महाराणा बन गए थे एक अबूझ पहेली अकबर के लिए महाराणा उन दिनों एक ऐसी अबूझ पहेली बन चुके थे जिसका उत्तर वह जितना ही खोजना चाहता था, उतना ही वह उसमें उलझता जाता था। मेवाड़ की दलदल से अकबर भागना चाहता था, पर भागने के स्थान पर उसमें धंसता ही जा रहा था। वह […]
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कर्नल टॉड का कथन है …. इस प्रसंग में कर्नल टॉड के एक काल्पनिक कथन को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। उसने महाराणा के प्रवास काल के विषय में लिखा है :- ” कुछ ऐसे अवसर आए जब अपनी अपेक्षा से भी अधिक प्रिय व्यक्तियों की आवश्यकताओं ने महाराणा को विचलित कर दिया। उसकी […]
संधि प्रस्ताव और महाराणा प्रताप देश की स्वाधीनता के लिए महाराणा प्रताप जंगलों की खाक छानते रहे। उनकी एक ही धुन थी, एक ही लगन थी और एक ही प्रतिज्ञा थी कि चाहे जो हो जाए , अकबर के सामने सिर नहीं झुकाना है। उन्होंने अनेक कठिनाइयों और कष्टों को सहन करते हुए अपना समय […]
मजलिस जमींदार (स्वतंत्रा सेनानी) उगता भारत ब्यूरो मजलिस जमींदार का जन्म सन् 1782 में दादरी गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) के निकट ग्राम में गुर्जर परिवार मे हुआ था। इनका पूरा नाम मजलिस भाटी था I वे उमराव सिंह गुर्जर के क्रांतिकारी साथी थे Iमजलिस जमींदार 1857 की क्रान्ति मे एक वीर क्रान्तिकारी थे । […]
इतिहासकार डॉ गोपीनाथ शर्मा का मत इसी संदर्भ में इतिहासकार डा.गोपीनाथ शर्मा अपनी पुस्तक “राजस्थान का इतिहास” के पृष्ठ 233-34 पर लिखते हैं कि- “विपत्ति काल के संबंध में एक जनश्रुति और प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि जब महाराणा के पास सम्पत्ति का अभाव हो गया तो उसने देश छोड़कर रेगिस्तानी भाग में जाकर रहने […]
भामाशाह के दान का सच महाराणा वंश के इतिहास के साथ भामाशाह का नाम बड़े सम्मान के साथ जुड़ा है। जनसामान्य में धारणा है कि महान व्यक्तित्व के स्वामी भामाशाह ने जब महाराणा प्रताप के पास कुछ भी नहीं रहा था, तब उन्हें अपना सारा खजाना देकर उनकी आर्थिक सहायता की थी। आइए , इस […]
दलित उत्थान का प्रेरणादायक संस्मरण #डॉविवेकआर्य 1920 के दशक में स्वामी श्रद्धानन्द ने दलितोद्धार का संकल्प लिया। उस काल में दलित कहलाने वाली जनजातियों को सार्वजानिक कुओं से पानी भरने की अनुमति नहीं थी। इस अत्याचार के विरुद्ध आर्यसमाज के शीर्घ नेता स्वामी श्रद्धानन्द ने आंदोलन चलाया। उन्होंने पहले महात्मा गाँधी और कांग्रेस से दलितों […]
हल्दीघाटी युद्ध के रोमांचकारी दृश्य जब हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा जा रहा था तो उस समय महाराणा प्रताप की सेना के महानायक रामशाह का युद्ध कौशल शत्रु को बहुत ही दुखी करने वाला था। महाराणा प्रताप के प्रति अपनी निष्ठा को व्यक्त करते हुए उस देशभक्त सेनानायक ने युद्ध क्षेत्र को शत्रुओं से खाली कर […]
#डॉविवेकआर्य वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भा जी का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। आप वीर शिवाजी के साथ अल्पायु में औरंगजेब की कैद में आगरे के किले में बंद भी रहे थे। आपने 11 मार्च 1689 को वीरगति प्राप्त की थी। इस लेख में वीर शम्भाजी जी के उस महान और प्रेरणादायक […]
जीवन का मोह छोड़कर लड़े हिंदू वीर हिंदू वीर योद्धा अपने इतिहास के महानायक महाराणा प्रताप के नेतृत्व में अपने प्राणों का मोह छोड़कर देश के लिए लड़ रहे थे। श्री केशव कुमार ठाकुर ने अपनी पुस्तक ‘भारत की प्रसिद्ध लड़ाइयां’ के पृष्ठ 277 पर लिखा है कि :- “जीवन का मोह छोड़कर राणा की […]