वेद ने राष्ट्र को गौमाता के समान पूजनीय और वंदनीय माना है। वेद का आदेश है कि मैं यह भूमि आर्यों को देता हूं। वेद ऐसा संदेश इसलिए दे रहा है कि वह संपूर्ण भूमंडल को ही आर्य बना देना चाहता है। परंतु संसार को आर्य बनाने से पूर्व वेद की दो शर्तें हैं। उन […]
Category: इतिहास के पन्नों से
आसाम-अर्थात पूर्वी भारत का अंतिम छोर। जी हां, ये वही पुराना कामरूप है जहां कभी सूर्य सबसे पहले आकर अपनी किरणें बिखेरता था, आज यह सौभाग्य चाहे अरूणांचल प्रदेश को मिल रहा है, पर हमें यह नही भूलना चाहिए कि आज का अरूणांचल प्रदेश भी पुराने आसाम का ही एक भाग है। पूर्व दिशा प्रकाश […]
भारत की पवित्र भूमि के लिए बड़ा सुंदर गीत गाया जाता है :- मेरे देश की धरती सोना उगले.. उगले हीरे मोती…मेरे देश की धरती………….. मैं समझता हूं भारत मां के लिए जिस कवि के हृदय में भी ये भाव मचले होंगे और उन्होंने जब कुछ शब्दों का रूप लिया होगा तो वह कवि भी […]
भारत में गौरी की जीत और पृथ्वीराज चौहान की हार को वर्तमान प्रचलित इतिहास में एक अलग अध्याय के नाम से निरूपित किया जाता है। जिसका नाम दिया जाता है-राजपूतों की पराजय के कारण। राजपूतों की पराजय के लिए मौहम्मद गौरी के चरित्र में चार चांद लग गये हैं, और जो व्यक्ति नितांत एक लुटेरा […]
मौहम्मद गौरी के हाथों पृथ्वीराज चौहान की पराजय का उल्लेख करते हुए डा. शाहिद अहमद ने अपनी पुस्तक ‘भारत में तुर्क एवं गुलाम वंश का इतिहास’ नामक पुस्तक में कई इतिहास लेखकों के उद्घरण प्रस्तुत किये हैं। इन इतिहास लेखकों के उक्त उद्घरणों को हम यहां यथावत दे रहे हैं।जो ये सिद्घ करते हैं कि […]
राकेश कुमार आर्यतराइन का युद्घक्षेत्र पुन: दो सेनाओं की भयंकर भिड़ंत का साक्षी बन रहा था। भारत के भविष्य और भाग्य के लिए यह युद्घ बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रहा था। भारत अपने महान पराक्रमी सम्राट के नेतृत्व में धर्मयुद्घ कर रहा था, जबकि विदेशी आततायी सेना अपने सुल्तान के नेतृत्व में भारत की […]
पृथ्वीराज चौहान भारतीय त्याग, तपस्या, साधना और पौरूष का प्रतीक है। वह अपने गुणा- अवगुणों से तत्कालीन हिंदू राजाओं में से कई के लिए ईष्र्या और द्वेष का कारण बन गया था। कई इतिहासकारों ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान के एक से अधिक विवाहों के होने का उल्लेख किया है। अत: थोड़ी सी असावधानी से एक […]
पृथ्वीराज चौहान से पराजित होकर मौहम्मद गौरी रह-रहकर अपने दुर्भाग्य को कोस रहा था। गौरी स्वयं को बहुत ही अपमानित अनुभव कर रहा था। यह उसका सौभाग्य रहा और राजपूतों का प्रमाद कि जब वह युद्घक्षेत्र में घायल पड़ा, अपने जीवन की अंतिम घडिय़ां गिन रहा था, तब उसे अपनी ‘सद्गुण विकृति’ से ग्रस्त राजपूतों […]
विश्वके ऐसे कितने ही देश हैं जिन्होंने दिन के प्रकाश में अपनी स्वतंत्रता को खो दिया और ऐसा खोया कि फिर कभी उसे प्राप्त न कर सके। ऐसी स्थिति उन्हीं लोगों की या देशों की हुआ करती है, जो अपनी जिजीविषा और जिज्ञासा को या तो शांत कर लेते हैं या उसे खो बैठते हैं। […]
चित्तौड़ का नाम आते ही हर भारतीय का मस्तक गर्व से उन्नत हो जाता है। चित्तौड़ सचमुच भारत की अस्मिता से जुड़ा एक ऐसा स्मारक है जहां भारत के पौरूष और शौर्य ने मिलकर इसकी मिट्टी को चंदन बना दिया है। जी हां, जिसे अपने माथे से लगाकर हर भारतीय गौरवान्वित हो जाता है, हर […]