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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

धर्मचिन्तन से उद्भूत राष्ट्रचिंतन सदा प्रबल रहा

राकेश कुमार आर्य वेद का पुरूष सूक्त बड़ा ही आनंददायक है। वहां क्षर पुरूष प्रकृति जो कि नाशवान है, अक्षर पुरूष-जीव, जिसकी जीवन लीला प्रकृति पर निर्भर है, और जो इसका भोक्ता है, और अव्यय पुरूष पुरूषोत्तम-ईश्वर के परस्पर संबंध का मनोहारी वर्णन है। इसी वर्णन में कहीं राष्ट्र का ‘बीज तत्व’ छिपा है।वेद का […]

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अपने स्वतन्त्रता सैनानियों को हमने बना दिया आदिवासी व जनजाति इत्यादि

गतांक से आगे… भारतीय इतिहास को विकृतीकरण से उबारने का आवाहन करते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अब यह हमारे लिए है कि (इतिहास की) शोध का हम अपना व्यक्तिगत स्वतंत्र मार्ग अपनावें और वेदों, पुराणों और अन्य प्राचीन ऐतिहासिक गृथों का अध्ययन करें, और जीवन की साधना बना देश का भारत भूमि […]

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विश्व को विश्वगुरू (भारत) ने दिया था राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप:भाग-2

गतांक से आगे….. राकेश कुमार आर्य इसीलिए महाभारत (अ. 145) में कहा गया है कि शासक को चाहिए कि भयातुर मनुष्यों की भय से रक्षा करे, दीन दुखियों पर अनुग्रह करे, कर्त्तव्य अकर्त्तव्य को विशेष रूप से समझे, तथा राष्ट्र हित में संलग्न रहे। सबको यह कामना करनी चाहिए कि राष्ट्र में पवित्र आचरण वाले […]

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विश्व को विश्वगुरू (भारत) ने दिया था राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप

डा. संपूर्णानंद का कथन है कि-’विज्ञान के नाम पर अपनी ज्ञान धरोहर को एकदम खारिज कर दिया जाए यह भी अंधविश्वास का ही एक प्रकार है, क्योंकि सही विज्ञान को परीक्षण के अनंतर ही निष्कर्ष निकालता है। अपनी वैदिक परंपरा तो जांच की परंपरा रही है, उसे जांचें और उस जांच में कुछ त्याज्य पायें […]

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भारत को सदियों से आलोकित रखा है बप्पारावल की देशभक्ति ने

भारत की जनता या भारत के नरेश जितने बड़े स्तर पर किसी विदेशी अक्रांता को चुनौती देते थे, उतने ही बड़े स्तर पर विजयी होने पर विदेशी अक्रांता यहां नरसंहार, लूट, डकैती और बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया करता था। महमूद ने भी वहीं-वहीं अधिक नरसंहार कराया जहां-जहां उसे अधिक चुनौती मिली। वस्तुत: ऐसा […]

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जब स्वतंत्रता के लिए बिना राजा के ही लड़ती रहीं जातियां

भारतीय इतिहास अदभुत रोमांचों से भरा पड़ा है। यह सच है कि विदेशी इतिहासकारों ने उन रोमांचपूर्ण किस्से कहानियों के सच को इतिहास में स्थान नही दिया। इसके विपरीत हमें समझाया और पढ़ाया गया कि तुम्हारा अतीत कायरता का रहा। दूसरे, तुम सदा युद्घ में पराजित हुए हो, तीसरे, तुममें  कभी भी राष्ट्रवाद की भावना नही रही, चौथे-हिंदुओं की […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हिदुत्व के व्यापक विरोध के कारण गनजवी 10 प्रतिशत भारत भी नही जीत पाया था

आनंदपाल के पश्चात उसके पौत्र भीमपाल ने अपने महान पूर्वज राजा जयपाल की वीर और राष्टभक्ति से परिपूर्ण परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस शिशु राजा को पुन: कुछ अन्य राजाओं ने सैन्य सहायता देने का निश्चय किया। अत: एक बार पुन: देशभक्ति का एक रोमांचकारी वातावरण देश में बना। राजा ने झेलम […]

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हिंदुत्व के वो महान बलिदानी और लुटेरा महमूद गजनवी

लुटेरों को राज्यसिंहासन और वास्तविक उत्तराधिकारियों को वनवास दिलाना भारतीय प्रचलित इतिहास का सबसे घातक छल प्रपंच है। जिन इतिहास लेखकों ने इस राष्ट्र  अपघात को करने में किसी भी प्रकार से सहयोग दिया है वे सभी ‘मंथरा’ की भूमिका में हैं। महमूद गजनवी का लुटेरा व्यक्तित्व भी भारत के लिए ऐसा ही है, जिसे यहां […]

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सत्यार्थ प्रकाश में वर्णित आर्य राजाओं की वंशावली में दोष है

महर्षि दयानंद जी महाराज ने अपने अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के ग्यारहें समुल्लास में आर्य राजाओं की वंशावली दी है। जिसे हम यहां यथावत देकर तब उस पर विचार करेंगे कि इस वंशावली को देने के पीछे महर्षि का मन्तव्य क्या था और हमने उस मन्तव्य को समझा या नही? :- आर्यावर्त्तदेशीय राज्यवंशावली इंद्रप्रस्थ के आर्य लोगों ने श्रीमन्तमहाराज यशपाल […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा: छल प्रपंचों की कथा-भाग (4)

गुजरात और कठियावाड़ के राज्य गुजरात और काठियावाड़ के कई राजवंश प्रारंभ में कभी राष्ट्रकूटों के तो कभी गुर्जर प्रतिहारों के सामन्त रहे थे। परंतु राष्ट्रकूटों तथा गुर्जर प्रतिहार वंश के दुर्बल हो जाने पर वहां भी कई स्वतंत्र राज्य वंशों ने शासन करना आरंभ कर दिया था। इनमें अनहिलपाटक का चौलुक्य राज्य और सौराष्ट्र […]

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