द्वितीय चरण में विस्तार होता है। छोटा चर्च अब एक बड़ा बन जाता है। उसका विस्तार हो जाता है। अब वह छुप-छुप कर नहीं अपितु आत्म विश्वास से अपनी उपस्थिती दर्ज करवाता है। 1. स्थानीय सभा के स्वरुप में परिवर्तन- अब वह हर रविवार को आम सभा में लाउड स्पीकर लगाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता […]
Category: इतिहास के पन्नों से
#डॉविवेकआर्य मेरे एक मित्र ने ईसाई मत की प्रचारनीति के विषय में मुझसे पूछा। ईसाई समाज शिक्षित समाज रहा है। इसलिए वह कोई भी कार्य रणनीति के बिना नहीं करता। बड़ी सोच एवं अनुभव के आधार पर ईसाईयों ने अपनी प्रचार नीति अपनाई है। ईसाईयों के धर्मान्तरण करने की प्रक्रिया तीन चरणों में होती हैं। […]
अनन्या मिश्रा इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में गढ़मंडला की वीर तेजस्वी रानी दुर्गावती का नाम लिखा गया है। क्योंकि पति की मृत्यु के बाद रानी दुर्गावती ने अपने राज्य को बहुत अच्छे से संभाला था। उन्होंने कभी भी मुगल शासक अकबर के सामने घुटने नहीं टेके, बल्कि वीरता से उसका सामना किया। रानी […]
( जूम मीटिंग के माध्यम से चल रहे मेरे एक भाषण में जब मैंने देश विभाजन के समय की घटनाओं का उल्लेख किया और बताया कि किस प्रकार उस समय लगभग 20 लाख हिंदुओं को मार दिया गया था, तब उस मीटिंग में उपस्थित रहीं माताजी आर्या चंद्रकांता जी की आंखें सजल हो उठीं और […]
एक फैसले ने बदल दी थी जम्मू-कश्मीर की तस्वीर अनन्या मिश्रा जम्मू और कश्मीर रियासत के आखिरी शासक राजा हरि सिंह भारत के इतिहास में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। उन्होंने अपने शासनकाल में अहम राजनीतिक उथल-पुथल देखी थी। जिसके कारण रियासत का नए स्वतंत्र भारत में एकीकरण हुआ था। राजा हरि सिंह महान शिक्षाविद् […]
लेखक :- ब्र० महादेव पुस्तक :- देश भक्तों के बलिदान प्रस्तुति :- अमित सिवाहा भारतवर्ष के राष्ट्रीय इतिहास में वीरवर भगतसिंह का जीवन और बलिदान युग – युगान्तरों तक तथा कोटि – कोटि पुरुषों को सत्प्रेरणा देता रहेगा । आप किशोर अवस्था से ही क्रांतिकारी आन्दोलन के अत्यन्त सम्पर्क में थे । इसका कारण आपके […]
* लेखक आर्य सागर खारी ✍ आज अमर शहीद भगत सिंह की जन्म जयंती है अधिकांश को इस विषय में इसलिए पता नहीं चल पाता क्योंकि आजादी से लेकर आज पर्यंत किसी भी सरकार द्वारा शहीद भगत सिंह की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित नहीं किया गया है। ठीक आज से 4-5 दिन बाद 2 […]
अशोक मधुप चारों वेदों का अंग्रेजी अनुवाद करने वाले पहले भारतीय देश के जाने माने रसायनविद और आर्य विद्वान डॉ. सत्यप्रकाश (स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती) का जन्म उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के बिजनौर के आर्यसमाज के एक कक्ष में 24 सिंतबर 1905 हुआ था। उन्होंने जीवन का अधिकांश समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रसायन-विभाग के अध्यक्ष […]
मृत्युंजय दीक्षित संघ कार्य करते हुए अशोक सिंघल ने अपने आपको देश के एक सच्चे साधक के रूप में विकसित किया और 1942 में संघ के स्वयंसेवक बने। संघ के सरसंघचालक श्री गुरुजी ने 1964 में जाने-माने संत महात्माओं के साथ मिलकर विश्व हिंदू परिषद की स्थापना की। 27 सितम्बर 1926 को जन्मे राष्ट्रवादी विचारधारा […]
लेख संख्या 26 लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ (जगत-गुरु महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वी जयंती के उपलक्ष्य में 200 लेखों की लेखमाला के क्रम में आर्य जनों के अवलोकनार्थ लेख संख्या 26) जिस कालखंड में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का प्रवास जयपुर में हुआ उस समय भी जयपुर के राजा राम सिंह थे, […]