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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

‘हिन्दू शौर्य’ ने ही तुगलक को राजधानी परिवर्तन के लिए विवश किया था

पिछले लेख में हमने मौहम्मद बिन तुगलक के दोआब में कर वृद्घि की योजना पर प्रकाश डाला था। इसी प्रकार की अपनी कई योजनाओं के कारण मौहम्मद बिन तुगलक को इतिहास में कई लोगों ने महाविद्वान तो कई ने महामूर्ख माना है।तुगलक सदा भयाक्रांत रहामौहम्मद बिन तुगलक ने 1325 ई. में एक गहरे षडयंत्र के […]

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मौहम्मद बिन तुगलक की ‘दोआब कर वृद्घि’ के विरूद्घ जनता का स्वतंत्रता संघर्ष

प्रगतिशील लेखक संघ की पहली बैठक (10 अप्रैल 1936 ई.) को संबोधित करते हुए मुंशी प्रेमचंद ने कहा था :- ‘‘हमारी कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा, जिसमें उच्च चिंतन हो, स्वाधीनता का भाव हो, सौंदर्य का सार हो। सृजन की आत्मा को जीवन की सच्चाईयों का प्रकाश हो, जो सबमें गति, संघर्ष और बेचैनी […]

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अलाउद्दीन की सेना को भी परास्त किया था हम्मीर देव चौहान ने

सुल्तान ने किला यूं ही छोड़ दिया सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी के विषय में हमें अधिक जानकारी समकालीन इतिहास लेखक जियाउद्दीन बर्नी की पुस्तक ‘तारीखे फिरोजशाही’ से मिलती है। बरनी ने रणथंभौर पर सुल्तान की चढ़ाई का बड़ा रोचक वर्णन किया है । वह लिखता है कि जब सुल्तान ने रणथंभौर पर चढ़ाई की तो वहाँ […]

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इतिहास के उस कौतूहल से पर्दा उठना ही चाहिए

क्रांतिकारियों को नेहरू कहते थे-विकृत मानसिकता वाला देश के वैभव के लिए अपने वैभव को तिलांजलि देने वाले क्रांतिकारियों को नेहरू जी जैसे लोग ‘विकृत मानसिकता’ वाला कहते रहे, और उन्हें इतिहास में समुचित स्थान नही दिया गया। नेहरू जी की इस मानसिकता पर सावरकर जी ने उन्हें कहा था-”जब हम प्रधानमंत्री श्री नेहरू जी […]

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वीर हरपाल देव का स्वतंत्रता आंदोलन एवं खुसरू खां की ‘हिन्दू क्रान्ति’

एक का उठना एक का गिरनाये खेल निरंतर चलता है।नीति पथ के अनुयायी को जग में मिलती सच्ची सफलता है।।पथ अनीति का अपनाये जो,वह कागज के सम गलता है।कालचक्र जब घूमकर आये,तब चलती नही चपलता है।।अलाउद्दीन खिलजी ने निश्चित रूप से दिल्ली की सल्तनत को विस्तार दिया था। पर उसने दिल्ली सल्तनत को फैलाने में […]

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राणा हमीर ने कराया था चित्तौड़ को पुन: स्वतंत्र

‘‘अंधकार के पश्चात दिन का आता है प्रकाश,सुख के पश्चात दुख भी एक दिन करता है अवकाश। हानि-लाभ यश अपयश का चला हुआ है चक्र, मोक्षाभिलाषी काट फेंकता द्वंद्वों का मोहपाश।।’’ यह सत्य है कि यह संसार द्वंद्वों से भरा हुआ है। दिन के पश्चात रात है, सुख के पश्चात दुख है। साधारण व्यक्ति जीवन […]

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रानी पद्मिनी राणा लक्ष्मण सिंह और कान्हड़देव की रोमांचकारी देशभक्ति

हम दिन चार रहें या न रहें, तेरा वैभव अमर रहे मां- और रानी पद्मिनी ने कर लिया जौहर भारत के वैभव और गौरव से प्रभावित होकर फे्रंच तत्वज्ञ विक्टर कजिन ने कहा है-”इसमें संदेह नही कि प्राचीन हिंदुओं को वास्तविक ईश्वर का पूर्ण ज्ञान था। उनके विचार,उनका तत्व ज्ञान इतना श्रेष्ठ उदात्त तथा सत्य […]

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रानी पद्मिनी और उनकी हजारों वीरांगना सहेलियों का बलिदान

गोरा-बादल और रानी पद्मिनी हमारे नायक मेवाड़ की भूमि का कण-कण गोरा बादल और रानी पद्मिनी की वीरता का गुणगान आज लगभग सात सौ वर्ष पश्चात भी कर रहा है। वास्तव में इतिहास के नायक वही लोग हुआ करते हैं जिनके बलिदानों को और महान कार्यों को आने वाली पीढिय़ां स्वभावत: स्मरण रखें और बिना […]

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रानी पद्मिनी,गोरा-बादल और गोरा की पत्नी की वीरता एवं अद्वितीय देशभक्ति

नारी की वेदों में स्थिति भारत में नारी को उसके नारी सुलभ ममता,  करूणा, स्नेह आदि गुणों के कारण अबला भी कहा गया है। परंतु नारी का वेदों ने एकवीरांगना के रूप में भी चित्रण किया है। उसे हर स्थिति में पति की रक्षिका ध्वजवाहिका और शत्रु संहारिका के रूप में भी वर्णित किया गया […]

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हम्मीर देव चौहान ने झुका दिया था जलालुद्दीन का मस्तक

कायर कौन होता हैइस आलेख का शुभारंभ हम इसी प्रश्न से करेंगे कि कायर होता कौन है? यह दोषारोपण सामान्यत: हिंदुओं पर किया जाता है कि वे विगत 1200-1300 वर्षों के इतिहासकाल में कायर रहे हैं। हमने भी यहां कायर के विषय में ही प्रश्न कर दिया है कि ये होता कौन है?अब इस प्रश्न […]

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