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इतिहास के पन्नों से

आगरा के सेन्ट पीटर्स चर्च में पहुंचे महर्षि दयानन्द – फिर क्या हुआ ?

संकलन : भावेश मेरजा आर्य धर्म के उन्नायक स्वामी दयानन्द सरस्वती 27 नवम्बर 1880 को मेरठ से आगरा पहुंचे । यहां उन्होंने विभिन्न विषयों पर अनेक व्याख्यान दिए जिनकी एक सूची ‘भारत सुदशा प्रवर्त्तक’ के जनवरी 1881 के अंक में प्रकाशित हुई थी । स्वामी के व्याख्यानों से उत्पन्न प्रभाव के परिणाम स्वरूप 26 दिसम्बर […]

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भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

आत्मगौरव और स्वतंत्रता के भाव से पूरित विभिन्न हिन्दू राजवंश

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास – भाग – 426 वे थमें नहीं, हम थके नहीं अध्याय-1 डॉ राकेश कुमार आर्य स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद का मत रहा है कि भारत की शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विरासत की आध्यात्मिक महानता पर बल देना और उसे बनाए रखने के लिए […]

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इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू

इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू (अध्याय – 13)

डॉ. राकेश कुमार आर्य (डिस्कवरी ऑफ इंडिया की डिस्कवरी) पुस्तक से … वेद मानव द्वारा निर्मित वेदों को लेकर भारतीय ऋषियों की मान्यता रही है कि यह सृष्टि प्रारंभ में ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है। जो कि सृष्टि को सुव्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए दिया गया। इनमें धर्म की व्यवस्था है। भारतीय ऋषियों की इस […]

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इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू

इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू (अध्याय – 12)

डॉ राकेश कुमार आर्य (डिस्कवरी ऑफ इंडिया की डिस्कवरी) (अध्याय – 12) हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान के विरोधी नेहरू यद्यपि नेहरू जी की द डिस्कवरी ऑफ इंडिया में हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान का भरपूर प्रयोग हुआ है, परंतु इसके उपरांत भी उनके बारे में यह भी सच है कि वे इन तीनों शब्दों का कुछ अलग ही अर्थ […]

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इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू

इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू अध्याय 11

डॉ राकेश कुमार आर्य (डिस्कवरी ऑफ इंडिया की डिस्कवरी) पुस्तक से … वर्ण-व्यवस्था का आधार रूप रंग था? पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वर्ण-व्यवस्था को रूप रंग का आधार प्रदान किया। वर्ण-व्यवस्था की वैज्ञानिकता को वह समझ नहीं पाए। उनके जैसे लेखकों की इस प्रकार की मान्यताओं के चलते भारत वर्ष में वर्ण-व्यवस्था को अवैज्ञानिकता की […]

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इतिहास के पन्नों से

तुगलक के 1 लाख सैनिकों का पहाड़ी हिंदुओं ने किया सफाया – भारत में इस्लाम

विजय मनोहर तिवारी ये कुछ ऐसी तथ्य हैं, जिन्हें जान-बूझकर हमारे इतिहास से गायब रखा गया। अलाउद्दीन खिलजी के बाद मोहम्मद तुगलक दिल्ली में दूसरा ऐसा इस्लामी कब्ज़ेदार है, जिसे खिलजी से भी ज्यादा समय तक कब्ज़ा बरकरार रखने का मौका मिला। खिलजी ने 20 साल तक हिंदुस्तान को रौंदा। तुगलक को 26 साल मिले। […]

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इतिहास के पन्नों से

औरंगजेबी मानसिकता का उपचार वास्तविक इतिहास से अवगत कराना जरूरी

शंकर शरण हिंदू विविध मुद्दों पर विवाद में मशगूल रहते हैं, पर किसी मुद्दे को सींग से पकड़कर निर्णायक दिशा में मोड़ना और समस्या को हल करना नहीं जानते। सदियों पहले गुजरे औरंगजेब की आज भी लानत-मलामत उसी का उदाहरण है। उसका उपयोग विविध नेता और दल अपनी-अपनी राजनीति खरी करने में करते हैं, जबकि […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

अमर हुतात्मा भगत सिंह और आर्य समाज

प्रस्तुति: राजेश आर्य, गुजरात काकौरी की घटना के बाद भारतीय स्वाधीनता संग्राम के क्षेत्र में यदि किसी का नाम चमकता दिखाई देता है तो वह है क्रान्ति का प्रतिक, अमर हुतात्मा भगत सिंह। उत्तर भारत में उस समय इस वीर की ख्याति इतनी फैल गई थी कि सशस्त्र क्रान्ति और भगतसिंह दोनों शब्द पर्यायवाची बन […]

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इतिहास के पन्नों से

गाँधी जी की अहिंसा के कुछ उदाहरण

1. कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी को मुसलमानों ने निर्दयता से मार दिया था। महात्मा गांधी सभी हिन्दुओं से गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह अहिंसा के मार्ग पर चलकर बलिदान करने की बात करते थे | 2.भारत को स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को एक समझौते के तहत 75 करोड़ रूपये देने थे भारत ने 20 […]

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इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू

इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू (अध्याय 10)

( डिस्कवरी ऑफ इंडिया की डिस्कवरी ) (अध्याय 10 ) – डॉ राकेश कुमार आर्य भारत आर्य और द्रविड़ में बंटा रहा? पिता के पत्र पुत्री के नाम नामक पुस्तक में नेहरू जी के द्वारा अपनी पुत्री इंदिरा गांधी के लिए लिखे गए पत्रों के संकलन में वह लिखते हैं- “रामायण पढ़ने से मालूम होता […]

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