हमने पिछले लेख में बताया कि इस्लाम के कलमा के दो हिस्से है , उसका दूसरा भाग ” मुहम्मदुर्रसूलल्लाह ” है इसका अर्थ है मुहम्मद अल्लाह का रसूल “आज सारी दुनिया के लोग जान चुके हैं कि इस दो टुकड़ों से बने कलमा के कारण जबसे इस्लाम बना मुस्लमान तब से आज तक अत्याचार ,आतंक […]
Category: इतिहास के पन्नों से
बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर, तमिलनाडु भारत के इतिहास में चोल राजाओं का विशेष और महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने भारतीय संस्कृति को दूर-दूर तक फैलाने का बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया है। भारतीय संस्कृति के प्रति अपने लगाव का प्रदर्शन करते हुए 1002 ईस्वी में राजाराज चोल द्वारा तमिलनाडु के तंजावुर स्थित प्रदेश और मंदिर को बनवाया […]
डा. राधेश्याम द्विवेदी (यह सूची एक विद्धान श्री सीताराम गोयल की एक प्रारम्भिक रिपोर्ट “LIST OF MOSQUES IN VARIOUS STATES WHICH WERE BUILT AFTER DEMOLISHING THE HINDU TEMPLES” BY Sita Ram Goel / https:skanda 987 .files .wordpress.com के आधार पर तैयार की गयी है। ) इस सूची में उन स्थलों के नाम का उल्लेख किया […]
क़ुतुबमीनार : हिंदू स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना 1974 में ‘वराह मिहिर स्मृति ग्रंथ’ के संपादक श्री केदारनाथ प्रभाकर ने इस स्तम्भ के बारे में विशेष तथ्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस स्तम्भ का निर्माण मेरु पर्वत की आकृति के आधार पर किया गया है। जिस प्रकार मेरु पर्वत का स्वरूप ऊपर की […]
होली खेल गए हुलियारे। ऐसी होली खेली जगत में बजा वेद का ढोल गए।। सोतों को दिया जगा एक दम खोल पोप की पोल गए। भारत नैया डूब रही थी इसको गए लगा किनारे-॥1॥ लाहौर में कई देहली में ऐसी खेल गए होली। किसी ने खाया छुरा पेट में किसी ने सीने में गोली।। लाखों […]
भारत के वैदिक ऋषियों ने प्राचीन काल में ही मनुष्य को रहने सहने की सभ्यता सिखा दी थी । उन्होंने भारत में सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतिपादन किया। भारत के सांस्कृतिक मूल्य संपूर्ण संसार में सूर्य के प्रकाश की भांति बिखर गए। जिनके प्रकाश में संसार भर के अनेक लोगों ने अपने जीवन का कल्याण किया। […]
========== ऋषि दयानन्द ने देश-विदेश को एक नियम दिया है ‘अविद्या का नाश तथा विद्या की वृद्धि करनी चाहिये’। इस नियम को संसार के सभी वैज्ञानिक एवं सभी विद्वान मानते हैं। आर्यसमाज में सभी विद्वान अनुभव करते हैं कि देश में प्रचलित सभी मत-मतान्तर इस नियम का पालन करते हुए दिखाई नहीं देते। इसी कारण […]
16 वीं सदी में मेवाड़ संघर्षों से गुजर रहा था। 1527 में राणा सांगा खानवा के युद्ध में घायल हो मृत्यु को प्राप्त हो चुका था। इन्हीं का वंशज कुंवर उदयसिंह द्वितीय चित्तौड़ का वास्तविक उत्तराधिकारी था जिसका जन्म 1522 में हुआ था। चित्तौड़ ,विक्रमादित्य की निगरानी में था। उदयसिंह जो अभी बालक ही था, […]
आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी कामदगिरि प्रदक्षिणा प्रमुख द्वार से 3 किमी दूर और भरतकूप के सीधे रास्ते में खोही गांव से लगभग 2 किलोमीटर आगे श्री राम शैय्या एक पवित्र तीर्थ स्थल विद्यमान है। जो चित्रकूट से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खोही-भरतकूप मार्ग पर यह जगह कामदगिरि पर्वत से आगे […]
अयोध्या में राम मंदिर बना है तो कई प्रकार की घटनाओं पर इस समय चर्चाएं चल रही हैं । कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने जिस प्रकार हमारे भारतीय वीर वीरांगनाओं के इतिहास को छुपाया अब उनके पाप उजागर होने लगे हैं । कई लोगों का ध्यान इतिहास की उन धूल फांकती पुस्तकों की ओर गया है , […]