क्रांतिकारियों के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भारत की क्रांतिकारी बलिदानी गाथा को तब तक पूर्ण नहीं समझना चाहिए जब तक कि पन्ना धाय के बलिदान को उसमें स्थान न दे दिया जाए। पन्ना गुर्जरी ने अपने बेटे चंदन […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 16 ( ख) विक्रमादित्य (1531-1536 ई.)

विक्रमादित्य (1531-1536 ई.) मेवाड़ के राणा रतनसिंह द्वितीय की मृत्यु निसंतान हुई थी। उसका सौतेला भाई विक्रमादित्य उसके उत्तराधिकारी के रूप में मेवाड़ की गद्दी पर बैठा। विक्रमादित्य का उपनाम विक्रमाजीत भी था। विक्रमाजीत इतिहास प्रसिद्ध रानी कर्मवती का पुत्र था। बाबर के जीवित रहते हुए भी वह उसे महाराणा संग्राम सिंह का उत्तराधिकारी घोषित […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 16 ( क) महाराणा रतन सिंह, विक्रमादित्य और बनवीर

महाराणा रतन सिंह, विक्रमादित्य और बनवीर मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह के पश्चात उनके उत्तराधिकार को लेकर युद्ध आरंभ हो गया था। इस संबंध में कर्नल टॉड का कथन है कि :- “राणा संग्राम सिंह के भी अनेक रानियां थीं। राणा के मरने के पश्चात सभी रानियां अपने- अपने लड़कों को राज्यसिंहासन पर बैठाने का […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 15 ( ख ) महाराणा की कठोर प्रतिज्ञा

महाराणा की कठोर प्रतिज्ञा शौर्य और साहस की उस प्रतिमूर्ति ने उस समय यह कठोर प्रतिज्ञा ली कि जब तक विदेशी शत्रु को परास्त नहीं कर दूंगा तब तक चित्तौड़ नहीं लौटूंगा। उनका संकल्प था कि चित्तौड़ की प्राप्ति तक वह नगर या ग्राम में नहीं जाएंगे। भूमि पर शयन नहीं करेंगे और सिर पर […]

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आक्रमणकारियों ने जिन स्थलों के नाम बदले, उनके वास्तविक नाम रखे जाने का अभियान चलना चाहिए

अश्विनी उपाध्याय हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं लेकिन हमारे प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थल आज भी क्रूर विदेशी आक्रमणकारियों, उनके नौकरों और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं। आक्रमणकारियों ने न केवल सामान्य स्थानों का नाम बदला बल्कि जानबूझकर हमारे प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों का नाम भी बदल दिया […]

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क्या मनु महाराज और आदम एक है?*

क्या मनु महाराज और आदम एक है? – आर्य मिलन ‘अवत्सार’ मदनी के अनुसार मनु और आदम एक है। जो ब्रह्मा आदि से पूर्व हुए है। आइए इनके बारे में थोड़ा जानते है। मनु कोई एक मानव का नाम नहीं, ये उपाधि है। हर काल खंड मनु हुए है। जबकि यवन मान्यता के अनुसार प्रथम […]

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मेवाड़ के महाराणा और उनकी गौरव गाथा अध्याय – 15 ( क ) अदम्य साहसी थे महाराणा संग्राम सिंह

अदम्य साहसी थे महाराणा संग्राम सिंह महाराणा संग्राम सिंह और बाबर का सामना फतेहपुर सीकरी के निकट खानवा नामक स्थान पर हुआ था। राणा संग्राम सिंह ने उस दिन उसके लिए विशेष व्यूह रचना की थी। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि बाबर व्यूह रचना का विशेषज्ञ था। उसने जिस प्रकार एक विशेष व्यूह रच […]

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