सत्यार्थ प्रकाश के 13वें समुल्लास में एक स्थान पर ऋषि दयानन्द ने लिखा है – “यह भी विदित हुआ कि ईसा ने मनुष्यों के फसाने के लिये एक मत चलाया है कि जाल में मच्छी के समान मनुष्यों को स्वमत में फसाकर अपना प्रयोजन साधें । जब ईसा ही ऐसा था, तो आजकल के पादरी […]
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सनातन शब्द की व्याख्या
================ पंडित गंगा प्रसाद उपाध्याय ‘सनातन’ शब्द का अर्थ है ‘सदा एक सा रहने वाला’। इसीलिये ईश्वर को भी ‘सनातन’ कहते हैं। सनातन धर्म का अर्थ है वह धर्म या नियम जो कभी बदलें नहीं, सदा एक से रहे। अथर्ववेद में ‘सनातन’ शब्द का यह अर्थ किया गया है :- “सनातनमेनमाहुरताद्य स्यात् पुनर्गवः । अहो […]
धर्म बलिदानी कान्हा रावत का जन्म दिल्ली से 60 मील बहीन गाँव में चौधरी बीरबल के घर माता लाल देवी की कोख से संवत 1697 (सन 1640) में हुआ. वह समय भारत में मुग़ल साम्राज्य के वैभव का था. हर तरफ मुल्ले मौलवियों की तूती बोलती थी. औरंगजेब ने 9अप्रेल 1669 को फरमान जारी किया- […]
एक गोंडी मुहावरा है – बुच्च बुच्च आयाना कव्वीते पालकी रेंगिना अर्थात आगे आगे होना किंतु अपने मूल विषय पर कुछ भी ध्यान न देना। रंगनाथ मिश्र आयोग के संदर्भ में यह गोंडी कहावत सटीक लगती है। रंगनाथ मिश्र आयोग के बाद मोदी सरकार द्वारा केजी बालकृष्ण आयोग का गठन आरक्षण के दुरुपयोग को जांचने, […]
अनन्या मिश्रा भारतीय राजनीति में उम्मीदवार और दावेदार शब्द के अर्थ बहुत अलग होते हैं। जैसे अगर हम पीएम पद के उम्मीदवार और दावेदारों की बात करें तो इसके लिए कई नाम आगे आएंगे। लेकिन भारतीय राजनीति में एक नाम ऐसा था जो सबसे ज्यादा लंबे समय तक पीएम पद का उम्मीदवार नहीं बल्कि दावेदार […]
कुछ स्मरण उनका भी कर लो।*
प्रतिवर्ष वैशाखी का पर्व हमारे उन अनेक वीर वीरांगनाओं, क्रांतिकारियों ,देशभक्तों का स्मरण दिलाता है जिन्होंने देश की स्वाधीनता के लिए अपना प्राण- उत्सर्ग किया था। इसी विषय पर श्री बृजेंद्र सिंह वत्स द्वारा लिखित यह लेख यहां पर प्रस्तुत है – डॉ राकेश कुमार आर्य बृजेन्द्र सिंह वत्स दिनांक १३ अप्रैल को समग्र […]
अमरता की ओर बढ़े नेता **
भारतवर्ष में चरित्र निर्माण की एक लंबी परंपरा रही है। चरित्र के आधार पर सामान्य से भी सामान्य व्यक्ति ने भगवान का दर्जा प्राप्त किया है। असल में व्यक्ति का चरित्र सोंपे गए कठिन से कठिन कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने में सहायक होता है । वेदों में भी कहा गया है कि धन गया […]
भारत अनादिकाल से हिन्दू देश रहा है .इस देश में जितने भी धर्म ,संप्रदाय ,और मत उत्पन्न हुए हैं ,उन सभी के अनुयायी ,इस देश के वास्तविक उतराधिकारी हैं.लेकिन जब भारत पर इस्लामी हमलावरों का शासन हुआ तो ,उन्होंने हिन्दू धर्म और हिन्दुओं को मिटाने के लिए हर तरह के यत्न किये .आज जो हिन्दू […]
भगवा वस्त्रधारी रसूल ! केवल भगवे वस्त्र पहिन लेने से किसी को आतंकी नहीं कह सकते ,जब तक उसके काम आतंक के नहीं हों , मुहम्मद कैसे थे सब जानते हैं लेकिन वह भी भगवे कपडे पहिनते थे , चूँकि आज फिर भगवा आतंक की फिर से बात होने लगी है इसलिए यह लेख प्रकाशित […]
आर्य सुधारक थे महात्मा बुद्ध”
ओ३म् -मन मोहन कुमार आर्य, देहरादून। बौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध के बारे में यह माना जाता है कि वह आर्य मत वा वैदिक धर्म के आलोचक थे एवं बौद्ध मत के प्रवर्तक थे। उन्हें वेद विरोधी और नास्तिक भी चित्रित किया जाता है। हमारा अध्ययन यह कहता है कि वह वेदों को मानते […]