यह खलीफत आंदोलन भारत में – और केवल भारत में – चार वर्षों से चल रहा था। इस बीच 24 नवंबर 1923 को दो प्रमुख भारतीय मुस्लिम – आगा खान और अमीर अली – ने भारतीय मुसलमानों की ओर से तुर्की प्रधानमंत्री इस्मत इनोनू को एक विरोध-पत्र लिखा। इस में खलीफा का सम्मान बहाल करने […]
Category: इतिहास के पन्नों से
लेखक :– चौधरी छोटूराम (उस समय युनिनिस्ट पार्टी के नेता) मद्रास राज्य(वर्तमान केरल) के मालाबार में सन 1921-22 में मोपला जाति के मुस्लिमो द्वारा 10000 से अधिक हिन्दुओ का कत्लेआम किया गया था। उनके बचाव में आये सैकड़ो ब्रिटिश भी मौत के घाट उतार दिए गए थे। ये दंगा हिंदुस्तान के इतिहास में सबसे बड़े […]
▪️ ‘खलीफा’ दुनिया के मुसलमानों के सर्वोच्च मजहबी-राजनीतिक प्रमुख होते थे। यह प्रोफेट मुहम्मद के देहांत बाद शुरू हुआ, जब उन के उत्तराधिकारी अबू बकर प्रथम खलीफा बने। वे 632 से 634 ई. तक खलीफा रहे। पर दो ही दशक बाद से मुख्यतः ईराकी और तुर्की लोग खलीफा बनते रहे। 1517 ई. से लगातार तुर्की […]
7 नवंबर 1966 का वह खूनी खेल
** खूनी खेल** ”7 नवंबर 1966 की सुबह आठ बजे से ही संसद के बाहर लोग जुटने शुरू हो गए थे। उस दिन कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी, जिसे हम-आप गोपाष्ठमी नाम से जानते हैं। गोरक्षा महाभियान समिति के संचालक व सनातनी करपात्री जी महाराज ने चांदनी चैक स्थित आर्य समाज मंदिर […]
(यह लेख उन मतांधों के लिए है जो आज के दिन औरंगज़ेब की जयंती गर्व से बनाने की मूर्खता कर रहे है) मुगल खानदान में सबसे लम्बे समय तक राज औरंगज़ेब का रहा था। जितना लम्बा औरंगज़ेब का राज था उतनी ही लम्बी उसके अत्याचारों की सूची थी। भारत के 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने […]
-दयानन्द कादियान हरियाणा प्रदेश को अस्तित्व में आये 52 साल हो रहे हैं। बहुत से लोग अपने अपने नेता के नाम के आगे हरियाणा केसरी, हरियाणा का जन्मदाता तथा हरियाणा का निर्माता आदि विशेषणों का प्रयोग करते हैं। कुछेक बुजुर्गों को छोड़कर आज की युवा पीढ़ी के लोग कम ही जानते हैं कि वेदों की […]
आज हम अपने महान इतिहास नायक सरदार वल्लभभाई पटेल जी की 149वीं जयंती मना रहे हैं। कृतज्ञ राष्ट्र उनके प्रति नतमस्तक है। अपने जीवन काल में उन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए जिस प्रकार महान कार्य किये उनके समक्ष उनका समकालीन कोई भी नेता कहीं दूर-दूर तक भी टिकता हुआ दिखाई नहीं देता। […]
“आप यदि समाज से पुरुषार्थ कर परोपकार कर सकते हो, तो समाज कर लो. इस में मेरी कोई मनाई नहीं. परन्तु इस में यथोचित व्यवस्था न रखोगे तो आगे गड़बड़ाध्याय हो जायेगा. मैं तो मात्र जैसा अन्य को उपदेश करता हूँ वैसा ही आप को भी करूँगा और इतना लक्ष में रखना कि कोई स्वतन्त्र […]
शिवाजी के पश्चात उनके पुत्र संभाजी महाराज ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में गद्दी संभाली। इतिहासकारों का मानना है कि संभाजी महाराज यद्यपि अपने पिता शिवाजी महाराज की भांति तो संघर्षशील और साहसी नहीं थे, परंतु फिर भी उन्होंने इतिहास में अपना विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान बनाया। उन्होंने भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने […]
स्वाधीन भारत के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। उन्होंने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया था। गांधी जी के आवाहन पर वह अपने विधि व्यवसाय को छोड़कर स्वाधीनता आंदोलन में सम्मिलित हुए थे। यद्यपि वह गांधी जी की कांग्रेस में अपने […]