अबुल फजल ने फैलाई भ्रांति अबुल फजल की इस प्रकार की अनर्गल बातों ने ही इस भ्रांति को जन्म दिया कि महाराणा प्रताप ने राजा भगवानदास से पूर्व में किए गए राजा मानसिंह के साथ कथित दुर्व्यवहार पर पश्चात्ताप किया था। अबुल फजल ने इस बात को गलत ढंग से इसलिए लिखा कि राजा भगवानदास […]
Category: इतिहास के पन्नों से
✍️ डॉ. राधे श्याम द्विवेदी गलताजी जयपुर से 10 कि.मीअरावली पहाड़ियोंमें एक पहाड़ी दर्रे के अंदर निर्मित तीर्थ स्थल है । गैलव ऋषि की तपोभूमि होने के कारण यह “गैलव अजीज” के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इसका नाम समय के साथ बिगडकर गालव से गलता हो गया। यह आज गलताजी तीर्थ के नाम से […]
अकबर के दूतमंडल और महाराणा प्रताप महाराणा प्रताप ने सत्ता संभालते ही अपने लिए कांटों का मार्ग अपना लिया था। उन्होंने राष्ट्र के लिए यह शिवसंकल्प धारण किया कि अपने दादा महाराणा संग्राम सिंह के सपने को साकार करते हुए वह भारत भूमि को म्लेच्छ मुगलों से मुक्त कराएंगे। अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के […]
इस स्थिति की जानकारी जब महाराणा प्रताप के शुभचिंतक सरदारों को हुई तो उनमें परस्पर चर्चा होने लगी कि जगमाल का यहां उपस्थित न होने का कारण क्या है? महाराणा प्रताप के शुभचिंतक सरदारों और सामंतों को जब वास्तविकता का बोध हुआ तो उन्हें महाराणा उदय सिंह द्वारा लिए गए निर्णय अत्यंत आश्चर्य हुआ। सबने […]
महाराणा प्रताप और उनका राज्यारोहण महाराणा प्रताप भारत के इतिहास के एक ऐसा महान नक्षत्र हैं जिनके नाम लेने मात्र से रगों में खून दौड़ने लगता है। उन्हें भारत के वीरों का शिरोमणि कहा जाता है। अकबर जैसे मुगल बादशाह से उन्होंने जमकर टक्कर ली थी और उसे एक नहीं अनेक युद्धों में परास्त किया […]
अकबर बनाता रहा नई नई योजनाएं जब अकबर ने देखा कि जयमल उसकी सारी योजनाओं पर पानी फेर रहा है तो उसने अपने सैनिकों को एक लंबी सुरंग खोदने का आदेश दिया। स्पष्ट है कि यह सुरंग कहीं दूर जंगल से लाकर किले की दीवारों के नीचे लाकर समाप्त करनी थी। अकबर की योजना थी […]
मेवाड़ के शूरमा : जयमल और फत्ता मेवाड़ की शौर्य गाथा में जयमल और फत्ता का भी विशेष और महत्वपूर्ण स्थान है। जब अकबर ने 1567 ई0 में मेवाड़ पर दूसरी बार आक्रमण किया तो उस समय इन दोनों महावीर योद्धाओं ने अपना विशेष पराक्रम दिखाकर इतिहास में अपना नाम अमर किया। उनके पराक्रम के […]
अकबर महान या महाधूर्त ?
सेकुलर रोग से ग्रस्त कुछ वामपंथी और कांग्रेसी विचार रखने वाले इतिहासकारों ने हुमायूँ के बेटे मुग़ल बादशाह अकबर को एक धर्मनिरपेक्ष और हिन्दू मुस्लिम एकता और भाईचारे का प्रतीक बता दिया है , और उसे “अकबर आजम -اكبرِ اعظم ” ( akabar the greate ) की उपाधि दे डाली है ,लेकिन अकबर न तो […]
महाराणा उदय सिंह और उनकी शौर्य गाथा मेवाड़ की यह भी एक परंपरा रही है कि जब किसी महाराणा का देहांत होता था तो उसका उत्तराधिकारी उसके अंतिम संस्कार में सम्मिलित नहीं होता था। उसे मेवाड़ के उत्तराधिकारी के रूप में राजभवन में ही रहना होता था। मेवाड़ की इस परंपरा का निर्वाह करने के […]
हर साल कित्तुरु में 22 से 24 अक्टूबर तक कित्तुरु उत्सव लगता है जिसमें उनकी जीत का जश्न मनाया जाता है। चेन्नम्मा का जन्म 23 अक्टूबर, 1778 को ककाती में हुआ था। यह कर्नाटक के बेलगावी जिले में एक छोटा सा गांव है। उनकी शादी देसाई वंश के राजा मल्लासारजा से हुई जिसके बाद वह […]