युवा जुड़ें अपने गौरवपूर्ण अतीत के साथ मैं अपने सुबुद्घ पाठकों से विनम्र अनुरोध करूंगा कि वे ‘इतिहास बोध’ के लिए अपने अतीत के साथ दृढ़ता से जुडऩे का संकल्प लें। क्योंकि अपने अतीत के गौरव को आप जितना ही आज में पकडक़र खड़े होंगे, आपका आगत (भविष्य) भी उतना ही गौरवमय और उज्ज्वल बनेगा। […]
Category: इतिहास के पन्नों से
गयासुद्दीन बलबन गुलाम वंश का सबसे प्रमुख सुल्तान था। नासिरूद्दीन के शासन काल में वह मुख्य सेनापति था और तब उसकी शक्ति में पर्याप्त वृद्घि हो गयी थी। बदायूंनी का कथन तो यह भी है कि सुल्तान नासिरूद्दीन ने राज्यसिंहासन पर बैठते ही उलुघ खां की उपाधि बलबन को दी थी और इस उपाधि को […]
-विनोद बंसल सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य, भारतीय इतिहास के उन चुनिन्दा लोगों में से हैं जिन्होंने इतिहास की धारा मोड़कर रख दी। वे पृथ्वीराज चैहान (1179-1192) के बाद इस्लामी शासनकाल के मध्य दिल्ली के सम्भवतः एकमात्र हिन्दू सम्राट हुए जो विद्युत की भांति चमके और दैदीप्यमान हुए। उन्होंने अलवर (राजस्थान) के बिल्कुल साधारण से घर में […]
महाभारत के वनपर्व में वर्णित नलोपाख्यान राजा नल के लिए आता है। उस समय इस राजा की राजधानी का नाम नलपुर था, जो कालांतर में नलपुर से नरवर शब्द से रूढ़ हो गयी। इसी नरवर में एक प्राचीन दुर्ग भी विद्यमान है, जो कि यहां की एक पहाड़ी पर स्थित है। इसलिए इस शहर को […]
शहीदों की कहानी स्मारक की जुबानी
बसु मित्र मैं धमदाहा का शहीद स्मारक ,आजादी के दीवानों की कहानी आज भी मुझमें आसानी से देख और सुन सकते है। चलिए मेरे साथ सन् 42 , जब पुरे देश में अहसयोग आंदोलन पूरे चरम पर था, लोग अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा रहे थे उस समय आंदोलन का प्रभाव पूर्णियां जिले के […]
जो जातियां विदेशी आक्रांताओं को लूट-पीटकर जंगलों में छिप जाती थीं, या जंगलों की ओर भाग जाती थीं, उसे विदेशी (वास्तविक लुटेरों) ने ‘लुटेरी जाति’ कहकर संबोधित किया और उसे ऐसा ही इतिहास में प्रसिद्घ किया। 1936 ई. में वर्तमान भारत को उसके अतीत से काटने के लिए एक ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ नामक संगठन ने […]
ऋषिजीवन की एकघटना: महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन की एक घटना है। महर्षि हरिद्वार के कुम्भ मेले में एक स्थान पर टिके हुए थे। उनके पास कुछ लोग बैठे थे, जिनमें से दो चार मुसलमान भी थे। उन लोगों का परस्पर वार्तालाप हो रहा था। तब एक मुसलमान ने किसी हिंदू से कहा कि तुम […]
युग धर्म में आया परिवर्तनजैसी परिस्थितियां होती हैं-वैसा ही युग धर्म बन जाया करता है। जब भारत वर्ष में शांति का काल था, सर्वत्र उन्नति और आत्मविकास की बातें होती थीं तो यही देश जीवेम् शरद: शतं-का उपासक था। तब यहां शतायु होने का आशीर्वाद मिलता भी था और दिया भी जाता था। परंतु जब […]
गोडसे ने गांधी को क्यों मारा-2
Click Here अमन आर्य
बड़े नेताओं की छोटी बातें
शहीदे आजम भगतसिंह को फांसी दिए जाने पर अहिंसा केमहान पुजारी गांधी ने कहा था, ‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के बदलेअपनी आजादी नहीं चाहिए ।’’ और आगेकहा, ‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई औरहो रही है । वहीं इसका परिणामगुंडागर्दी का पतन है । फांसी शीघ्र देदी जाए ताकि 30 मार्च से […]