उसमें लिखे दोहे पर अलगाववादी सिख गौर करें :- मिटे बाँग सलमान सुन्नत कुराना। जगे धमॆ हिन्दुन अठारह पुराना॥ यहि देह अँगिया तुरक गहि खपाऊँ। गऊ घात का दोख जग सिऊ मिटाऊँ॥ अर्थात :- हिंदुस्तान की धरती से बाँग(अजान),सुन्नत (इस्लाम) और कुरान मिट जाये,हिन्दू धर्म का जागरण होकर अट्ठारह पुराण आदर को प्राप्त हों। इस […]
Category: इतिहास के पन्नों से
भारत के स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप की 483 वीं जयंती के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में रहते हुए बनाई थी। जब मेवाड़ और मुगलों के बीच संधि न हो पाई तो मानसिंह मुगलों की एक विशाल […]
* लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ गुरुकुल महाविद्यालय सिकंदराबाद की स्थापना सन् 1898 आर्ष जगत व दर्शनों के उद्भट्ट मूर्धन्य विद्वान स्वामी दर्शनानंद ने की थी। जिनका पूर्व नाम पंडित कृपाराम था।उनके दार्शनिक ज्ञान का डंका जालंधर से लेकर काशी तक बजता था |इस गुरुकुल में अध्ययन प्राप्त अनेक आचार्य, स्नातकों विद्वानों शास्त्रियों पुरोहितों ने […]
भारत स्वराज्य की प्रेरणा वेदों से प्राप्त हुई। वेद में राष्ट्र ,राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता का बड़ा मार्मिक चित्रण किया गया है। संसार के सबसे प्राचीन धर्मशास्त्र वेद – ऋग्वेद में स्वराज्य की आराधना करने की बात कही गई है। वेद के स्वराज्य संबंधी इसी चिंतन ने भारत को पराधीनता के काल में कभी भी चैन […]
गुरु गोविन्द सिंह और जफरनामा का सच (गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर विशेष रूप से प्रचारित) गुरु गोविन्द सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ साथ महान विद्वान् भी थे. वह ब्रज भाषा, पंजाबी, संस्कृत और फारसी भी जानते थे. और इन सभी भाषाओँ में कविता भी लिख सकते थे. जब औरंगजेब […]
विष्णुध्वज’ है अब कुतुब मीनार
श्रीनगर (गढ़वाल), २८ सितम्बर (वार्ता)। कुतुब मीनार का असली नाम ‘विष्णुध्वज’ है। इसका निर्माण सम्राट समुद्र गुप्त ने कराया था न कि कुतुबुद्दीन ए’गक ने, जैसा कि आमतौर पर माना जाता है बिहार विश्वविढ्यालय के प्रां. डी. त्रिषंदी का दाषा है कि यह मीनार समुद्र गुप्त द्ववारा निर्मित बंधशाला की केन्द्रीय मीनार थी । कुतुब […]
लोक कथाओं में नियति प्रधान, व्यक्ति प्रधान, समाज प्रधान एवं जाति प्रदान विशेषणों का आधिक्य देखने को मिलता है। कुछ रचनाएं व्यक्तिविशेष के माध्यम से उत्पन्न होती है तो कुछेक रचनाओं को जनसमुदाय द्वारा यथावत प्रस्तुत करने का चलन रहा है।व्यक्तिप्रधान रचनाओं का जन्म किसी कवि,लेखक की कृतियों-रचनाओं को आधार माना गया है।लोककथायें किसी समाज-जाति […]
उसके घोड़े समुद्र का पानी पीते थे, अर्थात वह समुद्रों का भी स्वामी था, वह पूरी धरती ही नही, समुद्र पर भी राज करता था। क्षत्रप शक विदेशी राजा नेहपान के हाथों उसके पिता की हत्या हुई, वह बालक इतना शिशु था, की राजपाठ भी माता गौतमी ने संभाला… लेकिन उस वीरमाता ने अपने पुत्र […]
पत्र जो बांह फडका दे ! -अरुण लवानिया औरंगजेब छत्रपति शिवाजी महाराज से इतना आतंकित था कि शायस्ता खान और अफजल खान के असफल हो जाने के बाद उसने आगरे के महाराज जय सिंह जिनके नाम पर जयपुर बसा है को बरगलाकर तैयार कर लिया कि वो दक्षिण जाकर शिवाजी को बंदी बनाकर या मारकर […]
आज लाहिड़ी पर्व है। इस पर उसे हमारे इतिहास के एक अमर नायक का विशेष संबंध है। आइए विचार करें इतिहास के उस अभिनंदनीय व्यक्तित्व के जीवन वृत्त पर जिसने अपने सत्कार्यों के अपने काल में यश प्राप्त किया और लोगों ने उसके सत्कृत्यों का वंदन करते हुए उसे अपना पूजनीय चरित्र बना लिया। इसे […]