Categories
इतिहास के पन्नों से

चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क गुर्जर वंश से थे – भाग 4

वैदिक आर्यों की ही संतान थे गुर्जर सम्राट कनिष्क और उनके वंशज। कई इतिहासकारों ने ऐसा माना है कि गुर्जर शासकों का धर्म मिहिर अर्थात सूर्य था । जिन लोगों ने अपनी ऐसी धारणा व्यक्त की है उन्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि मिहिर या सूर्य कोई धर्म नहीं होता , अपितु यह एक देवता […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

शहीद भगत सिंह, राजगुरु , सुखदेव आदि के बलिदान का बदला किसने लिया ?

आज (23 march 2025) शहीद- ए -आजम भगत सिंह, राजगुरु ,सुखदेव जैसे मृत्युंजय वीरों का शहादत दिवस है। ठीक आज ही के दिन लाहौर सेंट्रल जेल में 9 दशक पूर्व भगत सिंह राजगुरु सुखदेव को अंग्रेजी साम्राज्य ने फांसी दे दी। दिल्ली बम असेंबली कांड लाहौर षड्यंत्र कांड सांडर्स वध के लिए भगत सिंह राजगुरु […]

Categories
इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू

इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू (अध्याय 9)

डिस्कवरी ऑफ इंडिया की डिस्कवरी पुस्तक से .. नेहरू बोले – आर्य विदेशी थे डॉ राकेश कुमार आर्य पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हिंदुस्तान की कहानी लिखनी तो आरंभकर दी, परंतु वह यह नहीं जानते थे कि इस कहानी का शुभारंभकहां से हुआ? इसके सूत्रधार कौन थे? इसीलिए उन्होंने अपनी पुस्तक के पृष्ठ संख्या 83 पर […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क गुर्जर वंश से थे – भाग 3

रामचन्द्र के पुत्र कुश का कुशाण वंश महान। सम्राट कुचुल से कनिक तक योद्धा कीर्तिमान। चीन से काला सागर अल्ताई से नर्वदा। संघों के बाद भी विस्तार करते रहे सदा। पहली सदी काठियावाड़ में अनेकों मन्दिर बनवाए। तुझको छोड़कर भारत का इतिहास लिखा ना जाए। सम्राट कनिष्क के पुत्र हुए सम्राट हुविष्क महान। माहेश्वर देवपुत्र […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क गुर्जर वंश से थे – भाग 2

गुर्जर जाति के प्रारंभिक राजवंशों में चेची, कुषाण, खटाना, हूण तथा नागवंश विशेष उल्लेखनीय है। – मनीषा डी. पवार, एशिया महाद्वीप में गुर्जर, पृष्ठ संख्या 8 बहुत पुराने राजकुल जैसे अम्ब, कुषाण, लावा, ठक, पोसवाल, यादव, परमार, चुलुक, योधेय (जोहिया) तथा प्रतिहार गुर्जर जाति के ही संगठक अवयव है। – अमर सिंह कसाना, एशिया महाद्वीप […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

चक्रवर्ती सम्राट कनिष्क गुर्जर वंश से थे – भाग 1

कुषाण (कसाना) राजवंश 25 ई. से 380 ई. तक यह न केवल गुर्जर जाति का बल्कि भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण राजवंश है। इस वंश के कई सम्राट हुए हैं लेकिन यदि अकेले कनिष्क सम्राट की ही बात करें तो उनका साम्राज्य दक्षिणी चीन और रूस से लेकर वर्तमान उत्तरी भारत तक पर उसका अखंड […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास

आत्मगौरव और स्वतंत्रता के भाव से पूरित विभिन्न हिन्दू राजवंश- अध्याय-1

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 426 वे थमें नहीं, हम थके नहीं डॉ राकेश कुमार आर्य स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद का मत रहा है कि भारत की शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विरासत की आध्यात्मिक महानता पर बल देना और उसे बनाए रखने के लिए हमारे दायित्व […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

मुगल वंश के पतन के कुछ अज्ञात कारण

मुगल साम्राज्य का पतन कोई संयोग नहीं था, बल्कि यह चार अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में हिंदू वीरों द्वारा छेड़े गए प्रतिरोध का संगठित परिणाम था। जब औरंगज़ेब ने भारत के इस्लामीकरण की योजना बनाई और अपनी सैन्य शक्ति के बल पर हिंदू सभ्यता को मिटाने की कोशिश की, तब उसे चार दिशाओं से जबरदस्त टकराव […]

Categories
इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू

इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू (अध्याय – 08)

भारत की स्थापत्य कला पर नेहरू जी के विचार (अध्याय – 08) डॉ राकेश कुमार आर्य हिंदुस्तान की खोज के चौथे अध्याय में नेहरू जी सिंध घाटी की सभ्यता से अपनी बात को आरंभ करते हैं। वह कहते हैं कि- ” हिंदुस्तान के गुजरे हुए जमाने की सबसे पहली तस्वीर हमें सिंध घाटी की सभ्यता […]

Categories
इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू

इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू (अध्याय 7)

इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू (डिस्कवरी ऑफ इंडिया की डिस्कवरी)  पुस्तक से अध्याय 7 विदेशी मजहब वालों का भारतीयकरण डॉ राकेश कुमार आर्य भारत के अतीत का वर्णन करते हुए नेहरू जी हिंदुस्तान की कहानी नामक अपनी पुस्तक के पृष्ठ 70 पर लिखते हैं कि- “एक हिंदुस्तानी अपने को हिंदुस्तान के किसी भी हिस्से में […]

Exit mobile version