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इतिहास के पन्नों से डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से

धूला भंगी और हरवीर गुलिया

– डॉ राकेश कुमार आर्य (लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं) भारत की धर्म – राष्ट्र – परंपरा को बनाए रखने के लिए अपने रक्त और पसीने को बहाने में वाल्मीकि समाज के लोगों का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन लोगों को भारत पर अवैध रूप […]

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इतिहास के पन्नों से डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से

बाबर व अकबर के शासन काल में हिंदू दमन (भाग ॥)

मज़हब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना पुस्तक से … डॉ राकेश कुमार आर्य अकबर के हरम में हिन्दू महिलाओं की स्थिति अपने हरम को हिन्दू महिलाओं से भरने के लिए अकबर ने अनेकों हिन्दू राजकुमारियों के साथ जबरन शादियाँ की थीं, परन्तु कभी भी, किसी मुगल महिला को हिन्दू से शादी नहीं […]

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इतिहास के पन्नों से

आधुनिक इतिहास में शुद्धि समर्थक राष्ट्र नेताओं के नाम

स्वामी दयानंद सर्वप्रथम देहरादून में एक मुसलमान को शुद्ध कर उनका अलखधारी नाम रख कर आधुनिक भारत में सदियों से बंद घर वापसी के द्वार को खोला स्वामी श्रद्धानन्द लाखों मलकाने राजपूतों जो नौ मुस्लिम कहलाते थे उन्हें शुद्ध किया और व्यवस्थित रूप से सकल हिन्दू समाज को संगठित करने का उद्घोष किया। शुद्धि चक्र […]

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इतिहास के पन्नों से

तैमूरलंग का सामना

– डॉ विवेक आर्य हिन्दू समाज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे जातिवाद से ऊपर उठ कर सोच ही नहीं सकते। यही पिछले 1200 वर्षों से हो रही उनकी हार का मुख्य कारण है। इतिहास में कुछ प्रेरणादायक घटनाएं मिलती है। जब जातिवाद से ऊपर उठकर हिन्दू समाज ने एकजुट होकर अक्रान्तायों का […]

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इतिहास के पन्नों से डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से

बाबर व अकबर के शासन काल में हिन्दू दमन भाग (1)

मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना पुस्तक से …. डॉ राकेश कुमार आर्य भारत के लाखों करोड़ों वर्ष के इतिहास को गहरे गड्ढे में दबाकर भारतद्वेषी इतिहासकारों ने केवल और केवल मुगल काल को प्रमुखता देते हुए उसे कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि जैसे, आज का भारत मुगलों के स्वर्णिम […]

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इतिहास के पन्नों से डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से

संविधान सभा की बहस से संबंधित तथ्य

आज देश अपना ७६ वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। २६ जनवरी १९५० भारतीय संविधान के लागू होने की तिथि है। उस दिन हमारे सनातन राष्ट्र भारतवर्ष ने अपने गणतंत्र का दिशा पथ निर्धारित किया था। सदियों तक लाखों करोड़ों बलिदान देने के पश्चात जिस गणतंत्र के राष्ट्रपथ पर देश ने चलने का निर्णय लिया […]

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इतिहास के पन्नों से

स्वतंत्रता आंदोलन पर शिवाजी के विचारों का प्रभाव

हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से … – डॉ राकेश कुमार आर्य इति हास में कोई भी घटना अपने समकालीन इतिहास को अवश्य प्रभावित करती है। यदि उस घटना के समकालीन घटना चक्र पर दृष्टिपात किया जाए तो पता चलता है कि एक घटना दूसरी को और दूसरी घटना तीसरी को […]

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इतिहास के पन्नों से

तैमूरलंग का आतंकी अभियान (भाग 2)

मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना पुस्तक से … – डॉ राकेश कुमार आर्य सिकन्दर बुतशिकन कश् मीर वैसे तो हमारी भारतीय सांस्कृतिक विरासत का बेजोड़ उदाहरण है, पर पिछले कुछ समय से कश्मीरियत का अभिप्राय कश्मीर की उस गंगा – जमुनी तहजीब से लगाया जा रहा है जिसमें वहाँ के हिन्दुओं […]

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आतंकवाद इतिहास के पन्नों से

कश्मीर से पंडित पलायन के चार दशक

कश्मीर के सर्वाधिक नए जन सांख्यिकीय आंकड़ों पर नजर डाले तो स्वतंत्रता के समय वहां घाटी में 15% कश्मीरी पंडितों की आबादी थी जो आज 1 % से नीचे होकर 0 % की ओर बढ़ गई है। हाल ही के इतिहास में कश्मीर के ज.स. सांख्यिकी में यदि परिवर्तन का सबसे बड़ा कारक खोजें तो […]

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भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास

मराठों के पतन के कारण (भाग 1)

भारत भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से .. जीत के उल्लास में पराजय विराजती है नहीं। पराजय के शोक में जीत गीत गाती है नहीं॥ उत्थान और पतन का क्रम सदा से चल रहा। जैसा जिसका कर्म है मिल वैसा ही फल रहा।। […]

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