‘‘अंधकार के पश्चात दिन का आता है प्रकाश,सुख के पश्चात दुख भी एक दिन करता है अवकाश। हानि-लाभ यश अपयश का चला हुआ है चक्र, मोक्षाभिलाषी काट फेंकता द्वंद्वों का मोहपाश।।’’ यह सत्य है कि यह संसार द्वंद्वों से भरा हुआ है। दिन के पश्चात रात है, सुख के पश्चात दुख है। साधारण व्यक्ति जीवन […]
Category: इतिहास के पन्नों से
हम दिन चार रहें या न रहें, तेरा वैभव अमर रहे मां- और रानी पद्मिनी ने कर लिया जौहर भारत के वैभव और गौरव से प्रभावित होकर फे्रंच तत्वज्ञ विक्टर कजिन ने कहा है-”इसमें संदेह नही कि प्राचीन हिंदुओं को वास्तविक ईश्वर का पूर्ण ज्ञान था। उनके विचार,उनका तत्व ज्ञान इतना श्रेष्ठ उदात्त तथा सत्य […]
गोरा-बादल और रानी पद्मिनी हमारे नायक मेवाड़ की भूमि का कण-कण गोरा बादल और रानी पद्मिनी की वीरता का गुणगान आज लगभग सात सौ वर्ष पश्चात भी कर रहा है। वास्तव में इतिहास के नायक वही लोग हुआ करते हैं जिनके बलिदानों को और महान कार्यों को आने वाली पीढिय़ां स्वभावत: स्मरण रखें और बिना […]
नारी की वेदों में स्थिति भारत में नारी को उसके नारी सुलभ ममता, करूणा, स्नेह आदि गुणों के कारण अबला भी कहा गया है। परंतु नारी का वेदों ने एकवीरांगना के रूप में भी चित्रण किया है। उसे हर स्थिति में पति की रक्षिका ध्वजवाहिका और शत्रु संहारिका के रूप में भी वर्णित किया गया […]
कायर कौन होता हैइस आलेख का शुभारंभ हम इसी प्रश्न से करेंगे कि कायर होता कौन है? यह दोषारोपण सामान्यत: हिंदुओं पर किया जाता है कि वे विगत 1200-1300 वर्षों के इतिहासकाल में कायर रहे हैं। हमने भी यहां कायर के विषय में ही प्रश्न कर दिया है कि ये होता कौन है?अब इस प्रश्न […]
युवा जुड़ें अपने गौरवपूर्ण अतीत के साथ मैं अपने सुबुद्घ पाठकों से विनम्र अनुरोध करूंगा कि वे ‘इतिहास बोध’ के लिए अपने अतीत के साथ दृढ़ता से जुडऩे का संकल्प लें। क्योंकि अपने अतीत के गौरव को आप जितना ही आज में पकडक़र खड़े होंगे, आपका आगत (भविष्य) भी उतना ही गौरवमय और उज्ज्वल बनेगा। […]
गयासुद्दीन बलबन गुलाम वंश का सबसे प्रमुख सुल्तान था। नासिरूद्दीन के शासन काल में वह मुख्य सेनापति था और तब उसकी शक्ति में पर्याप्त वृद्घि हो गयी थी। बदायूंनी का कथन तो यह भी है कि सुल्तान नासिरूद्दीन ने राज्यसिंहासन पर बैठते ही उलुघ खां की उपाधि बलबन को दी थी और इस उपाधि को […]
-विनोद बंसल सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य, भारतीय इतिहास के उन चुनिन्दा लोगों में से हैं जिन्होंने इतिहास की धारा मोड़कर रख दी। वे पृथ्वीराज चैहान (1179-1192) के बाद इस्लामी शासनकाल के मध्य दिल्ली के सम्भवतः एकमात्र हिन्दू सम्राट हुए जो विद्युत की भांति चमके और दैदीप्यमान हुए। उन्होंने अलवर (राजस्थान) के बिल्कुल साधारण से घर में […]
महाभारत के वनपर्व में वर्णित नलोपाख्यान राजा नल के लिए आता है। उस समय इस राजा की राजधानी का नाम नलपुर था, जो कालांतर में नलपुर से नरवर शब्द से रूढ़ हो गयी। इसी नरवर में एक प्राचीन दुर्ग भी विद्यमान है, जो कि यहां की एक पहाड़ी पर स्थित है। इसलिए इस शहर को […]
शहीदों की कहानी स्मारक की जुबानी
बसु मित्र मैं धमदाहा का शहीद स्मारक ,आजादी के दीवानों की कहानी आज भी मुझमें आसानी से देख और सुन सकते है। चलिए मेरे साथ सन् 42 , जब पुरे देश में अहसयोग आंदोलन पूरे चरम पर था, लोग अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा रहे थे उस समय आंदोलन का प्रभाव पूर्णियां जिले के […]