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इतिहास के पन्नों से

कबीर साहब और सामाजिक समरसता***

भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता में ख्याति प्राप्त ऋषि, मुनि, साधु, संत, तत्व ज्ञानी, सत्य शोधक समाज सुधारक, धर्म प्रचारक, वीर योद्धा, कवि एवं साहित्यकार से प्रेरणा लेने तथा उनका स्मरण करने की महान परंपरा रही है। संत परंपरा एवं साहित्य जगत में सर्वोच्च स्थान एवं ख्याति प्राप्त कबीर साहब के जन्म मरण के 450 साल […]

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इतिहास के पन्नों से

देश का विभाजन और सावरकर…. अध्याय 4, भारत में इस्लामिक सांप्रदायिकता और अंग्रेजी सरकार

भारत में इस्लामिक सांप्रदायिकता और अंग्रेजी सरकार हिमांशु कुमार नामक गांधीवादी लेखक अपने उपरोक्त लेख में आगे लिखते हैं कि ‘याद रखिये मुस्लिम लीग का गठन हिन्दुओं के खिलाफ नहीं हुआ था। आप मुझे मुस्लिम लीग का कोई स्टेटमेंट हिन्दुओं के खिलाफ दिखा दीजिये, वहीं दूसरी तरफ हिन्दू महासभा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का गठन […]

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इतिहास के पन्नों से संपादकीय

देश विभाजन और सावरकर, अध्याय 3 सर सैयद अहमद खान का द्विराष्ट्रवाद

14 मार्च 1888 को मेरठ में दिए गए अपने भड़काऊ भाषण में सर सैयद अहमद खान ने स्पष्ट कर दिया था कि हिंदू-मुस्लिम मिलकर इस देश पर शासन नहीं कर सकते । अपने भाषण में उन्होंने कहा- “सबसे पहला प्रश्न यह है कि इस देश की सत्ता किसके हाथ में आनेवाली है ? मान लीजिए, […]

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देश विभाजन और सावरकर ? अध्याय 2, एक गांधीवादी के आरोप

अभी पिछले दिनों एक हिमांशु कुमार नामक गांधीवादी का लेख पढ़ा। इन महोदय ने अपने लेख के प्रारंभ में लिखा है कि ‘मोदी ने अब से चौदह अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस घोषित करवा दिया है। ये सोच रहे हैं कि इस बहाने हमें हर साल भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार बता कर […]

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इतिहास के पन्नों से

22 मई जयंती पर विशेष : आधुनिक भारत के महानायक थे राजा राममोहन राय

अनन्या मिश्रा राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत और आधुनिक भारत के जनक कहे जाते हैं। 22 मई को बंगाल में उनका जन्म हुआ था। राजा राम ने समाज में फैली तमाम कुरीतियों का खुलकर विरोध किया था। राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत व बंगाल का जनक […]

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इतिहास के पन्नों से

महान आसुरी संस्कृति –

— मुमताज महल से शाहजहाँ को इतना प्रेम था कि उसके मरने पर उसने उससे उत्पन्न १७ वर्ष की अपनी स्वयं की सगी बेटी जहाँआरा को ही अपनी बादशाह बेगम बना लिया था। यद्यपि शाहजहाँ की आठ बेगमों में से तीन जीवित थीं। किन्तु शाहजहाँ को १७ वर्ष की बेटी जहाँआरा ही “बादशाह बेगम” बनने […]

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इतिहास के पन्नों से

इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए मंत्रियों की हत्या का इतिहास जो छिपाया गया है –*

9 सितम्बर 1947 की मध्यरात्रि को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा सरदार पटेल को सूचना दी गई कि 10 सितम्बर को संसद भवन उड़ा कर एवं सभी मन्त्रियों की हत्या कर के लाल किले पर पाकिस्तानी झण्डा फहराने की दिल्ली के मुसलमानों की योजना है। सूचना क्योंकि संघ की ओर से थी, इसलिये अविश्वास का […]

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इतिहास के पन्नों से

गांधी मुस्लिम समर्थक क्यों थे?

गांधी मुस्लिम समर्थक क्यों थे?* (प्रो. के एस नारायणाचार्य ने अपने पुस्तक में कुछ संकेत दिए हैं।) सभी जानते हैं कि नेहरू और इंदिरा मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते थे। लेकिन कम ही लोग गांधीजी की जातिगत जड़ों को जानते हैं। आइए यहां एक नजर डालते हैं कि वे क्या कारण देते हैं। 1. मोहनदास […]

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इब्नबतूता के ब्यौरों में देखें दक्षिण भारत में काफिरों का कत्लेआम- भारत में इस्लाम

-विजय मनोहर तिवारी यह दक्षिण भारत के काफिरों की करुण कथा है। इब्नबतूता माबर पहुँचा है। यह वर्तमान तमिलनाडु में चेन्नई के आसपास का इलाका है। अब यह मोहम्मद तुगलक के कब्जे में है। तुगलक की तरफ से स्थानीय कब्जेदार शरीफ जलालुद्दीन एहसन शाह ने बगावत कर दी और पाँच साल तक माबर पर राज […]

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इतिहास के पन्नों से

बहादुरशाह बोला : क्रांति से नहीं था उसका कोई संबंध

सोशल मीडिया पर आइए पोस्ट मेरे ज्येष्ठ भ्राता श्री देवेंद्र सिंह आर्य जी ( वरिष्ठ अधिवक्ता एवं चेयरमैन उगता भारत समाचार पत्र) द्वारा मुझे भेजी गई। उस पोस्ट की विषय वस्तु इस प्रकार है: – ‘मुल्क के हालात और मीडिया की दलाली से बेहद दुखी और परेशान हूँ… इसी लिए ये पोस्ट कर रहा हूँ.. […]

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