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इतिहास के पन्नों से

गोरों की युद्धक की निशानियां*….!

गोरों की युद्धक की निशानियां….! आज 10 मई है भारतीय स्वाधीनता संग्राम 1857 को लगभग 176 वर्ष पूरे हो गए हैं। कभी दुनिया के 50 देशों पर शासन करने वाले अंग्रेज राजघराने का शासन आज महज इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड आयरलैंड जैसे 5 देशों में सिमट गया है कोई लंबे चौड़े देश नहीं है उन्हें देश […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सिखों के तीसरे गुरु अमर दासजी के आगे नतमस्तक हुआ था मुगल बादशाह अकबर

अनन्या मिश्रा गुरु अमर दास जी सिखों के तीसरे गुरु थे। उनका जन्म अमृतसर के ‘बासर के’ गांव में 5 मई 1479 को हुआ था। इनके पिता का नाम तेजभान और माता का नाम लखमीजी था। बता दें कि गुरु अमर दास आध्यात्मिक चिंतन वाले व्यक्ति थे। दिन भर खेती और व्यापार आदि के कार्यों […]

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इतिहास के पन्नों से

मालवा अंचल का शिक्षा और कला का ऐतिहासिक गौरव : सरस्वती प्रकट स्थल “भोजशाला”

मालव अर्थात लक्ष्मी का निवास ‘मालवा’ अपनी अनेकानेक भौगोलिक , सांस्कृतिक और ऐतिहासिक खूबियों के कारण विश्व प्रसिद्ध है। इन प्रसिद्धियों में चार चांद लगाती है धार स्थित भोजशाला। जिसे सरस्वती मंदिर, भोज का कमरा, मध्य प्रदेश की अयोध्या और ज्ञान की देवी सरस्वती का प्रकट स्थल आदि नामों से भी पुकारा जाता है। भोज […]

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इतिहास के पन्नों से

मौर्य वंश का पतन कैसे हुआ? मौर्य वंश के बाद किन राजवंशों का उदय हुआ?

उगता भारत ब्यूरो गुप्त साम्राज्य: भारतीय राजवंशों का तारीखवार लेखा जोखा मिलना शुरू होता है महाजनपद काल से। तब भारत 16 महाजनपदों में बंटा हुआ था। अपने पराक्रम से इस भूभाग को एक किया मौर्य वंश ने। सम्राट अशोक के समय अपने चरम पर पहुंच गया यह साम्राज्य। लेकिन, अशोक के जाने के साथ ही […]

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भामाशाह की जयंती 29 अप्रैल पर विशेष : क्या वास्तव में भामाशाह ने महाराणा प्रताप को कोई दान दिया था ?

महाराणा वंश के इतिहास के साथ भामाशाह का नाम बड़े सम्मान के साथ जुड़ा है। जनसामान्य में धारणा है कि महान व्यक्तित्व के स्वामी भामाशाह ने जब महाराणा प्रताप के पास कुछ भी नहीं रहा था, तब उन्हें अपना सारा खजाना देकर उनकी आर्थिक सहायता की थी। आइए , इस पर विचार करते हैं कि […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आर्यसमाज के भूषण पण्डित गुरुदत्तजी के अद्भुत जीवन का कारण क्या था?

-राज्यरत्न आत्माराम अमृतसरी प्रेषक- प्रियांशु सेठ , डॉ० विवेक आर्य महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के सच्चे भक्त विद्यानिधि, तर्कवाचस्पति, मुनिवर, पण्डित गुरुदत्त जी विद्यार्थी, एम०ए० का जन्म २६ अप्रैल सन् १८६४ ई० को मुलतान नगर में और देहान्त २६ वर्ष की आयु में लाहौर नगर में १९ मार्च सन् १८९० ई० को हुआ था। […]

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इतिहास के पन्नों से

जब क्रांतिकारी कवि दिनकर ने मंदिर में की थी अपनी मौत की कामना

अनन्या मिश्रा रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी के कवि, लेखक और निबन्धकार थे। दिनकर आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि थे। स्वतंत्रता के पहले उनकी पहचान एक विद्रोही कवि के तौर पर थी। लेकिन देश की आजादी के बाद उनकी पहचान ‘राष्ट्रकवि’ के तौर पर होने लगी। उनकी कविताओं में ओज, विद्रोह, आक्रोश और […]

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सीता माता की जन्म स्थली का विकास भी राम जन्म स्थली की भांति हो

प्रभात झा बिना राम के सीता नहीं और बिना सीता के राम नहीं। सृष्टि का यथार्थ यही है। संपूर्ण विश्व में सभी लोग भगवान् को याद करते हैं तो एक स्वर से सीता-राम ही कहते हैं। अयोध्या में रामलला की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो चुका है। विश्व के लिए यह सुखद […]

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शिवाजी ने जब महादेव का अपने रक्त से अभिषेक करके हिन्दवी स्वराज्य का संकल्प लिया था

लोकेन्द्र सिंह राजपूत शिवाजी ने जब महादेव का अपने रक्त से अभिषेक करके हिन्दवी स्वराज्य का संकल्प लिया था पुणे की दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगभग 82 किलोमीटर की दूरी पर, रोहिडखोरे की भोर तहसील में, सह्याद्रि की सुरम्य वादियों के बीच, समुद्र तल से लगभग 4694 फीट ऊंचाई पर घने जंगलों में श्री रायरेश्वर गढ़ […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् -पं. गुरुदत्त विद्यार्थी जी की 155 जयन्ती पर- “वेद मनीषी पं. गुरुदत्त विद्यार्थी का जीवन और कार्य”

-लेखक: डा. भवानीलाल भारतीय। (आगामी दिनांक 26-4-2023 को ऋषि दयानन्द के प्रमुख भक्त वेद मनीषी पं. गुरुदत्त विद्यार्थी जी की 155वी जयन्ती है। इस अवसर पर हम उनका भावपूर्ण स्मरण करते हैं और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हैं। पं. जी की जयन्ती पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित ऋषि दयानन्द के जीवन एवं साहित्य […]

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